Thursday, 28 February 2013

♥♥तौर-तरीका.♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥तौर-तरीका.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मैं अपने हाथों से अपने, ख्वाब नहीं तोड़ा करता हूँ!
भले दर्द है पर खुशियों की, आस नहीं छोड़ा करता हूँ!
इस दुनिया में तनहा रहना, बेहतर है झूठी चाहत से,
इसीलिए झूठे लोगों से, साथ नहीं जोड़ा करता हूँ!

यही हमारा तौर-तरीका, इसी तरह मैं जी पाता हूँ!
सीने में गम रखकर भी मैं, साँझ सवेरे मुस्काता हूँ!

जो न समझे मानवता को, उससे मुंह मोड़ा करता हूँ!
मैं अपने हाथों से अपने, ख्वाब नहीं तोड़ा करता हूँ....

जिनको अपने सुख की इच्छा, जिनको अपनी खुशियाँ प्यारी!
उनसे तो दूरी अच्छी है, नहीं चाहिए उनकी यारी!
इस दुनिया की भीड़ में देखो, "देव" उसी का नाम हुआ है,
जिसने अपने लक्ष्य की खातिर, गलत काम की इच्छा मारी!

मैं विरह में रहता हूँ पर, मिलन की आशा नहीं त्यागता!
साथ हमेशा चलूँ वक्त के, आगे-पीछे नहीं भागता!

कभी किसी प्यासे के घर का, घड़ा नहीं फोड़ा करता हूँ!
मैं अपने हाथों से अपने, ख्वाब नहीं तोड़ा करता हूँ!"

.................चेतन रामकिशन "देव"...................
दिनांक-२८.०२.२०१३


Wednesday, 27 February 2013

♥ए प्यारे आजाद..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥ए प्यारे आजाद..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
आँखों में फिर आंसू आए, पढ़ कर तेरी को कुर्बानी को!
ए प्यारे आजाद है तुम पे, नाज हर एक हिंदुस्तानी को!

आजादी की खातिर तुमने, अंग्रेजों को सबक सिखाया!
दमन हजारों भी सहकर के, अपना मस्तक नहीं झुकाया!
"देव" नहीं जन्मा है कोई, फिर आजाद के जैसा इन्सां,
जिसने अपनी मौत को चुनकर, भारत माँ का मान बढाया!

एक पल को भी सहा न तुमने, अंग्रेजों की बेमानी को!
आँखों में फिर आंसू आए, पढ़ कर तेरी को कुर्बानी को!"

.................चेतन रामकिशन "देव"...................
दिनांक-२७.०२.२०१३

(सजल नयनों के साथ, चंद्रशेखर आजाद को नमन, अनवरत...)

Tuesday, 26 February 2013

♥♥माँ(प्यार का सागर)♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥माँ(प्यार का सागर)♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
इस दुनिया के संबंधो में, माँ से बढ़कर कोई नहीं है!
माँ अपने बच्चों से पहले, एक पल को भी सोई नहीं है!
माँ के दिल जैसा दुनिया में, नहीं दयालु है कोई दिल,
माँ बच्चों का दर्द देखकर, अपनी धुन में खोई नहीं है!

बिन माँ के बच्चों से पूछो, माँ की कीमत क्या होती है!
इस धरती पर, इस दुनिया में, ईश्वर जैसी माँ होती है!

वो बच्चों के दुख को समझे, अपने दुख में रोई नहीं है!
इस दुनिया के संबंधो में, माँ से बढ़कर कोई नहीं है...

माँ की लोरी सा दुनिया में, कोई मीठा गान नहीं है!
बड़ी सरल है माँ की ममता, बिंदु भर अभिमान नहीं है!
"देव" कभी तुम भूले से भी, माँ के आंसू नहीं बहाना,
जिसको माँ का अदब नहीं हो, वो कोई इन्सान नहीं है!

माँ बच्चों की खातिर जलती, जैसे अंधियारे में ज्योति!
माँ की ममता उपवन जैसी, माँ की ममता सच्चा मोती!

