Sunday, 27 July 2014

♥♥प्यार की दस्तक..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्यार की दस्तक..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मेरे दिल के दरवाजे पर, हौले से दस्तक करती हो!
मुझे जगाकर शर्माती हो, सकुचाती हो तुम डरती हो!
मैं जब तेरा हाथ थामकर, लफ्ज़ प्यार के कहता हूँ तो,
आँख मूंदकर तुम भी मुझको, अपनी बाँहों में भरती हो!

सावन की इस रात में जब भी, ख्वाब सखी तेरा आता है!
तो तेरी खुशबु से मेरा, सारा आँगन भर जाता है!

मैं भी जान लुटाऊं तुम पर, और तुम भी मुझपे मरती हो!
मेरे दिल के दरवाजे पर, हौले से दस्तक करती हो...

सखी तुम्हारे ख्वाबों में मैं, रात रात भर खोना चाहूँ !
इसीलिए सब काम छोड़कर, मैं जल्दी से सोना चाहूँ !
ख्वाबों में मिलने जुलने पर, पाबन्दी कोई नहीं होती,
इसीलिए तो प्रेम नदी में, खुद को बहुत डुबोना चाहूँ !

सखी यकीं है ख्वाब हमारा, एक दिन पूरा हो जायेगा!
प्रेम की उजली धूप खिलेगी, मिलन हमारा हो जायेगा!

दुआ साथ की मैं भी करता, दुआ मिलन की तुम करती हो!
मेरे दिल के दरवाजे पर, हौले से दस्तक करती हो! "

...................चेतन रामकिशन "देव"....................
दिनांक-२७.०७ २०१४




Friday, 25 July 2014

♥♥दर्द इतना है...♥♥



♥♥♥♥♥♥♥दर्द इतना है...♥♥♥♥♥♥♥♥
दर्द इतना है संभाले से संभलता कब है!
कोई हमदर्द मेरे साथ में चलता कब है!

तार टूटे, ये झुके खम्भे, गवाही देते,
मुफलिसों के यहाँ एक बल्ब भी जलता कब है!

कुर्सियां हैं वही, बस आदमी बदल जाते,
कोई बदलाव का सूरज ये, निकलता कब है!

जिसके सीने में है दिल की, जगह रखा पत्थर,
बाद मिन्नत के भी देखो, वो पिघलता कब है!

सब तमाशाई हैं देखे हैं, सर कटी लाशें,
खून पानी है मगर उनका, उबलता कब है!

कोई झुग्गी, न झोपड़ी, है खुला अम्बर बस,
उम्र बीती है मगर, दौर बदलता कब है!

दिन निकलते ही यहाँ "देव" दिल सुलग जाये,
दर्द जिद्दी है, दवाओं से भी ढलता कब है! "  

...........चेतन रामकिशन "देव"............
दिनांक-२६.०७ २०१४

♥♥♥प्यार का आँगन..♥♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥प्यार का आँगन..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सवेरे जब मैं जाता हूँ, तिलक मुझको लगाती है!
मेरे घर लौट आने तक, पलक अपनी बिछाती है!
मेरे बहते पसीने को, वो पौंछे अपने आँचल से,
थकन को भूलकर अपनी, ख़ुशी से मुस्कुराती है!

समर्पण भाव ये तेरा, सखी अभिभूत करता है!
मेरे दिल हर घड़ी तुझको ही, बस अनुभूत करता है!

गुजारा हंसके करती है, नहीं शिक़वा जताती है! 
सवेरे जब मैं जाता हूँ, तिलक मुझको लगाती है...

जहाँ पर प्यार होता है, वो आँगन आसमानी है!
परस्पर दर्द में बहता, जहाँ आँखों में पानी है!
सुनो तुम "देव" ऐसे आदमी का साथ न रखना,
वो जिसने सिर्फ दौलत तक ही, अपनी सोच मानी है!

जो निश्छल मन से, भावों का यहाँ सत्कार करते हैं!
यही वो लोग हैं जो, आत्मा से प्यार करते हैं!

