Thursday, 17 March 2011

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥ प्रेम ( सुनहरे पल)♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥ प्रेम ( सुनहरे पल)♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
" जब से प्यार दिया है उसने, रिमझिम सी बरसात हुई!
 दिन में चैन मिला है मुझको, महकी महकी रात हुई!
 सुन्दर नहीं वो अतिसुन्दर है, रंग चांदनी का हो जैसा!
 अँधेरे में भी रोशन कर दे, अंग रौशनी का हो जैसा!
 होठो से वो कुछ ना बोले, लज्जा की सौगात हुई!
 आंख मिली और दिल धड़का, नैनन में ही बात हुई!

दिन में चैन मिला है मुझको, महकी महकी रात हुई..... ♥♥♥♥

काव्य ग्रंथ है, प्रेम ग्रंथ है, सूरत में भगवान हो जैसा!
पुष्प सुगन्धित, नदी की कल कल, प्रकृति का वरदान हो जैसा!
प्रेममयी है, सोम्य सरल है, नफरत पर आघात हुई!
साथ चली और दिल धड़का, नैनन में ही बात हुई!

दिन में चैन मिला है मुझको, महकी महकी रात हुई..... ♥♥♥♥

अमृत घोले, जब वो बोले, बोली में कोई गान हो जैसे!
साफ नियत की ईश वंदना, सच्चा और ईमान हो जैसे!
"देव" सी हर्षित, प्रेम प्रतिमा, जीवन का प्रभात हुई!
साथ चली और दिल धड़का, नैनन में ही बात हुई!

दिन में चैन मिला है मुझको, महकी महकी रात हुई..... ♥♥♥♥



















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