Saturday, 30 November 2013

♥खुशियों की बारिश..♥

♥♥♥♥♥♥खुशियों की बारिश..♥♥♥♥♥♥♥
धवल चांदनी रात का आगमन हो!
मोहब्बत के जल से धुला सबका मन हो!
न हिंसा रहे, न ही नफरत दिलों में,
हो खुशियों की बारिश के फैला अमन हो!

जलें दीप मन में, उजालों का रंग हो!
यहाँ जिंदगी में खुशी सबके संग हो!

न कोई हो तन्हा, न कोई दुखन हो!
धवल चांदनी रात का आगमन हो...

न हिन्दू न हमको मुसलमान बनकर!
यहाँ हमको जीना है इंसान बनकर!
नहीं हमको देने हैं आंसू किसी को,
यहाँ हमको जीना है मुस्कान बनकर!

मोहब्बत भरे जब यहाँ दिल मिलेंगे!
तो जीवन में खुशबु के गुलशन खिलेंगे!

न दिल में जहर हो, न कोई अगन हो!
धवल चांदनी रात का आगमन हो....

सफ़र ये हक़ीक़त का आसान होगा!
अगर दिल में अपने जो ईमान होगा!
सुनो "देव" उस घर की बढ़ जाये रौनक,
वो जिस घर में बेटी का सम्मान होगा!

मोहब्बत से बढ़कर खजाना नही है!
हमें दिल किसी का दुखाना नहीं है!

हो दिल सबका उजला, भले काला तन हो!
धवल चांदनी रात का आगमन हो!"

....…चेतन रामकिशन "देव"…....
दिनांक-३०.११.२०१३

Friday, 29 November 2013

♥♥चांदनी रात के उजालों से..♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥चांदनी रात के उजालों से..♥♥♥♥♥♥♥
चांदनी रात के उजालों से, प्यार का दीप हम जला देंगे!
अपने दिल की तमाम नफरत को, प्यार के भाव से भुला देंगे!
ख्वाब तेरे तुम्हारी आँखों के, अपने हाथों से हम खिला देंगे,
तन का रिश्ता तो बस पलों का है, रूह से रूह हम मिला देंगे!

तेरे कदमों के साथ चलकर के, मंजिलों की तलाश करनी है!
अपने जीवन की ये डगर हमदम, तेरी चाहत से खास करनी है!

गोद में मेरी, सर को रख देना, प्यार से हम तुम्हें सुला देंगे!
चांदनी रात के उजालों से, प्यार का दीप हम जला देंगे......

जिंदगी का सिंगार तुमसे है, हर तड़प का क़रार तुमसे है!
होने को तो है ये जहाँ लेकिन, मेरा तो सिर्फ प्यार तुमसे है!
"देव" पतझड़ से मेरे जीवन में, प्यार की ये फुहार तुमसे है,
फूल जैसे खिला मेरा चेहरा, जिंदगी में बहार तुमसे है!

तेरी राहों के सारे काँटों को, अपने हाथों से दूर करना है!
प्यार को ये जहां गुनाह कहे, मुझको पर ये कसूर करना है!

तेरे जीवन की रौशनी को हम, अपना दिल भी यहाँ जला देंगे!
चांदनी रात के उजालों से, प्यार का दीप हम जला देंगे!"

..............…चेतन रामकिशन "देव"…........................
दिनांक-२९.११.२०१३ 

Thursday, 28 November 2013

♥♥♥मोहब्बत तुम्हारी..♥♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मोहब्बत तुम्हारी..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मोहब्बत घुली है फिजा में तुम्हारी, के उपवन भी देखो महकने लगा है!
मचलता है मन बस तुम्हारी ही खातिर, तुम्हारे लिए दिल बहकने लगा है!  
भले एक चुप्पी है होठो पे लेकिन, ये दिल धीमे धीमे चहकने लगा है,
तुम्हारी मोहब्बत का एहसास करके, मेरा दिल ख़ुशी से लहकने लगा है! 

तुम्हारी जरुरत है दिल को हमेशा, भले दिन हो हमदम, भले रात हो!
न दौलत की हसरत कभी मेरे दिल को, है ख्वाहिश यही बस तेरा साथ हो!

मुलाकात की एक तमन्ना जगी है, मुलाकात को दिल चहकने लगा है! 
मोहब्बत तुम्हारी घुली है फिजा में, के उपवन भी देखो महकने लगा है....

