Monday, 31 December 2012

♥♥साल दर साल..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥साल दर साल..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
एक साल के बाद दूसरा, साल तीसरा आ जाता है!
लेकिन मुफ़लिस का चेहरा कब, दो पल को भी मुस्काता है!

आसमान तो रंग जाता है, बेशक इस आतिशबाजी से,
पर मुफ़लिस के घर का दीपक, बिना तेल के बुझ जाता है!

दिल्ली जैसे बड़े शहर के, ये हालात हुए हैं अब तो,
एक औरत का चलती बस में, देखो यौवन लुट जाता है!

चलो लगाते हैं उम्मीदें, नए साल से हम फिर यारों,
क्या कुछ हमको मिलता है या रहा सहा भी लुट जाता है!

यहाँ शहीदों के शव देखो, "देव" बड़े चुपके से जलते,
और नेता की मौत पे यारों, देश का झंडा झुक जाता है!"

.......................चेतन रामकिशन "देव".......................
दिनांक--०१.०१.२०१३

Sunday, 30 December 2012

♥संग्राम( सम्मान का आहवान)♥


♥♥♥♥♥संग्राम( सम्मान का आहवान)♥♥♥♥♥♥
घर में क़ैद नहीं होना है, डरकर के इन गद्दारों से!
नहीं हारनी होगी हिम्मत, अब ऐसे अत्याचारों से!

तुमको ज्वाला बनना होगा, तुम्हे युद्ध करना ही होगा!
तुमको अपनी रगों में देखो, गर्म लहू भरना ही होगा!
यदि नहीं जागी तू अब भी, तो संग्राम नहीं हो सकता,
इसी तरह फिर चोराहे पर, तुझको यूँ मरना ही होगा!

रणभूमि में उतर जा अब तू, धार लगाकर तलवारों से!
घर में क़ैद नहीं होना है, डरकर के इन गद्दारों से....

तुमको अपनी शक्ति से अब, गौरवगाथा लिखनी होगी!
नहीं सरलता कोई समझता, दंड की भाषा लिखनी होगी!
तुम नारी हो, तुम मानव हो, तुम कोई पाषाण नहीं हो,
तुमको अब जीवित होने की, ये परिभाषा लिखनी होगी!

हमको लोहा लेना होगा, ऐसे मैले घातक किरदारों से!
घर में क़ैद नहीं होना है, डरकर के इन गद्दारों से....

न नव वर्ष मनाने भर से, ये उत्पीड़न नहीं थमेगा!
इस तरह से दुःख में रहकर, उर्जा सेतु नहीं बनेगा!
नए साल के नए दिवस में, तुम संकल्प जगाओ मन में,
नया साल का दिवस ये पहला, एक क्रांति दिवस बनेगा!

नहीं संकुचित होना है अब, "देव" नमक की बोछारों से!
घर में क़ैद नहीं होना है, डरकर के इन गद्दारों से!"

"
नारी-शक्ति का संचार करना ही होगा तुम्हे, ये राम राज नहीं है,
ये सतयुग भी नहीं है, ये तो ऐसा युग है जहाँ, मानव की शक्ल में 
भेड़िये घूमते हैं, नर पिशाच घूमते हैं..तो आइये नए साल के प्रथम दिवस को क्रन्ति उर्जा दिवस के रूप में मनाकर..शक्ति का विस्तार करें.."

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-३१.१२.२०१२ 

"उक्त रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित"

Friday, 28 December 2012

♥निशा की बेला..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥निशा की बेला..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
निशा की बेला देखो फिर से, चिंतनशील अवस्था लाई!
कहीं हर्ष की धवल चांदनी, कहीं दुखों की स्याही छाई!

किन आँखों से सपने देखूं, और कैसे साकार करूँ मैं!
पीड़ा का ये गहरा सागर, आखिर कैसे पार करूँ मैं!
जब भी आशा रखी मैंने, भाग्य विधाता रूठ गया है,
किन्तु मानव होकर कैसे, पत्थर जैसी मार करूँ मैं!