माँ ने देखो अपने मन में, फसल लोभ की बोई नहीं है!
इस दुनिया के संबंधो में, माँ से बढ़कर कोई नहीं है...

माँ को सब बच्चे प्यारे हैं, माँ के मन में द्वेष नहीं है!
माँ के मन न भेद-भाव हैं, उसके मन आवेश नहीं है!
माँ शक्ति है, माँ भक्ति है, माँ पूजा के फूलों जैसी,
मेरे मन में माँ से बढ़कर, कोई इच्छा शेष नहीं है!

माँ के बिन है दुनिया सूनी, माँ जीवन की संवाहक है!
माँ बच्चों की सहयोगी है, माँ बच्चों की निर्वाहक है!

माँ ने बच्चों के आंसू से, अपनी सूरत धोई नहीं है!
इस दुनिया के संबंधो में, माँ से बढ़कर कोई नहीं है!"

"
माँ-एक ऐसा शब्द जो मात्र दो अक्षरों का युग्म है, किन्तु उसका अर्थ महाकाव्यों में भी समाहित नहीं हो सकता! इतना प्रेम, की वो सागर की तरह अमापनीय हो! जगत के संबंधों में, सर्वोत्तम माँ, तो आइये माँ को नमन करें..!"

................चेतन रामकिशन "देव"...................
दिनांक-२७.०२.२०१३

(ये रचना मेरी माँ कमला देवी एवं माँ प्रेमलता जी को समर्पित)


Sunday, 24 February 2013

♥शब्द(मेरी आवाज)♥


♥♥♥♥♥शब्द(मेरी आवाज)♥♥♥♥♥♥♥
ये शब्द मेरे दर्द की, आवाज बन गए!
ये शब्द मोहब्बत का, नया साज बन गए!
इन शब्दों की दौलत से, मुझे प्यार बहुत है,
ये शब्द ही कल में थी, यही आज बन गए!

देते हैं खुशी तो ये, कभी आंख को पानी!
बिन इनके अधूरी है ये, जीवन की कहानी!

ये शब्द मेरी जिंदगी का, नाज़ का बन गए!
ये शब्द मेरे दर्द की, आवाज बन गए...

ये शब्द हैं गीतों में, सजे हैं ये गज़ल में!
ये शब्द निराशा में, कभी होते हैं बल में!
इन शब्दों से वाचन है "देव", इनसे ही लेखन,
ये शब्द ही सच में तो, यही होते हैं छल में!

शब्दों ने यहाँ प्यार का, एहसास लिखा है!
शब्दों ने ही देखो यहाँ, इतिहास लिखा है!

ये शब्द चांदनी का, नया ताज बन गए!
ये शब्द मेरे दर्द की, आवाज बन गए!"

........चेतन रामकिशन "देव".........
दिनांक-२४.०२.२०१३

Friday, 22 February 2013

♥लफ्जों का बदन..♥


♥♥♥♥♥♥♥लफ्जों का बदन..♥♥♥♥♥♥♥♥
बारूद से लफ्जों का बदन, जलने लगा है!
लगता है रवि प्रेम का, अब ढ़लने लगा है!
एक पल में ही लग जाती हैं, लाशों की कतारें,
फिर रंज का एहसास यहाँ, पलने लगा है!

लगता है बड़ा गहरा है, ये दहशत का दौर है!
जिस ओर भी देखो वहीँ, नफरत का शोर है!

इन्सान ही इन्सान को अब, छलने लगा है!
बारूद से लफ्जों का बदन, जलने लगा है!"

खूंखार जानवर है वो, इन्सान नहीं है!
इंसानियत का जिसको, कोई धयान नहीं है!
दहशत के दीवानों, जरा एक बात तो सुनो,
तुम जिसको मारते हो वो, बेजान नहीं है!

"देव" तरस इनको, कभी आता नहीं है!
लगता है इन्हें चैन, अमन, भाता नहीं है!