खनक चूड़ियों की बजे स्वर तुम्हारा, के तुमसे ही भावों का उद्भव हुआ है!
के टूटी है चुप्पी तुम्ही से ग़मों की, के तुमसे ही जीवन में वैभव हुआ है!
सुनो "देव" आंगन में रौनक है तुमसे, के तुमसे ही जीवन में कलरव हुआ है,
मैं हर्षित हूँ पाकर तुम्हारी मोहब्बत, के तुमसे ही जीवन में उत्सव हुआ है!

अँधेरा मिटे एक झलक से तुम्हारी, तुम्हारी मोहब्बत उजालों का रंग है!
है तू मेरे जीवन में लाली सुबह की, के तू चांदनी की तरह मेरे संग है!

के तू बन गई है मोहब्बत की बारिश, के जब भी मेरा मन दहकने लगा है!
मोहब्बत तुम्हारी घुली है फिजा में, के उपवन भी देखो महकने लगा है!"

.........................…चेतन रामकिशन "देव"…...........................
दिनांक-२८.११.२०१३

Wednesday, 27 November 2013

♥♥उजाला ..♥♥

♥♥♥♥♥♥उजाला ..♥♥♥♥♥♥♥
अंधेरों से बढ़कर उजाला रहेगा!
ये सूरज हमेशा निराला रहेगा!

महज खूबसूरत बदन को न समझो,
अगर दिल हमारा जो काला रहेगा!

यहाँ जीत जायेगी एक दिन हक़ीक़त,
भले सच पे कितना भी ताला रहेगा!

नहीं लोग देखो वो इंसान होंगे,
वो नफरत का जिस दिल में जाला रहेगा!

जो लोगों को जीते मोहब्बत से अपनी,
वही देखो दुनिया में आला रहेगा!

नहीं मैं डिगूंगा कभी अपने पथ से,
कसम का तुम्हारी हवाला रहेगा!

 सुनो "देव" कैसे बनोगे शहद तुम,
जो अधरों में विषधर का छाला रहेगा!"

.....…चेतन रामकिशन "देव"….....
दिनांक-२८.११.२०१३

Sunday, 24 November 2013

♥♥पथिक हूँ मैं...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥पथिक हूँ मैं...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
पथिक हूँ मैं ऐसे ही चलता रहूँगा, के मेरे बदन में रवानी है जब तक!
नहीं देखो नफरत मुझे छू सकेगी, मोहब्बत की मुझपे निशानी है जब तक! 
ये मेरा कलम यूँ ही चलता रहेगा, अधूरी ये मेरी कहानी है जब तक,
नहीं अपने अधरों को मैं चुप करूँगा, के आवाज़ हक़ की उठानी है जब तक! 

कभी दुख कभी सुख नियम जिंदगी का, नियम के मुताबिक ही जीते रहेंगे!
कभी अश्क़ गालों तलक बह उठे तो, कभी अपने अश्कों को पीते रहेंगे!

नहीं उफ़ करेंगे कभी भूल से भी, के दिल में हमारे जवानी है जब तक....
पथिक हूँ मैं ऐसे ही चलता रहूँगा, के मेरे बदन में रवानी है जब तक!

नजर अपनी मंजिल पे रखकर सदा ही, कदम हमको अपने बढ़ाने पड़ेंगे!
नहीं जिंदगी में खुशी सिर्फ मिलती, ग़मों के भी पत्थर उठाने पड़ेंगे!
सुनो "देव" हमको हुनर जीत के ये, के जीवन को अपने सिखाने पड़ेंगे,
हमें नफरतों की ये स्याही बहाकर, मोहब्बत के गुलशन खिलाने पड़ेंगे!

मुझे आज से ही शुरुआत करनी, मैं कल पर भरोसा नहीं कर रहा हूँ!
यक़ीनन यहाँ मौत आनी है सबको, इसी वास्ते मैं नहीं डर रहा हूँ!

नहीं अपने लफ्जों को मैं चुप करूँगा, ये आवाज़ मन की सुनानी है जब तक...
पथिक हूँ मैं ऐसे ही चलता रहूँगा, के मेरे बदन में रवानी है जब तक!"

..........................…चेतन रामकिशन "देव"….......................
दिनांक-२४.११.२०१३

♥♥पथिक हूँ मैं...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥पथिक हूँ मैं...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
पथिक हूँ मैं ऐसे ही चलता रहूँगा, के मेरे बदन में रवानी है जब तक!
नहीं देखो नफरत मुझे छू सकेगी, मोहब्बत की मुझपे निशानी है जब तक! 
ये मेरा कलम यूँ ही चलता रहेगा, अधूरी ये मेरी कहानी है जब तक,
नहीं अपने अधरों को मैं चुप करूँगा, के आवाज़ हक़ की उठानी है जब तक! 

