Thursday, 17 March 2011

-----------------------------------------"दिल"----------------------------------


-----------------------------------------"दिल"----------------------------------
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"ये दिल ऐसा होता है जी!
किसी का चेहरा होता है जी!
फिर भी तोड़ा जाता है दिल,
क्यूँ य दिल दर्पण होता है जी!

किसी का जीवन होता है जी!
किसी का आँगन होता है जी!
फिर भी छोड़ा जाता है दिल,
क्यूँ ये मुमकिन होता है जी!

एक गुलशन होता है जी!
एक उपवन होता है जी!
सूख गया तो फ़ेंक दिया,
क्यूँ ये मुमकिन होता है जी!

एक दीया होता है जी!
फिर रोशन होता है जी!
मन भरने पर बुझा दिया,
क्यूँ ये मुमकिन होता है जी!

मेरा दिल भी अब टूटा जी!
उसका अपना रूठा जी!
"देव" को तन्हा बना दिया,
क्यूँ ये मुमकिन होता है जी!"

("तो आइये किसी का दिल तोड़ने से पहले सोचें,क्यूंकि बहुत तकलीफ होती है जी!-चेतन रामकिशन ") 


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