अब कैसा चलन, मौत का ये चलने लगा है!
बारूद से लफ्जों का बदन, जलने लगा है!"





...........चेतन रामकिशन "देव"...............
दिनांक-.०२.२०१३

♥♥कागज की नाव..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥कागज की नाव..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
बरसात में फिर भीग के, आने का मन हुआ!
कुछ फूल नए फिर से, खिलाने का मन हुआ!
बरसात ने बचपन की मुझे, याद दिलाई,
कागज की नाव फिर से, चलाने का मन हुआ!

बारिश से मेरे मन की अगन, शीत हो गयी!
लगता है के बारिश से मुझे, प्रीत हो गयी!

नैनों में नए स्वप्न, सजाने का मन हुआ!
बरसात में फिर भीग के, आने का मन हुआ..

बरसात में बूंदों के, ये मोती बिखर गए!
बरसात में सूखे हुए, तालाब भर गए!
बरसात से आई है "देव", मन में ताजगी,
बरसात में पेड़ों के भी, चेहरे निखर गए!

हाँ सच है ये, बरसात का मौसम तो नहीं है!
पर रोक लें हम इसको, इतना दम तो नहीं है!

बरसात से फिर हाथ, मिलाने का मन हुआ!
बरसात में फिर भीग के, आने का मन हुआ!"

.........चेतन रामकिशन "देव".............
दिनांक-२३.०२.२०१३

Wednesday, 20 February 2013

♥विरह का वनवास..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥विरह का वनवास..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
बड़ा ही पीड़ित करता मन को, विरह का ये वनवास!
नहीं पता कब पूरी होगी, सखी मिलन की आस!
गिन गिन कर मैं बिता रहा हूँ, अपने दिन और रात,
नहीं पता तुम कब आओगी, सखी हमारे पास!

बिना तुम्हारे नीरसता है, मन भी हुआ अधीर!
बिना तुम्हारे इन आँखों से, झर झर बहता नीर!

नहीं पता कब उज्जवल होगा, ये मन का आकाश!
बड़ा ही पीड़ित करता मन को, विरह का ये वनवास..

मैंने देखा विरह में होती, गति समय की मंद!
न भाती है शीतल वायु, न मिलता आनंद!
बिना तुम्हारे "देव" हुए हैं, शब्द हमारे मौन,
नहीं रचित होती है कविता, न बनता है छंद!

तुम बिन उपवन मुरझाया है, सूख गए सब फूल!
बिना तुम्हारे जीवन पथ पर, मुझको चुभते शूल!

नहीं पता कब पतझड़ हरने, आएगा मधुमास!
बड़ा ही पीड़ित करता मन को, विरह का ये वनवास!"

..........चेतन रामकिशन "देव"...........
दिनांक-२०.०२.२०१३

Tuesday, 19 February 2013

♥ईमान...♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥ईमान...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
खुद से नजर मिलाना भी, आसान न रहा!
जिन लोगों का जिन्दा यहां, इमान न रहा!

मिलते हैं मुझे यूँ तो, बहुत आदमी लेकिन,
इस दुनिया में शायद कोई, इंसान न रहा!

मुजरिम को रिहाई यहां, पीड़ित को सजा है,
लगता है के भगवान भी, भगवान न रहा!

जो पालते हैं उनको ही, मिलती हैं ठोकरें,
माँ बाप का अब इतना भी, अहसान न रहा!

रोता है आज "देव", ये भारत भी देखकर,
आजाद, भगत सा कोई, कुरबान न रहा!"

...........चेतन रामकिशन "देव"..........
दिनांक-२०.०२.२०१३

Monday, 18 February 2013

♥♥♥वचन..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥वचन..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
दुख में विचलित न होने का, खुद से एक वचन करना है!
जीवन में आगे बढ़ने का, हर क्षण हमें जतन करना है!
रणभूमि में बिन साहस के, नहीं विजय के अवसर आते,
यदि विजेता बनना है तो, भय का हमें दमन करना है!