जो बनकर प्यार की खुशबु, हवा के साथ आती है! 
सवेरे जब मैं जाता हूँ, तिलक मुझको लगाती है! "

...............चेतन रामकिशन "देव"................
दिनांक-२५.०७ २०१४


Thursday, 24 July 2014

♥संभलना आ गया ..♥


♥संभलना आ गया ..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
संभलना आ गया ठोकर, बहुत ही खाईं हैं लेकिन!
चुपा लेता हूँ दिल को, आँख पर भर आईं हैं लेकिन!
किसी से प्यार करना भी, गुनाह अब हो गया शायद ,
खुदा बोलें मोहब्बत को, बहुत रुसवाईं हैं लेकिन!

सिसकती आँख से आंसू, बहे जाते हैं गालों पर!
क्यों गुमसुम हो गए हैं, यहाँ सच के सवालों पर!

है दिल रोता ये खुशियां, झूठ की दिखलाईं हैं लेकिन!
संभलना आ गया ठोकर, बहुत ही खाईं हैं लेकिन!

गुनाह अपना मेरा सर डाल भी, शर्मिंदगी कब है!
वो बाहर से हैं सुन्दर, रूह में पाकीज़गी कब है!
सुनो हम "देव" टूटे दिल के, टुकड़ें जोड़ कर लाये,
नहीं धड़कन है पहले सी, भला वो ताज़गी कब है!

अँधेरी रात का पर्दा, वही चाहते उजालों पर!
वो जिनके होठ सिलते हैं, यहाँ सच के सवालों पर!

है जलता दिल भले आँखों में, बूंदे आईं हैं लेकिन!
संभलना आ गया ठोकर, बहुत ही खाईं हैं लेकिन!

..................चेतन रामकिशन "देव".....................
दिनांक-२४.०७ २०१४

Wednesday, 23 July 2014

♥♥♥गम के निशां..♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥गम के निशां..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
निशां पड़े आँखों के नीचे, ग़म के गहरे काले काले!
कुछ अपनों ने मेरे दिल के, टुकड़े देखो खूब उछाले!
अपने टूटे दिल की हालत, देख यकीं होता है मुझको,
प्यार उन्हीं को मिलता जग में, जो होते हैं किस्मतवाले!

आह सुने न कोई किसी की, कोई किसी का दुख न जाने!
मिन्नत कितनी भी कर लो पर, नहीं निवेदन कोई माने!

दर्द की पथरीली राहों पर, चलकर देखो पड़े हैं छाले!
निशां पड़े आँखों के नीचे, ग़म के गहरे काले काले...

जिसको अपना समझा जाये, वही मिटाने को निकला है!
मानवता और अपनेपन में, आग लगाने को निकला है!
"देव" नहीं मालूम जहाँ में, दिल की इज़्ज़त शेष रहेगी,
जिससे दिल का रिश्ता जोड़ा, वही जलाने को निकला है!

धन, दौलत के मंसूबों में, अपनेपन को मार दिया है!
कुछ लोगों ने आड़ प्यार की, लेकर के व्यापार किया है!

कल तक पावन कहता था जो, आज मुझी में दोष निकाले!
निशां पड़े आँखों के नीचे, ग़म के गहरे काले काले!"

...................चेतन रामकिशन "देव"........................
दिनांक-२३.०७ २०१४

Tuesday, 22 July 2014

♥♥टूटे पत्ते ♥♥


♥♥♥♥टूटे पत्ते ♥♥♥♥
टूटे पत्ते, सूखी डाली!
कदम कदम पर है बदहाली!
चलने को मैं चलता हूँ पर,
पथ सूना है, मंजिल खाली!

उम्मीदों का दर्पण टूटा,
आशाओं की कड़ियाँ टूटीं!
अब जीवन है तनहा तनहा,
प्यार वफ़ा की लड़ियाँ टूटीं!

ढली चांदनी हंसी ख़ुशी की,
ग़म की छाई अमावस काली!
चलने को मैं चलता हूँ पर,
पथ सूना है, मंजिल खाली!

मेरे मन के हर कोने में,
दर्द बहुत होता रोने में!
"देव" डरातीं बिछड़ी यादें,
डर लगता है अब सोने में! 

रिक्त हुयी हाथों की रेखा,
लगे दूर से भले निराली! 
चलने को मैं चलता हूँ पर,
पथ सूना है, मंजिल खाली!"