कभी दुख कभी सुख नियम जिंदगी का, नियम के मुताबिक ही जीते रहेंगे!
कभी अश्क़ गालों तलक बह उठे तो, कभी अपने अश्कों को पीते रहेंगे!

नहीं उफ़ करेंगे कभी भूल से भी, के दिल में हमारे जवानी है जब तक....
पथिक हूँ मैं ऐसे ही चलता रहूँगा, के मेरे बदन में रवानी है जब तक!

नजर अपनी मंजिल पे रखकर सदा ही, कदम हमको अपने बढ़ाने पड़ेंगे!
नहीं जिंदगी में खुशी सिर्फ मिलती, ग़मों के भी पत्थर उठाने पड़ेंगे!
सुनो "देव" हमको हुनर जीत के ये, के जीवन को अपने सिखाने पड़ेंगे,
हमें नफरतों की ये स्याही बहाकर, मोहब्बत के गुलशन खिलाने पड़ेंगे!

मुझे आज से ही शुरुआत करनी, मैं कल पर भरोसा नहीं कर रहा हूँ!
यक़ीनन यहाँ मौत आनी है सबको, इसी वास्ते मैं नहीं डर रहा हूँ!

नहीं अपने लफ्जों को मैं चुप करूँगा, ये आवाज़ मन की सुनानी है जब तक...
पथिक हूँ मैं ऐसे ही चलता रहूँगा, के मेरे बदन में रवानी है जब तक!"

..........................…चेतन रामकिशन "देव"….......................
दिनांक-२४.११.२०१३

♥♥पथिक हूँ मैं...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥पथिक हूँ मैं...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
पथिक हूँ मैं ऐसे ही चलता रहूँगा, के मेरे बदन में रवानी है जब तक!
नहीं देखो नफरत मुझे छू सकेगी, मोहब्बत की मुझपे निशानी है जब तक! 
ये मेरा कलम यूँ ही चलता रहेगा, अधूरी ये मेरी कहानी है जब तक,
नहीं अपने अधरों को मैं चुप करूँगा, के आवाज़ हक़ की उठानी है जब तक! 

कभी दुख कभी सुख नियम जिंदगी का, नियम के मुताबिक ही जीते रहेंगे!
कभी अश्क़ गालों तलक बह उठे तो, कभी अपने अश्कों को पीते रहेंगे!

नहीं उफ़ करेंगे कभी भूल से भी, के दिल में हमारे जवानी है जब तक....
पथिक हूँ मैं ऐसे ही चलता रहूँगा, के मेरे बदन में रवानी है जब तक!

नजर अपनी मंजिल पे रखकर सदा ही, कदम हमको अपने बढ़ाने पड़ेंगे!
नहीं जिंदगी में खुशी सिर्फ मिलती, ग़मों के भी पत्थर उठाने पड़ेंगे!
सुनो "देव" हमको हुनर जीत के ये, के जीवन को अपने सिखाने पड़ेंगे,
हमें नफरतों की ये स्याही बहाकर, मोहब्बत के गुलशन खिलाने पड़ेंगे!

मुझे आज से ही शुरुआत करनी, मैं कल पर भरोसा नहीं कर रहा हूँ!
यक़ीनन यहाँ मौत आनी है सबको, इसी वास्ते मैं नहीं डर रहा हूँ!

नहीं अपने लफ्जों को मैं चुप करूँगा, ये आवाज़ मन की सुनानी है जब तक...
पथिक हूँ मैं ऐसे ही चलता रहूँगा, के मेरे बदन में रवानी है जब तक!"

..........................…चेतन रामकिशन "देव"….......................
दिनांक-२४.११.२०१३

♥♥पथिक हूँ मैं...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥पथिक हूँ मैं...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
पथिक हूँ मैं ऐसे ही चलता रहूँगा, के मेरे बदन में रवानी है जब तक!
नहीं देखो नफरत मुझे छू सकेगी, मोहब्बत की मुझपे निशानी है जब तक! 
ये मेरा कलम यूँ ही चलता रहेगा, अधूरी ये मेरी कहानी है जब तक,
नहीं अपने अधरों को मैं चुप करूँगा, के आवाज़ हक़ की उठानी है जब तक! 