बुरे समय में जो अपनी थी, वो शक्ति भी हुई पराई!
निशा की बेला देखो फिर से, चिंतनशील अवस्था लाई!"

....................चेतन रामकिशन "देव"......................
दिनांक-२८.१२.२०१२

Wednesday, 26 December 2012

♥दिवाकर.♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥दिवाकर.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
न बनना पर्याय तिमिर का, न ही कभी निशाचर बनना!
जो दुनिया को उज्जवल कर दे, ऐसे सदा दिवाकर बनना!

दुःख की वर्षा और अश्रु को, जो अपने में मिश्रित कर ले,
तुम अपनी इच्छा शक्ति से, गहरे जल के सागर बनना! 

जब मृत्यु आएगी उसको, नहीं रोक सकते हो किन्तु,
इस जीवन का जीते जी पर, तुम न कभी अनादर बनना!

काम करो कुछ ऐसा जिससे, जन मानस भी तुम्हे सराहे,
सच की हत्या करके न तुम, झूठ का कोई समादर बनना!

घनी अमावस की रातों की, धुंध छांटकर जो आ जाये,
"देव" यहाँ इस दुनिया में तुम, ऐसे धवल सुधाकर बनना!"

......................चेतन रामकिशन "देव"............................
दिनांक-२७.१२.२०१२

Saturday, 22 December 2012

♥अजनबी मोहब्बत..♥


♥♥♥♥♥अजनबी मोहब्बत..♥♥♥♥♥♥
जिसके प्यार से मैंने घर महकाया था!
जिसकी खातिर सपना नया सजाया था!
आज वही इन्सान अजनबी बनता है,
जिसने अपने दिल में मुझे वसाया था!

शीशमहल के सारे शीशे टूट गए,
ताजमहल का रंग भी फीका लगता है!

सारी दुनिया सो जाती है पर लेकिन,
रात रात भर मेरा ये दिल जगता है!

रूह का रिश्ता पल भर में खामोश किया,
प्यार यहाँ बस मुझे किताबी लगता है!

चुभन दर्द की इतनी ज्यादा है यारों,
साँस भी तो लूँ मानो, खंजर चुभता है!

आज उसी ने "देव" अँधेरा बख्शा है,
जिसने मेरे घर में दीप जलाया था!
आज वही इन्सान अजनबी बनता है,
जिसने अपने दिल में मुझे वसाया था!"

..........चेतन रामकिशन "देव"...........
दिनांक-२२.१२.२०१२

Thursday, 20 December 2012

♥प्रेम की सरगम..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥प्रेम की सरगम..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सात सुरों की सरगम हो तुम, फूलों की मकरंद!
सखी गीत की तुम्ही आत्मा, तुम्ही सोरठा, छंद!
क्रोध नहीं है, शोक नहीं है, नहीं नयन में नीर,
सखी तुम्हारे प्रेम से मेरे, जीवन में आनंद!

मेरे मन के अंत:कवच में, सखी तुम्हारा वास!
तुम्ही मेरी कार्य कुशलता, तुम्ही मेरा विश्वास!

सखी तुम्हारे प्रेम से दुःख भी करता है स्पंद!
सात सुरों की सरगम हो तुम, फूलों की मकरंद..

तुम सहचर हो, तुम शिक्षक हो, तुम्ही ज्ञान का कोष!
तुम जिह्वया का अनुकथन हो, तुम ही हो संतोष!
सखी तुम्हारे प्रेम से मन में, जीवित नही विकार,
न ही मन में दुरित भावना, न ही कोई रोष!

सखी तुम्हारे प्रेम से उज्जवल हुई हमारी रात!
सखी तुम्हारा प्रेम सरल है, नहीं कोई आघात!

सखी तुम्हारे प्रेम से मन भी करता है स्कन्द!
सात सुरों की सरगम हो तुम, फूलों की मकरंद..