...चेतन रामकिशन "देव"...
दिनांक-२२.०७ २०१४

Monday, 21 July 2014

♥♥सखी तुम्हारा प्यार..♥♥


♥♥सखी तुम्हारा प्यार..♥♥

हर लम्हा दीदार जरुरी!
सखी तुम्हारा प्यार जरुरी!
जीवन में हर्षित रहने को,
संग तेरे घर द्वार जरुरी!

तेरे साथ ही कदम बढ़ाना,
तेरे साथ हंसना मुस्काना,
मेरी गलती को तू आंके,
सही गलत का पाठ पढ़ाना!

जीवन पथ में सही दिशा को,
तेरी सीख के तार जरुरी!
जीवन में हर्षित रहने को,
संग तेरे घर द्वार जरुरी !

कभी तू जीते, कभी मैं हारूं,
तेरे साथ में, पंख पसारुं!
"देव" तुम्हारा हाथ पकड़ कर,
अपना लेखन यहाँ सुधारूं!

प्यार शब्द में रब दिखता है,
है इसका सत्कार जरुरी!
जीवन में हर्षित रहने को,
संग तेरे घर द्वार जरुरी!"

...चेतन रामकिशन "देव"...
दिनांक-२१.०७ २०१४

Sunday, 20 July 2014

♥♥सच की तपस्या..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥सच की तपस्या..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
घोर तपस्या सच की करना, काम कोई आसान नहीं है!
उनको हिंसा ही भाती है, जिन्हें प्रेम का ज्ञान नहीं है!
जो अपने उद्देश्य लोभ में, छल करता है मानवता से,
वो सब कुछ हो जाये बेशक, लेकिन वो इंसान नहीं है!

मानवता के चिन्हों पर चल, जो सबका हित कर जाते हैं !
वही लोग देखो दुनिया में, मरकर भी न मर पाते हैं! 

खुद की खातिर जी लेना ही, नेकी की पहचान नहीं है!
घोर तपस्या सच की करना, काम कोई आसान नहीं है...

फूलों की ख़्वाहिश है सबको, काँटों पे चलना न चाहें!
चाहत रखें उजालों की पर, दीपक बन जलना न चाहें!
बिना कर्म के ही मिल जाये, दुनिया की सारी धन दौलत,
नहीं धूप में बहे पसीना, नहीं शीत में गलना चाहें!

लेकिन सिर्फ ख्यालों में ही, महल देखने से नहीं मिलते!
बिन मेहनत के इस दुनिया में, ख्वाबों के गुलशन नहीं खिलते!

बाहर ढोंग करेंगे घर में, परिजन का सम्मान नहीं हैं!
घोर तपस्या सच की करना, काम कोई आसान नहीं है....

जो नफरत की आग में जलकर, विष के गोले बरसाते हैं!
ऐसे दुर्जन जन लोगों के, नहीं दिलों में वस पाते हैं!
"देव" जहाँ में लाख, करोड़ों यहाँ आदमी फिरते हैं पर,
बिना दया और प्रेम भाव के, नहीं वो इन्सां बन पाते हैं!

केवल अख़बारों में छपकर, हमदर्दी का नाम करेंगे!
और हक़ीक़त में वो देखो, जग में काला काम करेंगे!

बस थोथी बातें कर देना, पीड़ा का अवसान नहीं है!
घोर तपस्या सच की करना, काम कोई आसान नहीं है!"

.....................चेतन रामकिशन "देव".........................
दिनांक-२१.०७ २०१४ 

♥♥दरिंदगी..♥♥



♥♥♥♥♥♥♥♥दरिंदगी..♥♥♥♥♥♥♥♥♥
रूह बेचैन बहुत दिल को तड़प होती है!
देख के ऐसे नज़ारे, ये नज़र रोती है!

वो दरिंदे यहाँ औरत को लूट कर मारें,
और खाकी यहाँ गूंगों की तरह सोती है!

अपने मतलब के लिए खून तक बहा दे जो,
आदमी की यहाँ फितरत ही बुरी होती है!

कोई कानून नहीं देता दरिंदों को सजा,
कब्र में भी वो यही सोच कर के रोती है!

लाश नंगी थी यहाँ, उसका बन गया धंधा,
आज दीवार पे हर, वो ही टंगी होती है!