ये सच है कोई अजेय नहीं, किन्तु जीवन से क्यूँ डरना!
नित जीवन में नए द्रश्य हैं, कभी है सागर, कभी है झरना!

अपने मन की शीतलता से, दुख का ताप शमन करना है!
दुख में विचलित न होने का, खुद से एक वचन करना है...

सदाचार पर बल देना है, अनुशासन को अपनाना है!
प्रेम के सुन्दर फूल खिलाकर, सारे जग को महकाना है! 
इस जीवन को "देव" न किन्तु, निहित नहीं बस खुद में करना,
इस दुनिया को सही गलत का, अंतर हमको समझाना है!

विकसित होने की इच्छा में, नैतिकता पे मार न करना!
हिंसा में अंधे होकर के, मानवता पे वार न करना!

जात-धर्म से ऊपर उठकर, मन से यहाँ मिलन करना है!
दुख में विचलित न होने का, खुद से एक वचन करना है!"

......................चेतन रामकिशन "देव"...................
दिनांक-१९.०२.२०१३

♥जीवन के मायने..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥जीवन के मायने..♥♥♥♥♥♥♥♥
नहीं फूलों सा है जीवन, यहाँ कांटे भी होते हैं!
कभी हँसते हैं फूलों से, कभी विरह में रोते हैं!
मगर तुम हार न जाना, कभी पीड़ा से डरकर के,
वो ठंडी छाँव पाते हैं, जो एक दिन बीज बोते हैं!

जो अपने स्वार्थ में, औरों का सुख नीलाम करते हैं!
कहाँ वो याद आते हैं, जो ऐसा काम करते हैं!

ये ऐसे लोग तो धरती पे, केवल बोझ होते हैं!
नहीं फूलों सा है जीवन, यहाँ कांटे भी होते हैं...

कभी जीवन में खुशियों की, हसीं सौगात मिलती है!
कभी जीवन में इन्सां को, ग़मों की रात मिलती है!
हमेशा "देव" ये जीवन, किसी को सुख नहीं देता,
कभी हम जीत जाते हैं, कभी पर मात मिलती है!

पराजित हो के भी मन में, जो अपने जोश भरते हैं!
वही कुछ कर दिखाते हैं, जो कुछ संकल्प करते हैं!

वहीँ इन्सां हैं जो औरों के, दुख में साथ रोते हैं!
नहीं फूलों सा है जीवन, यहाँ कांटे भी होते हैं!"

.............चेतन रामकिशन "देव".................
दिनांक-१८.०२.२०१३

Sunday, 17 February 2013

♥निर्धन की मायूसी..♥


♥♥♥♥♥♥निर्धन की मायूसी..♥♥♥♥♥♥♥
घोटालों की चीत्कार है, जनता है मायूस!
और दफ्तरों में लेते हैं, बाबु अफसर घूस!
देश के नेता लूट-लूट कर, भर रहे अपना कोष,
निर्धन जनता तड़प रही है, गर्मी हो या पूस!

मेरे देश के अब तो हुए हैं, बहुत बुरे हालात!
गम के बादल घिर आए हैं, हुई अँधेरी रात!

पता नहीं के रहेगा कब तक, हाल यूँ ही मनहूस!
घोटालों की चीत्कार है, जनता है मायूस..

निर्धन के जीवन में खिलते, बस कागज के फूल!
निर्धन के तन पे चिथड़े हैं और सूरत पे धूल!
निर्धन जन का जीवन स्तर, है इतना बदहाल,
उसके नंगे पांवों में तो, दुःख के चुभते शूल!

निर्धन जन के दर्द पे जाता, नहीं किसी का ध्यान!
देश का निर्धन ऐसे जीता, जैसे हो बेजान!

सब देते हैं दर्द उसे, कोई देता नहीं खुलूस!
घोटालों की चीत्कार है, जनता है मायूस!"