कभी दुख कभी सुख नियम जिंदगी का, नियम के मुताबिक ही जीते रहेंगे!
कभी अश्क़ गालों तलक बह उठे तो, कभी अपने अश्कों को पीते रहेंगे!

नहीं उफ़ करेंगे कभी भूल से भी, के दिल में हमारे जवानी है जब तक....
पथिक हूँ मैं ऐसे ही चलता रहूँगा, के मेरे बदन में रवानी है जब तक!

नजर अपनी मंजिल पे रखकर सदा ही, कदम हमको अपने बढ़ाने पड़ेंगे!
नहीं जिंदगी में खुशी सिर्फ मिलती, ग़मों के भी पत्थर उठाने पड़ेंगे!
सुनो "देव" हमको हुनर जीत के ये, के जीवन को अपने सिखाने पड़ेंगे,
हमें नफरतों की ये स्याही बहाकर, मोहब्बत के गुलशन खिलाने पड़ेंगे!

मुझे आज से ही शुरुआत करनी, मैं कल पर भरोसा नहीं कर रहा हूँ!
यक़ीनन यहाँ मौत आनी है सबको, इसी वास्ते मैं नहीं डर रहा हूँ!

नहीं अपने लफ्जों को मैं चुप करूँगा, ये आवाज़ मन की सुनानी है जब तक...
पथिक हूँ मैं ऐसे ही चलता रहूँगा, के मेरे बदन में रवानी है जब तक!"

..........................…चेतन रामकिशन "देव"….......................
दिनांक-२४.११.२०१३

Friday, 22 November 2013

अगर चांदनी बन मेरा..

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥अगर चांदनी बन मेरा...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
दमकने लगूंगा के मैं चाँद बनकर, अगर चांदनी बन मेरा साथ दो तुम!
बिखर जाऊंगा बनके लाली सुबह की, अगर सूर्य बनकर के प्रभात दो तुम!
मैं हंसकर करूँगा सफर साथ पूरा, जो हाथों में मेरे अगर हाथ दो तुम,
मेरे दिल में खुशियों की फसलें उगेंगी, अगर प्यार की एक बरसात दो तुम!

जो तुम साथ में हो तो चांदी क्या सोना, मोहब्बत तुम्हारी मुझे है जरुरी!
बिना तेरे कुछ भी नहीं मेरा जीवन, इनायत तुम्हारी मुझे है जरुरी!

मुझे देके हमदम सुबह सुबह प्यारी, सितारों से सुन्दर सजी रात दो तुम!
दमकने लगूंगा के मैं चाँद बनकर, अगर चांदनी बन मेरा साथ दो तुम.....

नज़ारे ख़ुशी के तुम्ही से हैं हमदम, मेरी जिंदगी का सहारा तुम्ही हो!
तुम्ही मेरी हिम्मत, यकीं मेरा तुमसे, के तूफां में मेरा किनारा तुम्ही हो!
सुनो "देव" मेरे कलम में वसे तुम, के शब्दों में भावों की धारा तुम्ही हो,
तुम्हे पाके देखो खिला मेरा जीवन, के किस्मत का मेरी सितारा तुम्ही हो!

है तुमसे ही सीखी इबादत ये मैंने, तेरे साथ ने मुझको पावन किया है!
मेरे मन को बख्शे मोहब्बत के बादल, के तुमने मेरे दिल को सावन किया है!

शहद मेरे कानों में घुलने लगेगा, अगर प्यार वाली मधुर बात दो तुम!
दमकने लगूंगा के मैं चाँद बनकर, अगर चांदनी बन मेरा साथ दो तुम!"

.........................…चेतन रामकिशन "देव"..............................
दिनांक-२२ .११.२०१३

Friday, 15 November 2013

♥♥ख्वाबों के दीपक ...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥ख्वाबों के दीपक ...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
गमों का सफ़र है, कठिन जिंदगी है, मगर हार फिर भी नहीं मानता हूँ!
मोहब्बत की बातें मैं करता हूँ हर पल, नहीं नफरतों का जहर जानता हूँ!
जो दिल ने कहा मेरे वो लिख रहा हूँ, नहीं मैं ग़ज़ल की बहर जानता हूँ!
जो लोगों को लूटे यकीं छलनी करके, मैं देखो नहीं वो हुनर जानता हूँ!

अँधेरा है बेशक मगर अपने दिल को, उजालों का झिलमिल ये आकाश देना!
जो समझो यहाँ दर्द तुम आदमी का, जरा अपने दिल को वो एहसास देना!

