Thursday, 17 March 2011

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 "मेरे शब्दों की शक्ति है, भाषा की जान है वो!
  मेरे अतीत का हिस्सा है,मेरा आत्मज्ञान है वो!

अँधेरी राह पर चलती है, मेरे संग लेकर दिए,
 चांदनी सी है उज्जवल, प्रकाशवान है वो!   


हिंदी सी शुद्ध है वो, नित इतिहास की निर्माता]
सुन्दर सी कविता है, बेहतर कलाम है वो!


मुझको कभी सताए, कभी मुस्कराहट बख्शे,
मेरे मन की व्याकुलता है, मेरा इत्मिनान है वो!


हर एक मुश्किल में निभाती है वो साथ मेरा ,
है पवित्र मित्रता सी ,"देव" का  प्रेमज्ञान है वो!"


( आप किसी से जैसी भी आस्था रखें, मगर उसमे प्रेम, विश्वास, समर्पण, ईमानदारी और सत्यता होनी चाहिए!")

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