...........चेतन रामकिशन "देव"...........
दिनांक-१८.०२.२०१३


♥जीवन का जुआ..♥


♥♥♥♥♥♥♥जीवन का जुआ..♥♥♥♥♥♥♥
है हार कभी जीत, ये जीवन तो जुआ है!
हर रोज जिंदगी में, नया खेल हुआ है!

पर फिर भी मुझे, जिंदगी से डर नहीं लगता,
मेरे साथ में हर दम ही, मेरी माँ की दुआ है!

लोगों को अब तो भाने लगी, मेरी लिखावट,
तेरे प्यार ने जबसे मेरे, लफ्जों को छुआ है!

दिल से मेरे ज़ख्मों के, निशां जाते नहीं हैं,
हमला मेरे दिल पे यहाँ, अपनों का हुआ है!

मैं खुद से नजर, "देव" मिलाता हूँ बेहिचक,
मेहनत से अपनी मैंने, ये आकाश छुआ है!"

..चेतन रामकिशन "देव"..
दिनांक-१७.०२.२०१३

Saturday, 16 February 2013

♥शब्दों के मोती.♥


♥♥♥♥शब्दों के मोती.♥♥♥♥
आँखों में कुछ सपने बुनकर,
अपने मन की बोली सुनकर,
फिर से एक कविता लिखता हूँ,
मैं शब्दों के मोती चुनकर!

नहीं पता के इस कविता में,
कौनसा रस है, अलंकार है!
नहीं पता के इस कविता का,
जीवन कितना यादगार है!
नहीं पता के इस कविता में,
कितनी खामी और कमी है,
नहीं पता के इस कविता का,
लेखन कितना असरदार है!

किन्तु फिर भी मुझे चमकता,
शब्दों में आशा का दिनकर!
फिर से एक कविता लिखता हूँ,
मैं शब्दों के मोती चुनकर!"

...चेतन रामकिशन "देव"...
दिनांक-१६.०२.२०१३

Friday, 15 February 2013

♥प्यार का बसंत..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥प्यार का बसंत..♥♥♥♥♥♥♥♥
पीले फूलों की खुश्बू है, बरस रही बरसात!
बारिश की बूंदें लाईं हैं, खुशियों की सौगात!
चलो बसंती हो जायें हम, इन फूलों के संग,
बारिश की प्यारी बूंदों से, कहेंगे दिल की बात!

सखी मुझे हर मौसम में, भाये तेरा साथ!
मुझे कभी न तन्हा करना, नहीं छुड़ाना हाथ!

सखी तेरे ही प्रेम से हर्षित, हैं मेरे दिन रात!
पीले फूलों की खुश्बू है, बरस रही बरसात..

उपवन देखो खिले खिले हैं, धुली वनों की देह!
सखी कभी न कम करना तुम, अपना ये स्नेह!
सुख दुख के हम तुम साथी हैं, प्रेम है अपना "देव",
बड़े भाग्य से मिलता जग में, प्रेम का ये स्नेह!

बारिश में तो और भी प्यारा, लगे तुम्हारा रूप!
तुम छाया हो प्रकृति की, नैसर्गिक स्वरूप!

तेरे साथ से बन जाती है, देखो बिगड़ी बात!
पीले फूलों की खुश्बू है, बरस रही बरसात!"

...........चेतन रामकिशन "देव"............
दिनांक-१६.०२.२०१३

Thursday, 14 February 2013

♥अंतर्मन का ध्यान.♥


♥♥♥अंतर्मन का ध्यान.♥♥♥
अंतर्मन का ध्यान तुम्हीं हो!
अधरों की मुस्कान तुम्हीं हो!
जो ह्रदय को झंकृत कर दे.
ऐसा सुन्दर गान तुम्हीं हो!

तुम अम्बर के तारों जैसी!
शीतल किन्ही फुहारों जैसी!
तुम्हें देखकर कहता हूँ मैं,
तुम हो मधुर बहारों जैसी!

तुम्ही "देव" की पथ-प्रदर्शक,
सही-गलत का ज्ञान तुम्हीं हो!
जो ह्रदय को झंकृत कर दे.
ऐसा सुन्दर गान तुम्हीं हो!"