सखी तुम्हारे प्रेम से मेरा, जीवन हुआ नवीन!
तुम सुन्दर हो, मनोहारी हो, सखी बड़ी शालीन!
सखी कभी न क्षण भर को भी, "देव" से जाना दूर,
तुम बिन मेरी दशा हो ऐसी, जैसी जल बिन मीन!

तुम्ही मन्त्र हो, तुम्ही शगुन हो, तुम्ही हमारा जाप!
सखी प्रेम से हर्षित है मन, न कोई संताप!

सखी प्रेम से हिंसा का पथ, हो जाता है बंद!
सात सुरों की सरगम हो तुम, फूलों की मकरंद!"

"
प्रेम न केवल सरगम, बनकर जीवन को आनन्दित करता है अपितु जीवन को मार्गदर्शन और शक्ति भी प्रदान करता है! प्रेम, जहाँ जिन घरों, जिन ह्रदयों में होता है, वहां लोग अभावों में भी..जीवन को प्रसन्नता के साथ व्यतीत करते हैं! तो आइये प्रेम करें...."

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-२१.१२.२०१२

" मेरी ये रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित"

Wednesday, 19 December 2012

♥♥♥♥विरह की पतझड़.♥♥♥



♥♥♥♥विरह की पतझड़.♥♥♥
समय विरह का जब से आया,
नयन ने हर क्षण नीर बहाया!
हुए स्वप्न भी धुंधले धुंधले,
मुख मंडल भी है मुरझाया!

निशा हर्ष की लुप्त हुयी है,
और दिवस में दुख की छाया!
भरी दुपहरी में सूरज ने,
अग्नि बनकर मुझे जलाया!

रंग बिरंगे उपवन में भी,
कोई सुमन मन को न भाया!
जिस तुलसी को पूजा तुमने,
उस पौधे पर पतझड़ आया!

नहीं सुहाते मिलन गीत अब,
कंठ ने दुख का राग सुनाया!
तेरी याद ने मेरे मन को,
साँझ सवेरे सखी रुलाया!

अपने घर आ जाओ वापस,
करुण भाव से तुम्हे बुलाया!
हुए स्वप्न भी धुंधले धुंधले,
मुख मंडल भी है मुरझाया!"

....(चेतन रामकिशन "देव")...१९.१२.२०१२....

Sunday, 16 December 2012

♥खुशनुमा माहौल..♥♥


♥♥♥♥♥♥खुशनुमा माहौल..♥♥♥♥♥♥♥
प्यार का खुशनुमा माहौल मुझे भाता है!
हर जगह तेरा ही हमदम ख्याल आता है!
प्यार जैसी नहीं दुनिया में दवा कोई भी,
प्यार में आदमी नफरत को भूल जाता है!"

....(चेतन रामकिशन "देव")...१६.१२.२०१२.....

Saturday, 15 December 2012

♥सुनहरा प्यार..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥सुनहरा प्यार..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
जन्मदिवस पर माँ ने मुझको प्रेषित किया दुलार!
आप सभी मित्रों ने मुझको दिया ह्रदय से प्यार!

इतना सारा प्यार मिला के, आंख मेरी भर आई!
आप सभी में दिखती मुझको, ईश्वर की परछाई!

माँ का वंदन करता हूँ मैं, मित्रों का आभार!
जन्मदिवस पर माँ ने मुझको प्रेषित किया दुलार!"

.......(चेतन रामकिशन "देव")...१६.१२.२०१२.....

Wednesday, 12 December 2012

♥शब्दों की डोर..♥

♥♥♥♥♥♥♥शब्दों की डोर..♥♥♥♥♥♥♥♥
शब्द से शब्द की एक डोर बना देंगे हम!
अपनी आवाज को पुरजोर बना देंगे हम!

अपने भावों को हकीक़त का आवरण देकर,
दर्द की रात को भी भोर बना देंगे हम!

हमको इतना तो यकीं अपने होंसले पर है,
गम के एहसास को कमजोर बना देंगे हम!