जानवर सा है आदमी, है दरिंदा, बहशी,
उसकी सूरत भले मासूम, भली होती है!

"देव" ये दर्द है इतना के, क्या बताऊँ मैं,
मेरे शब्दों को भी मुझ संग, ये दुखन होती है! "

.............चेतन रामकिशन "देव"..............
दिनांक-२०.०७ २०१४



Saturday, 19 July 2014

♥♥♥जरा आ जाओ...♥♥♥



♥♥♥♥♥♥♥♥जरा आ जाओ...♥♥♥♥♥♥♥♥
चाँद आकाश में गुमसुम है, जरा आ जाओ!
बुझते दीपों में जरा रोशनी जगा जाओ!

बिन तेरे एक भी लम्हा नहीं कटता मेरा,
मैं जिधर देखूं, मुझे तुम ही तुम नज़र आओ!

मैं भी चाहता हूँ कलम, पाये तवज्जो मेरी,
मेरे लफ्जों में ग़ज़ल बनके, तुम समां जाओ!

देखकर हमको कसे तंज, जमाना न कोई,
मुझको तुम ऐसे जहाँ में, जरा लेकर जाओ!

तेरी चूड़ी की खनक, आज तलक याद मुझे,
अपनी चूड़ी को निशानी में मुझे दे जाओ!

ये जहाँ इतना बड़ा, तुम बिना अधूरा है,
एक लम्हे को भी न छोड़कर, मुझे जाओ!

"देव" तुमसे है लगन है , दिल मेरे जज़्बातों की,
अपना एहसास मेरी सांस में पिरो जाओ! "

...............चेतन रामकिशन "देव"...........
दिनांक-१९.०७ २०१४



Friday, 18 July 2014

♥♥पीड़ा का भंडारण..♥♥


♥♥♥पीड़ा का भंडारण..♥♥♥
मन पीड़ा से भरा हुआ है!
ज़ख्म पुराना हरा हुआ है!
अपनायत से दर्द मिला और,
दिल अपनों से डरा हुआ है!

कोमल दिल को छलनी करके,
कुछ अफ़सोस नहीं होता है!
क़त्ल दिलों का करके देखो, 
उनको रोष नहीं होता है!
मानवता की हत्या करके,
हत्यारे वो बन जाते हैं,
लेकिन फिर भी कानूनों में,
उनका दोष नहीं होता है!

झूठ हो रहा सब पे हावी,
और सच मानों मरा हुआ है!
अपनायत से दर्द मिला और,
दिल अपनों से डरा हुआ है...

बीच डगर में छोड़ा करते!
लोग दिलों को तोड़ा करते!
जिनको अपना कहते उनका,
नाम ग़मों से जोड़ा करते!
बस अपने मतलब की खातिर,
करते हैं झूठी हमसफ़री,
मतलब पूरा हो जाने पर,
अपने रुख को मोड़ा करते!

"देव" इसी आलम ने देखो,
मन आवेशित करा हुआ है!
अपनायत से दर्द मिला और,
दिल अपनों से डरा हुआ है!"

.....चेतन रामकिशन "देव".....
दिनांक-१८.०७ २०१४


Monday, 14 July 2014

♥♥अपनों की वफ़ा ..♥♥


♥♥♥♥♥♥अपनों की वफ़ा ..♥♥♥♥♥♥♥♥
पत्थरों जैसा मेरे दिल को, वो बताते हैं!
मेरे अपने भी वफ़ा इस तरह निभाते हैं!

मेरी आँखों से टपकते हैं खून के आंसू,
दिल के टुकड़े हैं के, रस्ते में बिखर जाते हैं!

आईना भी मेरी सूरत को भूलना चाहे,
लोग तो लोग हैं, पल भर में बदल जाते हैं!

मुझे पे इलज़ाम लगते हैं, कोसते हैं वो,
हम मगर फिर भी चरागों की लौ जलाते हैं!

जिसको जाने की थी जिद, दूर वो गया हमसे,
ये अलग बात के हम, उसको याद आते हैं!

उनको मुश्किल में भी, होती नहीं कमी कोई,
मरते दम जो ईमां, हर घड़ी निभाते हैं!