.....चेतन रामकिशन "देव".....
दिनांक-१४.०२.२०१३

Tuesday, 12 February 2013

♥एहसान ..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥एहसान ..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
दौलत से कभी प्यार को, पाया नहीं जाता!
एहसान मोहब्बत में, जताया नहीं जाता!

पढ़ लेते हैं वो मेरी, निगाहों में दर्द को,
चाहकर भी यहाँ दर्द, छुपाया नहीं जाता!

चुन चुन के मैंने लफ्ज, सजाए हैं गीत में,
चोरी का गीत मुझसे तो, गाया नहीं जाता!

न याद रखें वो, मेरी तस्वीर को लेकिन,
पर रूह के रिश्तों को, भुलाया नहीं जाता!

हर कोई नहीं "देव" है, हमदर्द यहाँ पर,
दुनिया को अपना दर्द, सुनाया नहीं जाता!"

..........चेतन रामकिशन "देव"..........
दिनांक-१२.०२.२०१३


Monday, 11 February 2013

♥प्यार की धारा..♥


♥♥♥♥♥♥♥प्यार की धारा..♥♥♥♥♥♥♥♥
न मन में तेरे खोट है, न दिल में बदी है!
अच्छाई भी जिन्दा हैं सखी, तू जो यदि है!
जब भी तुझे देखा, मेरा चेहरा चमक उठा,
तू प्यार की धारा से भरी,कोई नदी है!

ये तेरी मोहब्बत, मेरे दिल का करार है!
बारिश की बूंद जैसी, तू रिमझिम फुहार है!

तुझसे ही मेरी जिंदगी से, फूलों से लदी है!
न मन में तेरे खोट है, न दिल में बदी है!"

.........चेतन रामकिशन "देव".........
दिनांक-११.०२.२०१३

Sunday, 10 February 2013

♥दमकती धूप..♥


♥♥♥♥♥♥दमकती धूप..♥♥♥♥♥♥♥♥
सूरज का उजाला है, दमकती ये धूप है!
जीवन कभी सुन्दर, कभी होता कुरूप है!
किन्तु कभी जीवन से, कोई खेद न करना,
हँसना कभी, रोना यही, जीवन का रूप है!

फूलों की त्वचा है, कभी दुख का पठार है!
जीवन में सुनामी, कभी सुख की बहार है!

जीवन का सदा ऐसा ही, होता स्वरूप है!
सूरज का उजाला है, दमकती ये धूप है..

जीवन कभी एक अंश पे, स्थिर नही होता!
जीवन सदा उल्लास का, सागर नहीं होता!
जीवन में "देव"आती हैं, उलझन नई नई,
जीवन सदा तारों भरा, अम्बर नहीं होता!

खोना कभी पाना, यही जीवन की गति है!
जीवन में कभी हर्ष, कभी दुख की क्षति है!

जीवन कभी सूखा, कभी देखो अनूप है!
सूरज का उजाला है, दमकती ये धूप है!"

..........चेतन रामकिशन "देव".........
दिनांक-११.०२.२०१३

Saturday, 9 February 2013

♥प्रेम का आत्मसात..♥


♥♥♥♥♥♥प्रेम का आत्मसात..♥♥♥♥♥♥
एहसास में मैं तुमसे, मुलाकात करूँगा!
हाथों में लेके हाथ, मैं तुमसे बात करूँगा!
चाहे हो मुझसे दूर, तुम हजारों मील पर,
मैं तेरे लिए प्रेम की, बरसात करूँगा!

हँसना कभी, रोना कभी, होता है प्यार में!
पाना कभी, खोना कभी, होता है प्यार में!

तेरी याद से रौशन मैं, हर एक रात करूँगा!
एहसास में मैं तुमसे, मुलाकात करूँगा..