किसी भी मुल्क की ताकत है नौजवानों से,
अपने भारत को भी सिरमौर बना देंगे हम!

"देव" धुल जाएगी ये दिल से काई नफरत की,
प्यार की वर्षा को घनघोर बना देंगे हम!"

..........चेतन रामकिशन "देव".............(१२.१२.२०१२)


Tuesday, 11 December 2012

♥मेरा वतन..♥


♥♥♥♥♥♥♥मेरा वतन..♥♥♥♥♥♥♥♥
मेरा ये मुल्क मेरा वतन बेहतरीन है!
कश्मीर भी सुन्दर है, उड़ीसा हसीन है!

गंगा के साथ बहती है, यमुना भी यहाँ पर,
पूजा के फूल जैसी ये पावन जमीन है!

चन्दन की खुश्बू से है ये माहौल खुशनुमा,
आवोहवा देखो यहाँ ताजातरीन है!

झरने यहाँ देते हैं, मोहब्बत की ताजगी,
और देखो हिमालय की बरफ महजबीं है!

मस्जिद में यहाँ "देव" नमाजी की इबादत,
मंदिर में पुजारी कोई भक्ति में लीन है!"

..........चेतन रामकिशन "देव".............(११.१२.२०१२)

Sunday, 9 December 2012

♥गम की उथल-पुथल..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥गम की उथल-पुथल..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
ये सच है के इस जीवन में, गम की उथल-पुथल होती है!
लेकिन अपने मन की हिम्मत, हर मुश्किल का हल होती है!

वही लोग इस जीवन पथ में, देखो मंजिल को पाते हैं,
जिनकी अपने लक्ष्य की खातिर, हर पल सोच अटल होती है!

होने को तो लोग बहुत हैं, नहीं मगर उम्दा हर कोई,
उम्दा लोगों की ख्वाहिश तो, निर्मल और अछल होती है! 

जो दुनिया में मानवता के, दीप जलाते हैं जीवन भर,
उनसे रौशन आसमान हो, उनसे जगमग थल होती है!

"देव" मुझे अपनी चाहत पर, यकीं है देखो खुद से ज्यादा,
चोट मुझे लगती है लेकिन, उसकी आंख सजल होती है!"

......................चेतन रामकिशन "देव"........................

♥प्रेम की अनुभूति..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥प्रेम की अनुभूति..♥♥♥♥♥♥♥♥♥
जब से मन को बना लिया है सखी तेरा आवास!
सात समुंदर पार भी होकर तू लगती है पास!
तेरी निशानी में दिखता है सखी तुम्हारा रूप,
मेरे गीत में, मेरे छंद में, सखी तुम्हारा वास!

हर्षित मन की अनुभूति में रहे तुम्हारी प्रीत!
मेरे दुख में धेर्य बंधाते, तुम मुझको मनमीत!

तेरे प्रेम से दमक रहे हैं, जल, भूमि, आकाश!
जब से मन को बना लिया है सखी तेरा आवास..

तेरे ध्यान से खिल जाते हैं, फूलों के भी रंग!
तेरी याद में दिखलाती है, तितली बड़ी उमंग!
मेरी सखी तू दूर भी रहकर नहीं "देव" से दूर,
दिवस तुम्हारे साथ है मेरा, निशा तुम्हारे संग!

दूर है अपनी देह भले ही पर मन तो है एक!
प्रेम के निश्चल भाव ये देखो, सखी बड़े ही नेक!

सखी एक दिन रंग लायेगा, अपना ये विश्वास!
जब से मन को बना लिया है सखी तेरा आवास!"
.................चेतन रामकिशन "देव"..................

Saturday, 8 December 2012

♥प्यार के फूल..♥



♥♥♥♥♥♥♥♥प्यार के फूल..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
अपने दिल से जरा नफरत को भुलाते रहिए!
प्यार के फूल जमाने में खिलाते रहिए!

दर्द भी देखो नहीं अपना दिल दुखाएगा,
प्यार की लोरी से हर गम को सुलाते रहिए!