मुझे है मोहब्बत हक़ीक़त से देखो, नहीं झूठ की मैं लहर जानता हूँ!
गमों का सफ़र है, कठिन जिंदगी है, मगर हार फिर भी नहीं मानता हूँ...

मैं ख्वाबों के दीपक जलाने लगा हूँ, मैं सपनों की दुनिया वसाने लगा हूँ!
मैं लफ्जों को कागज़ पे लिखने लगा हूँ, मैं भावों की सरिता बहाने लगा हूँ!
सुनो "देव" अपने ग़मों को मैं देखो, इरादों की लौ पर तपाने लगा हूँ!
मैं अपने ही हाथों से जीवन को अपने, हुनर जीतने का सिखाने लगा हूँ!

कभी हारकर भी नहीं हारना तुम, नहीं अपने जीवन को तुम श्राप मानो!
तपोगे तो कुंदन भी बन जाओगे तुम, सदा अपने दुख को गरम ताप मानो!

नहीं होता जब तक यकीं मुझको खुद पर, मैं अपने इरादे नहीं ठानता हूँ!
गमों का सफ़र है, कठिन जिंदगी है, मगर हार फिर भी नहीं मानता हूँ!"

............................…चेतन रामकिशन "देव"..................................
दिनांक-१५.११.२०१३ 

Thursday, 14 November 2013

♥♥मोहब्बत की खुशबु ...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मोहब्बत की खुशबु ...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मैं लफ्जों में संगीत भरने लगा हूँ, तेरे प्यार में मैं संवरने लगा हूँ!
तेरे प्यार की इस धवल रोशनी से, के मैं चांदनी सा निखरने लगा हूँ!
तुम्हारी छूअन से मैं फूलों की तरह, के बनकर के खुशबु बिखरने लगा हूँ!
तुम्हारे बिना था अमावस के जैसा, के अब बनके सूरज उभरने लगा हूँ!

तुम्हारी मोहब्बत के ये सिलसिले अब, नहीं आखिरी सांस तक कम करेंगे!
कभी तेरी आँखों में जो होंगे आंसू, तो हम अपनी आँखों को भी नम करेंगे!

तुमसे मोहब्बत हुई इतनी ज्यादा, के तुमसे बिछड़ने से डरने लगा हूँ!
मैं लफ्जों में संगीत भरने लगा हूँ, तेरे प्यार में मैं संवरने लगा हूँ.....

हैं तुमसे अनोखी हमारी ये रातें, के तुमसे अनोखे मेरे दिन हुए हैं!
तुम्हारी मोहब्बत से है खुशगवारी, के खुशियों से भीगे ये उपवन हुए हैं!
सुनो "देव" तेरी मोहब्बत से मन में, के चन्दन के मिश्रण से उबटन हुए हैं!
तुम्हारी मोहब्बत से पूजन किया है, तुम्हारी मोहब्बत से वंदन हुए हैं!

तुम्हारे बिना कुछ नहीं जिंदगी में, तुम्हारी जरुरत है अंतिम समय तक!
तुम्हारी मोहब्बत घुले शाम बनकर, तुम्हारी मोहब्बत हो सूरज उदय तक!

है तेरी फिकर मुझको खुद से भी ज्यादा, दुआ तेरी खातिर मैं करने लगा हूँ!
मैं लफ्जों में संगीत भरने लगा हूँ, तेरे प्यार में मैं संवरने लगा हूँ!"

..........................…चेतन रामकिशन "देव".................................
दिनांक-१४.११.२०१३

Tuesday, 12 November 2013

♥♥हमारी निगाहों से...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥हमारी निगाहों से...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
हमारी निगाहों से चाहत बयां हो, तुम्हारी नजर से मोहब्बत बयां हो!
तुम्हें देखें हम एक खुदा की नजर से, तुम्हारी नजर से इबादत बयां हो!
तुम्हारी दुआओं में शामिल रहूँ मैं, तुम्हारी नजर से इनायत बयां हो,
तुम्हें अपने दिल में वसाकर रहूँ मैं, तुम्हारी नजर से हिफाज़त बयां हो!

तुम्हारी मोहब्बत को पाकर देखो, मैं फूलों की तरह से खिलने लगा हूँ!
सलीका मुझे आ गया जिंदगी का, मैं तितली के रंगों से मिलने लगा हूँ!

मुझे देखकर तुमको आये सुकूं और तुम्हारी नजर से भी राहत बयां हो! 
हमारी निगाहों से चाहत बयां हो, तुम्हारी नजर से मोहब्बत बयां हो....

