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♥प्रेम-समर्पण♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
छवि तुम्हारे हमारे मन में, तुम्हारे मन में हमारी मूरत!
सदा ही जीवन के रास्ते पे, है हमको एक दूजे की जरुरत!
तुम्हारे बिन मैं सदा अधूरा, हमारे बिन तुम भी हो अधूरी!
सदा रखेंगे दिलों में चाहत, कभी ना आए जरा सी दूरी!
तुम्हारी खुश्बू से घर महकता, हमारी सांसें भी खिल रहीं हैं,
ना बन सके घर बड़ा तो क्या गम, दिलों में चाहत बड़ी जरुरी!
हमारा मन भी है साफ-सुथरा, तुम्हारा मन भी है खुबसूरत!
छवि तुम्हारे हमारे मन में, तुम्हारे मन में हमारी मूरत......
कभी मिले जो तुझे उदासी, तो हम तुम्हारी ख़ुशी बनेंगे!
तुम्हारी आंसू हमारी आँखों से धार बनकर सदा बहेंगे!
कभी जो हमको मिले निराशा, हमें तू अपना दुलार देना,
तुम्हारे मन का यकीन पाकर, दुखी पलों की चुभन सहेंगे!
तुम्हारा चेहरा हमे हंसी दे, तुम्हे हंसा दे हमारी सूरत!
छवि तुम्हारे हमारे मन में, तुम्हारे मन में हमारी मूरत......
जहाँ हो दोनों दिलों में चाहत, वहां मौहब्बत भी खिलखिलाए!
तभी तो रस्ते का एक पत्थर भी "देव" बनकर के जगमगाए!
न खुद को ऊँचा, न उनको नीचा, रखो न मन में विभेद कोई,
न ऐसे घर में पनपती नफरत, दीवारें तक भी ख़ुशी मनाए!
तुम्हारी आशा जुड़ी है हमसे, हमारी तुमसे जुड़ी है हसरत!
छवि तुम्हारे हमारे मन में, तुम्हारे मन में हमारी मूरत!"
"प्रेम, समर्पण का नाम है! जहाँ समर्पण के साथ प्रेम होता है, वहां
नफरत के लिए, अहम् के लिए, उंच-नीच के लिए कोई रिक्त स्थान नहीं शेष रहता!
प्रेम का वातावरण सजीव को हो तो प्रफुल्लित करता ही है, मगर इस प्रेम के प्रभाव से
घर की निर्जीव वस्तुयें भी जीती जागती लगती हैं!"
.........................अपनी अनमोल प्रेरणा को समर्पित रचना.......................
चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-२७.१२.२०११