तेरी ही मोहब्बत से, ये एहसास पले हैं!
कुछ कांटे भी मिलें हैं, तो कुछ फूल खिले हैं!
चाहत को अपनी "देव", दबा मैं नहीं सकता,
मुझको तेरी चाहत से , ये जज्बात मिले हैं!

एहसास की दुनिया का , सफ़र खुशगवार है!
ये सच है तुमसे मिलने को, दिल बेकरार है!

मिलते ही तुमसे, तुमको आत्मसात करूँगा
एहसास में मैं तुमसे, मुलाकात करूँगा!"

............चेतन रामकिशन "देव"...........
दिनांक-०९.०२.२०१३

Friday, 8 February 2013

♥निर्धन के अश्रु.♥


♥♥♥♥♥♥♥♥निर्धन के अश्रु.♥♥♥♥♥♥♥♥
बचपन बिलख रहा है, जवानी भी रो रही है!
मेरे देश में निर्धन की दशा, ऐसी हो रही है!
सुनता नहीं कोई भी यहाँ, इनके दर्द को,
कानून भी चुप-चाप है, सत्ता भी सो रही है!

मरते हुए निर्धन को, दवा मिल नही पाती!
न जल उसे मिलता है, हवा मिल नहीं पाती!

निर्धन की जिंदगी, बड़ी गुमनाम हो रही है!
बचपन बिलख रहा है, जवानी भी रो रही है....

निर्धन के हित में, कोई न आवाज उठाये!
है कौन जो निर्धन को गले, अपने लगाये!
निर्धन का दर्द "देव", नहीं कोई समझता,
बेशक कोई निर्धन, यहाँ दुख अपना सुनाये!

निर्धन की वेदना यहाँ, सुनता नहीं कोई!
निर्धन के पथ से शूल भी, चुनता नहीं कोई!

निर्धन की जिंदगी, यहाँ नीलाम हो रही है!
बचपन बिलख रहा है, जवानी भी रो रही है!"

.............चेतन रामकिशन "देव"............
दिनांक-०८.०२.२०१३

Wednesday, 6 February 2013

♥दूरियां..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥दूरियां..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तुम भले ही मेरी नजरों से, दूर जाते हो!
मुझको दिन रात मगर, याद बहुत आते हो!

तेरी आँखों में भी, आंसू की बूँद दिखती हैं,
फिर भी न जाने मुझे, इतना क्यूँ सताते हो!

तुम जो आते हो तो, अँधेरा चला जाता है,
दीप बनकर के मेरे दिल में, जगमगाते हो!

तुमको नफरत है अगर, मेरे नाम से तो फिर,
मेरी तस्वीर को सीने से, क्यूँ लगाते हो!

इतना तो "देव" की, आँखों को पता है हमदम,
तुम भी गीतों को मेरे, दिल से गुनगुनाते हो!"

..........चेतन रामकिशन "देव"..........
दिनांक-०६.०२.२०१३

Tuesday, 5 February 2013

♥मेरा आपा.. ♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मेरा आपा.. ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
पतझड़ कभी, सावन कभी, बारिश ने भिगोया!
पर मैंने कभी हार के, आपा नहीं खोया!

गम की तपन से दिल मेरा फौलाद हो गया,
अश्कों ने कहा फिर भी मगर, मैं नहीं रोया!

हाँ सच है शराफत से, मुझे कुछ न मिल सका,
पर मैंने कभी जुल्म का, अंकुर नहीं बोया!

चिथड़ों में भी जीता रहा, तड़पा भी भूख से,
पर मैं किसी इन्सान को, ठग कर नहीं सोया!

ए "देव" पापियों की, भीड़ बढ़ गयी इतनी,
गंगा ने भी गुस्से में कोई, पाप न धोया!"

............चेतन रामकिशन "देव"...........
दिनांक-०५.०२.२०१३

♥प्रीत की डोर..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥प्रीत की डोर..♥♥♥♥♥♥♥♥♥
न ही मन में रुदन है कोई, न ही कोई शोर!
सखी बांध ली जबसे मैंने, तेरी प्रीत की डोर!
तिमिर मिटा है जीवन पथ से, हुआ नया प्रकाश,
सखी तुम्हारा प्रेम है जैसे, नयी नवेली भोर!