हमारी खुशी में तुम्हारी खुशी हो, तुम्हारी खुशी में हमारी खुशी हो!
हमारे अधर पे हो मुस्कान तुमसे, तुम्हारे अधर पे हमारी हँसी हो!
हमारे रंगों से जहाँ खूबसूरत, तुम्हारे रंगों से ये दुनिया हसीं हो,
हमारी मोहब्बत में हो तेरी पूजा, तुम्हारी मोहब्बत में मन्नत वसी हो!

महकने लगा हूँ, चहकने लगा हूँ, मैं ख्वाबों की दुनिया सजाने लगा हूँ!
तुम्हारी मोहब्बत ने बदला नजरिया, मैं सबको गले से लगाने लगा हूँ!

सुनो "देव" मैं गर सताऊँ तुम्हे जो,  तुम्हारी नजर से शरारत बयां हो!
हमारी निगाहों से चाहत बयां हो, तुम्हारी नजर से मोहब्बत बयां हो!"

.…चेतन रामकिशन "देव"…...
दिनांक-१२.११.२०१३

Friday, 8 November 2013

♥♥आशाओं के फूल....♥♥


♥♥♥♥♥आशाओं के फूल....♥♥♥♥♥♥
आशाओं के फूल चुनेंगे!
नए नवेले स्वप्न बुनेंगे!
मधुर भावना, मधुर कामना का,
सुन्दर संगीत सुनेंगे !

कभी हारकर अपना साहस, सहमे सहमे नहीं रहेंगे!
राहों में यदि कंटक होंगे, तो हम उनकी चुभन सहेंगे!

यदि हार भी जाते हैं तो, जीत का फिर प्रयास करेंगे!
हम धरती से आसमान तक, उड़ने का अभ्यास करेंगे!

नहीं कुशल हो सकते जब तक,
अपनी गलती नहीं गिनेंगे!
मधुर भावना, मधुर कामना का,
सुन्दर संगीत सुनेंगे…।

हम कागज़ की नाव बनाकर, तैराकी का अधिगम लेंगे!
हम पीड़ा के सात सुरों से, संघर्षों की सरगम लेंगे!

हम जीवन के अंतिम क्षण तक, न थक कर विश्राम करेंगे!
मानवता के पैर पूजकर, अपने चारों धाम करेंगे!

"देव" सदा अपने कर्मों से,
मानवता की शान बनेंगे!
मधुर भावना, मधुर कामना का,
सुन्दर संगीत सुनेंगे!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-०९.११.२०१३ 

Wednesday, 6 November 2013

♥♥मोहब्बत की चांदनी....♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मोहब्बत की चांदनी....♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तुम्हारी मोहब्बत की इस चांदनी ने, के मिटटी से सोना मुझे कर दिया है!
के आँखों को मेरी दिखाए हैं सपने, के खुशियों से आंगन मेरा भर दिया है!
तुम्ही ने बहाकर के भावों की सरिता, मेरी लेखनी को अमर कर दिया है,
के जीता हूँ हंसकर मैं गाकर के अब तो, के तुमने हंसी का असर कर दिया है!

मोहब्बत की बातें सुहानी लगे हैं, के जबसे तुम्हारी मोहब्बत मिली है!
के जीवन में बरसी ये सावन की बारिश, के साँसों में तेरी ही खुशबु घुली है!

मैं आँखों के सपने सजाने लगा हूँ, के तुमने ही ऐसा हुनर कर दिया है!
तुम्हारी मोहब्बत की इस चांदनी ने, के मिटटी से सोना मुझे कर दिया है....

मेरे साथ रहना सदा जिंदगी भर, मैं पल भर की दूरी नहीं सह सकूंगा!
के साँसों के बिन तो मैं जी लूंगा शायद, मगर बिन तुम्हारे नहीं रह सकूंगा!
बिना तेरे थम जाए मेरी रवानी, के मैं बनके सागर नहीं बह सकूंगा,
के पढ़लो मेरी आँखों में "देव" चाहत, मैं लफ्जों से कुछ भी नहीं कह सकूंगा!

मैं तेरे ख्यालों में जीता हूँ क्यूंकि, तुम्हे प्यार दिल से मैं करने लगा हूँ!
तुम्हारी मोहब्बत की इस चांदनी से, के मैं रोशनी सा निखरने लगा हूँ!

के तुमने ही जीवन के पतझड़ को मेरे, के हाथों से छूकर शज़र कर दिया है!
तुम्हारी मोहब्बत की इस चांदनी ने, के मिटटी से सोना मुझे कर दिया है!"