आज है हार तो कल जीत भी मिल जाएगी,
दिया उम्मीद का तुम दिल में जलाते रहिए!

खुद की भी कमियां तुम्हें दिखने लगेंगी यारों,
अपनी आंखें जरा शीशे से मिलाते रहिए!

एक दिन "देव" वो वापस जरुर आयेंगे,
प्यार के साथ मगर उनको बुलाते रहिए!"

.............चेतन रामकिशन "देव"............



Thursday, 6 December 2012

♥इक ख्वाब नया..♥


♥♥♥♥♥♥♥इक ख्वाब नया..♥♥♥♥♥♥
दर्द को क्यूँ भला कमजोरी बनाया जाये!
अपनी हिम्मत से चलो दर्द मिटाया जाये!

क्या हुआ जो ये मेरा ख्वाब टूटकर बिखरा,
चलो इक ख्वाब नया फिर से सजाया जाये!

आज के नेता तो रहते इसी फिराक में बस,
कौन से मुद्दे पे जनता को लुभाया जाये!

कब कहाँ मिलता है नफरत से ज़माने में कुछ,
आओ इक दीप मोहब्बत का जलाया जाये!

"देव" जिन लोगों ने बख्शी हमे आज़ादी है,
उनके सजदे में चलो सर को झुकाया जाये!"

.............चेतन रामकिशन "देव"...............






Wednesday, 5 December 2012

♥हुनर..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥हुनर..♥♥♥♥♥♥♥♥♥
जिंदगी में चलो कोई हुनर इजाद करो!
न यूँ मायूसी में तुम जिंदगी बर्बाद करो!

जो तुम्हे दे के गया गम के अँधेरे यारों,
क्यूँ भला ऐसे रकीबों को कभी याद करो!

दर्द को बहने दो आँखों से आंसुओं की तरह,
क्यूँ उदासी से भला, जिंदगी नाशाद करो!

तुम यहाँ सीखो अंधेरों में उजाला करना,
न अँधेरे से कहीं जाने की फरियाद करो!

तेरे गम "देव" जिंदगी से चले जायेंगे,
अपने जज्बात तपाकर के जो फौलाद करो!

...........चेतन रामकिशन "देव"............

♥♥नया जनम..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥नया जनम..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
नहीं मिले इस जनम में तो क्या, जनम कई अगले आने हैं!
अपनी रूहें मिल जाएँगी, अपने दो दिल मिल जाने हैं!

नए जनम में हम तुम सजनी, एक दूजे के बन जायेंगे!

न कोई मज़बूरी होगी, न घरवाले ठुकरायेंगे!
हम दोनों भी पंख लगाकर, छुएंगे इस नील गगन को,
जीवन पथ रेशम सा होगा, फूल खुशी के खिल जायेंगे!

नए जनम में मेरी सजनी, दीप मिलन के जल जाने हैं!

नहीं मिले इस जनम में तो क्या, जनम कई अगले आने हैं!"

..........................चेतन रामकिशन "देव"..........................

Tuesday, 4 December 2012

♥♥जिंदगी..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥जिंदगी..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
जब भी आंसू मेरी आँखों से छलक आया है!
जिंदगी तूने मुझे सीने से लगाया है!

रात हो कितनी भी गहरी यहाँ मेरे यारों,
हर सुबह फिर से उजाले का जिक्र आया है!

वो मुझे उम्र भर हरगिज़ भुला नहीं सकता,
जिसने एक रोज मुझे रूह में वसाया है!

जिंदगी में कभी गिरने से नहीं डरना तुम,
ठोकरों ने ही मुझे चलना फिर सिखाया है!

उसके ही नाम को रखती है याद ये दुनिया,
"देव" जिस शख्स ने, पत्थर में गुल खिलाया है!"

................चेतन रामकिशन "देव"...................










♥मधुरिमा .♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मधुरिमा .♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मधुरिका हो, मधुरिमा हो, तुम पूनम की धवल निशा हो!
तुम ही मेरी सहयोगी हो, तुम जीवन की सही दिशा हो!

