--------------------------------------------♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्रेम ( एक अविरल धारा)-------------
" प्रेम धरा है, प्रेम गगन है, प्रेम नयी अभिलाषा है!
प्रेम मिलन है, प्रेम विरह है, प्रेम मधुर सी भाषा है!
प्रेम है सोहनी, प्रेम जुलिएट, प्रेम अतीत की गाथा है!
प्रेम है लैला, प्रेम है मंजनु , प्रेम किशन और राधा है!
प्रेम है पूजा, ईश वंदना, जन्नत का दरवाजा है!
प्रेम आस्था, प्रेम समर्पण, प्रेम मधुर परिभाषा है!
प्रेम हर्ष है, प्रेम क्रोध है, अश्रु भी प्रेम बहाता है!
प्रेम है चन्दन, प्रेम ताजगी, प्रेम विजय की आशा है!
प्रेम चांदनी, प्रेम घटा है, इन्द्रधनुष सा छाता है!
प्रेम ना सीमा, "देव"ना बंदिश, प्रेम तो बस बिन बाधा है!
"सच है कि प्रेम में दिल टूटते हैं, लेकिन प्रेम का सिद्धांत दिल तोड़ना नहीं सिखाता! वो तो लोग होते हैं जो अपने स्वार्थ के लिए प्रेम कि हत्या कर देते हैं! तो आओ प्रेम कि प्रगति के लिए प्रेम करें!---चेतन रामकिशन (देव)"
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