........................…चेतन रामकिशन "देव"…............................

दिनांक-०६.११.२०१३

Tuesday, 5 November 2013

♥♥लफ्जों की मोहब्बत....♥♥

♥♥♥♥♥लफ्जों की मोहब्बत....♥♥♥♥♥♥♥
सवेरा लिखा है,
उजाला लिखूंगा,
के मैं रोशनी का सितारा लिखूंगा!

भले घिर गया हूँ, 
मैं तूफां में लेकिन,
मैं कश्ती का अपनी किनारा लिखूंगा!

भले दर्द है पर,
ये है सांस जब तक,
मैं जीवन का अपना गुजारा लिखूंगा!

न नफरत से नाता है,
मेरे कलम का,
मैं चाहत का दिलकश नजारा लिखूंगा! 

है लफ्जों से मुझको, मोहब्बत बहुत ही,
इसी वास्ते मैं यूँ लिखने लगा हूँ!

कभी बनके सूरज मैं लफ्जों में शामिल,
कभी चाँद बनकर के, दिखने लगा हूँ!

मैं धरती में जमती,
नयी एक लता को,
के पेड़ों के बल का सहारा लिखूंगा!

सवेरा लिखा है,
उजाला लिखूंगा,
के मैं रोशनी का सितारा लिखूंगा ....

नहीं खवाब अपने,
के तोडूंगा खुद ही,
मैं उनको सजाने की कोशिश करूँगा!

मैं लफ्जों से अपने,
मोहब्बत की बूंदें,
के लोगों के दामन में हर पल भरूंगा!

सुनो "देव" नफरत,
करो चाहें मुझसे,
मैं लेकिन नहीं तुमसे नफरत करूँगा!

ये दामन है मेरा,
के फूलों की तरह,
मैं काँटों के जैसी न फितरत करूँगा!

के खेतों में जलती,
झुलसती फसल को,
मैं लफ्जों से पानी की धारा लिखूंगा! 

सवेरा लिखा है,
उजाला लिखूंगा,
के मैं रोशनी का सितारा लिखूंगा!"


….....…चेतन रामकिशन "देव"………।
दिनांक-०६.११.२०१३

♥♥देखने सोचने में....♥♥

♥♥♥♥♥देखने सोचने में....♥♥♥♥♥♥♥
देखने सोचने में, वक़्त नहीं ज़ाया करो!
हम तो आ जायेंगे एक पल में, तुम बुलाया करो !

मैं तो नादां हूँ, मुझे प्यार नहीं आता है,
अपने लफ्जों से मुझे प्यार, तुम सिखाया करो!

चांदनी से मेरे चेहरे की, सजावट करके,
तोड़कर तारे मेरी मांग को, तुम लाया करो!

बिन तेरे दिन न मेरी, रात गुजरती देखो,
एक पल को ही सही, पास मेरे आया करो!

रात का स्याह अँधेरा, जो डराये तुमको,
एक दीपक मेरी यादों का, तुम जलाया करो!

धूप सूरज की मेरे पाओं, जलाये जब भी,
बनके सावन की घटा, मुझपे सखी छाया करो!

"देव"  नफरत का असर, खुद ही ये मिट जायेगा,
प्यार के गीत मुझे, हर घड़ी सुनाया करो!"

…....…चेतन रामकिशन "देव"…....... 
दिनांक-०५.११.२०१३

Saturday, 2 November 2013

♥मक़सद सिर्फ उजाले का हो...

♥♥♥♥मक़सद सिर्फ उजाले का हो...♥♥♥♥♥
दीप जलें या सीने का दिल, मक़सद सिर्फ उजाले का हो!
न झगड़ा हो जात-मजहब का, न गोरे, न काले का हो!

काश दीवाली के मौके पर, कंडीलों से वो घर दमकें,
अब तक जिस आंगन से नाता, बस मकड़ी के जाले का हो!

एक दूजे से प्यार करें सब, नहीं सियासत आग लगाये,
नहीं धार हो तलवारों में , न प्रशिक्षण भाले का हो!

एक दिन मेहनत रंग लाएगी, नहीं इरादे डिगने देना,
खुद से ज्यादा यकीं कभी न, इस किस्मत के ताले का हो!

"देव" मुझे होली, दीवाली, ईद, दशहरा तब भायेगा,
जब खुद की पीड़ा से पहले, दुख मुफलिस के छाले का हो! "

...................…चेतन रामकिशन "देव"….....................
दिनांक-०३.११.२०१३

♥♥प्रेम का प्रभुत्व.♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥प्रेम का प्रभुत्व.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
दीप की ज्योति में अब तो, तेरा ही प्रभुत्व है! 
मेरे जीवन का सखी अब, तुझसे ही अस्तित्व है!