तुम वीणा की मधुर ध्वनि हो, तुम भावुक हो, तुम्ही सजल हो!
तुम हो इत्र चमेली जैसा, तुम मोहक हो, तुम्ही कमल हो!
तुमसे मिलकर मेरा जीवन, इन्द्रधनुष के रंग रंगा है,
तुम पावन हो पूजा जैसी, तुम निश्चल हो, तुम्ही सरल हो!

तुम ही मेरा जीवन दर्शन, तुम ही मेरी जिजीविषा हो!
मधुरिका हो, मधुरिमा हो, तुम पूनम की धवल निशा हो!"

........................चेतन रामकिशन "देव"........................


Monday, 3 December 2012

♥♥सवेरा♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥सवेरा♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
रात भर माँ की दुआओं का असर होता रहा!
दर्द में भी जो बड़े चैन से मैं सोता रहा!

उसके ही ख्वाब हकीक़त का सफ़र पाते हैं,
ख्वाब की चाह में जो अपनी नींद खोता रहा!

एक पल में ही यहाँ देखो बदलती किस्मत,
आज वो हँसता है, जो सारी उम्र रोता रहा!

उसके ही दिल में प्यार की फसल जवान हुई,
प्यार के बीज जो दिल की जमीं में बोता रहा! 

मुझे भी दर्द है पर "देव" मैं मायूस नहीं,
रात के बाद सवेरा भी यहाँ होता रहा!"

..............चेतन रामकिशन "देव"..................




♥धवल चांदनी ♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥धवल चांदनी ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
आसमान से चाँद ने देखो, धवल चांदनी बरसाई है!
सपनों का उपहार समेटे, निशा सुनहरी घिर आई है!

तारों को मुख मंडल देखो, खिला है सुन्दर फूलों जैसा!
रात का उत्सव इतना प्यारा, है सावन के झूलों जैसा!

रात की रानी की खुश्बू ने, सारी दुनिया महकाई है!
आसमान से चाँद ने देखो, धवल चांदनी बरसाई है!"

...............चेतन रामकिशन "देव"..................

Sunday, 2 December 2012

♥आखिर कैसे....♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥आखिर कैसे....♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मज़हब की चिंगारी से तुम, घर घर आग लगाते क्यूँ हो !
इन्सां होकर तुम इन्सां का, आखिर खून बहाते क्यूँ हो !

अपने पांव में खार चुभे तो, आंसू की बारिश कर बैठे,
फिर तुम औरों की राहों में, ज़ख़्मी खार बिछाते क्यूँ हो !

रूखी सूखी खाकर देखो, चिथड़ों में माँ बाप पड़े हैं,
फिर ईश्वर को किस चाहत में, मीठा भोग लगाते क्यूँ हो !

ख्वाबों को पूरा करने में, भूख प्यास भी बुझ जाती है,
कुर्बानी की सोच नहीं तो, फिर ये ख्वाब सजाते क्यूँ हो !

"देव" किसी से है चाहत तो, उसको तुम होठों पे लाओ,
बिना कहे, अंजाम सोचकर, अपना प्यार छुपाते क्यूँ हो!"

.......................चेतन रामकिशन "देव".........................

Saturday, 1 December 2012

♥प्रकृति का अलंकरण♥


♥♥♥प्रकृति का अलंकरण♥♥♥
तुम चंदा की धवल किरण हो!
प्रकृति का अलंकरण हो!
तुम जीवन की समृद्धि हो,
हर पीड़ा का निराकरण हो!

तुम कल कल बहती सरिता हो!
तुम चन्दन जैसी सुचिता हो!
तुम शब्दों की भावुक क्षमता,
तुम मेरे मन की कविता हो!

तुम ही भावों का विश्लेषण,
तुम ही कर्ता, तुम्ही करण हो!
तुम जीवन की समृद्धि हो,
हर पीड़ा का निराकरण हो!"

.......चेतन रामकिशन "देव".......