"देव" हमसे क्या शिकायत, क्या करेंगे शिकवा,
बेवफ़ाई के जो गुल, उम्र भर खिलाते हैं! " 

..............चेतन रामकिशन "देव"..............
दिनांक-१५ .०७ २०१४

♥♥प्यार की छाँव..♥♥


♥♥♥♥♥♥प्यार की छाँव..♥♥♥♥♥
प्यार की छाँव का असर होगा!
अपने ख़्वाबों का एक घर होगा!

कोई दुख तुझको जब करे तन्हा,
मेरे कंधे पे तेरा सर होगा!

तुम जुदाई की बात मत करना,
न बिछड़ने का कोई डर होगा!

प्यार भर देंगे हम हर एक घर में,
देखो कितना हसीं शहर होगा!

ग़म के पत्थर नहीं गिराएंगे,
तू जो जीवन का हमसफ़र होगा!

कोई नफरत न जीत पायेगी,
जब तलक प्यार में बसर होगा!

"देव" चाहत के सिलसिले की तरफ,
अपना दिन रात, हर पहर होगा! "

......चेतन रामकिशन "देव".......
दिनांक-१४.०७ २०१४

Saturday, 12 July 2014

♥♥वजूद...♥♥


♥♥♥♥♥♥♥वजूद...♥♥♥♥♥♥♥♥
खुद को अपना वजूद दिखलाया!
दर्द से जीतना हमें आया!

पंख मेरे भले ही टूटे पर,
मैंने आकाश को न झुठलाया!

ख़्वाहिशें सब नहीं मिला करतीं,
ये सबक अपने दिल को सिखलाया!

रूह है अब भी चाँद सी सुन्दर,
ग़म ने हर रोज चाहें झुलसाया!

तेरे आने से आ गयी खुशबु,
जैसे बगिया में फूल खिल आया!

टूटे पत्तों को हाथ में लेकर,
दिल को पेड़ों का दर्द बतलाया !

"देव" चाहत में क्या कमी मेरी,
उनके हिस्से का भी ज़हर खाया! "

......चेतन रामकिशन "देव".......
दिनांक-१३.०७ २०१४

Friday, 4 July 2014

♥♥प्रेम के मोती..♥♥


♥♥♥♥प्रेम  के मोती..♥♥♥♥♥
प्रेम के मोतियों की माला है!
देखो हर ओर बस उजाला है!

सात जन्मों तलक नहीं छूटे,
मैंने चाहत का रंग डाला है!

मेरे लफ्जों में आ गयी खुशबु,
मानो खत तेरा आने वाला है!

देखकर तुझको दिल मचल जाये,
तेरा अंदाज़ ही निराला है!

तूने समझा है दर्द को मेरे,
मुझको तूफान से निकाला है!

मेरी आँखों में झांककर देखो,
प्यार अरसे से मैंने पाला है!

"देव" जुल्फों की छाँव देते तुम
धूप ने जब भी तन उबाला है! "

......चेतन रामकिशन "देव".......
दिनांक-०४.०७ २०१४

Thursday, 3 July 2014


"
ख़ून बहे न मज़लूमों का, हर कोई ख़ुशहाल रहे बस,
मंदिर, मस्जिद, गिरजा, द्वारा, हर इंसा की दुआ यही हो! "

.......................चेतन रामकिशन "देव".........................

दिनांक-०४.०७ २०१४

Tuesday, 1 July 2014

♥♥तालुकात..♥♥


♥♥♥♥♥♥तालुकात..♥♥♥♥♥
नाम के तालुकात करते हैं!
लोग मतलब की बात करते हैं!

मेरी तरफ़ा नहीं किसी की नज़र,
हम जो सड़कों पे रात करते हैं!

मेरे हिस्से का ग़म मुझे दे दो,
हम सफर साथ साथ करते हैं!

मेरे हर्फों की लाल सी सूरत,
खून से हम दवात करते हैं!

अपने अश्क़ों की गर्म नदियों से,
प्यास को अपनी मात करते हैं!

अपने दुश्मन को माफ़ करके हम,
उसके सर अपना हाथ करते हैं!

"देव" डरता है दिल मोहब्बत से,
इसीलिए एहतियात करते हैं! "

......चेतन रामकिशन "देव"......... 
दिनांक-०२.०७ २०१४