तुझको सुनकर मन भरे न, रात दिन सुनता रहूँ!
अपनी आँखों में तेरे बस, स्वप्न मैं बुनता रहूँ!
ओस की बूंदों से तेरा, नाम लिखकर हाथ पर!
तुझको देखूं सुबह उठकर, तुझको सोचूं रात भर! 

तुझसे ही जीवन में मेरे, फूल का ये सत्व है!
दीप की ज्योति में अब तो, तेरा ही प्रभुत्व है ....

आगमन जब से तुम्हारा, मेरे आंगन में हुआ है!
तब से हर दिन मेरा जीवन, प्रेम से पूरित हुआ है!
मैं तुम्हारे हाथ छू लूँ, जिस घड़ी जिस रोज भी,
ऐसा लगता है के रेशम, मैंने हाथों से छुआ है!

तुमसे ही सम्बन्ध मन का, तुमसे ही अपनत्व है!
दीप की ज्योति में अब तो, तेरा ही प्रभुत्व है! 

तेरा ये सानिध्य पाकर, मेरे मन में हर्ष है!
ये दीवाली है निराली, चांदनी का दर्श है!
"देव" तुमसा प्यारा कोई सारे जग में है नहीं,
तू ही मेरी प्रेरणा है, तू मेरा आदर्श है!

तू ही मेरी आत्मा के, प्रेम के अमरत्व है!
दीप की ज्योति में अब तो, तेरा ही प्रभुत्व है!"

..........…चेतन रामकिशन "देव"….............
दिनांक-०२.११.२०१३

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सर्वाधिकार सुरक्षित, मेरी ये रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित"

Friday, 1 November 2013

♥♥♥उजियारा..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥उजियारा..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
खुशियों के दीपक जल जायें, बस हर घर में उजियारा हो!
हिंसा, नफरत, द्वेष रहे न, ये भारत इतना प्यारा हो!
एक दूजे के दर्द को समझें, प्यार करें, अपनायत रखें,
सब हो जायें एक दूजे के, सबका एक ही घर द्वारा हो!

ये त्यौहार यही कहते हैं, प्यार वफा की डोर न टूटे!
साथ रहे अच्छे लोगों का, कभी किसी का साथ न छूटे!

न अधरों पर कड़वाहट हो, न आँखों में अँधियारा हो!
खुशियों के दीपक जल जायें, बस हर घर में उजियारा हो....

एक दूजे के साथ सभी का, वक़्त ख़ुशी ये कट जाये!
नफरत का ये काला बादल, सारी दुनिया से छंट जाये!
"देव" जहाँ में सबसे पहले, जात हमारी इंसानों की,
एक दूजे की खुशियां अपनी, एक दूजे का दुख बंट जाये!

जब आपस में मिलकर के हम, जीवन का आगाज़ करेंगे!
उस दिन देखो खुले गगन में, हम खुलकर परवाज़ करेंगे!

नहीं दवा को तरसे कोई, न रोटी का दुखियारा हो!
खुशियों के दीपक जल जायें, बस हर घर में उजियारा हो!"

....................…चेतन रामकिशन "देव"…....................
दिनांक-०१.११.२०१३

♥♥निर्धन की आतिशबाजी..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥निर्धन की आतिशबाजी..♥♥♥♥♥♥♥♥
धन की वर्षा होती है पर, निर्धन के आँगन से बाहर,
निर्धन के आंगन में हर दिन, पीड़ा के अंकुर उगते हैं!

खून पसीने की मेहनत से, जो खेतों में अन्न उगाता,

उस कृषक के नंगे तन पे, सर्दी के कांटे चुभते हैं!

आज सवेरे नजर पड़ी जब, मेरी सड़कों, फुटपाथों पर,

बिना फुंकी आतिशबाजी को, निर्धन के बच्चे चुनते हैं! 

चाहें कोई सियासी हो या दफ्तर का कोई ऊँचा अफसर,

इन लोगों के कान भला कब, निर्धन की पीड़ा सुनते हैं!

"देव" भला वो क्या देखेंगे, निर्धन के दामन के कांटे,

जिन लोगों ने बचपन से ही, अय्याशी के सुख भुगते हैं!" 

................…चेतन रामकिशन "देव"…..................

दिनांक-01.11.2013