सखी तुम्हारी प्रीत है अद्भुत, सुन्दर है व्यवहार!
सदा ही मुझको प्रेरित करते, सखी तेरे उद्गार!

सखी तुम्हारा है प्रेम है व्यापक, नहीं है कोई छोर!
न ही मन में रुदन है कोई, न ही कोई शोर......

सखी तुम्हारे प्रेम से मेरे, स्वप्न हुए साकार!
सखी तुम्हारा प्रेम है जैसे, कुदरत का उपहार!
सखी तुम्हारे प्रेम ने मुझको, दिए खुशी के फूल,
सखी तुम्हारे प्रेम है जैसे, नदियों की जलधार!

सखी बड़ा ही प्यारा लगता, मुझे तेरा संवाद!
सखी तुम्हारे प्रेम से भूला, मैं तो सभी विवाद!

दृश्य बड़ा ही मनभावन है, वन में नाचे मोर!
न ही मन में रुदन है कोई, न ही कोई शोर.....

सखी तुम्हारी अनुभूति है, हर क्षण मेरे संग!
सखी तुम्हारे प्रेम से मिलते, इन्द्रधनुष के रंग!
सखी तुम्हारे प्रेम से देखो, "देव" हुए प्रसन्न,
सखी तुम्हारे प्रेम से मिलती, मन को सदा उमंग!

सखी तुम्हारे प्रेम का मिलना, बड़े भाग्य की बात!
सखी तुम्हारे प्रेम से हर्षित, मेरे दिन और रात!

सखी तुम्हारी भावुकता से, मन भी हुआ विभोर!
न ही मन में रुदन है कोई, न ही कोई शोर!"

"
प्रेम-जब परस्पर समर्पण के साथ ह्रदय में स्फुट होता है, तो निश्चित रूप से सकारात्मकता की प्राप्ति होती है! प्रेम की दीप्ति से, मन के अंधकार दूर हो जाते हैं, तो आइये इस दीप्ति को ग्रहण करें..."

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-०५.०२.२०१३

(मेरी ये रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित)
सर्वाधिकार सुरक्षित..

Monday, 4 February 2013

♥सुगन्धित फूल..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥सुगन्धित फूल..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सुगन्धित फूल के जैसी, मेरे दिल को लुभाती हो!
मेरी आँखों में सपनों की, नयी दुनिया वसाती हो!

मधुर हो तुम मधु जैसी, बड़ी कोमल हो रेशम सी!
हो गंगाजल सी तुम पावन, सखी सुन्दर हो झेलम सी!
तुम्हारा रूप है जैसे, दमकती लालिमा कोई,
अमावस थम गईं सारी, सखी तुम रात पूनम सी!

बड़ा आराम मिलता है, मुझे हँसना सिखाती हो!
सुगन्धित फूल के जैसी, मेरे दिल को लुभाती हो!"

................चेतन रामकिशन "देव"...............
दिनांक-०४.०२.२०१३

Friday, 1 February 2013

♥♥सपने..♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥सपने..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
रंग-बिरंगे गुब्बारों से, कुछ सपने आँखों में आते!
कभी किसी में आंसू बिखरें, कभी किसी में हम मुस्काते!

सपनों की दुनिया में बेशक, कभी धूप तो, कभी है छाया!
जो जीवन से दूर हुए हैं, इन सपनों ने उन्हें मिलाया!
शबनम की बूंदों के जैसे, सपने सचमुच ही प्यारे हैं,
इसीलिए तो इन आँखों से, सपनों का संसार रचाया!

कभी विरह की तान छेड़ते, कभी मिलन के दोहे गाते!
रंग-बिरंगे गुब्बारों से, कुछ सपने आँखों में आते!"

....................चेतन रामकिशन "देव".................
दिनांक-०१.०२.२०१३