Tuesday, 14 June 2011

♥♥पिता(रचनाधार) ♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥ ♥♥पिता(रचनाधार) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
"मेरी आँखों में आकर के, सपना नया सजाते हैं वो!
मेरे पथ के कंटक चुनकर, पुष्प लतायें बिछाते हैं वो!
संसाधन देते हैं मुझको, और जीवन जीने की उर्जा,
प्रेम सदा सदभाव का दर्पण, हमको सदा दिखाते हैं वो!

पिता हमारा पालन करते, जीवन का अवतारण करते!
दिशा हमे देते जीवन की, जीवन का निर्धारण करते!

पिता ना होते, हम न होते, ना रचना होती इस तन की!
वो धरती पे ईश्वर होते, बात सुनो तुम मेरे मन की......

पिता हमारे संवाहक हैं, वो जीवन का परिचायक हैं!
हमको हर्ष सदा देते हैं, पिता हमारे सुखदायक हैं!
जब भी हम अवसाद में घिरते, अपना हाथ रखेंगे सर पे,
हमको चलना वही सिखाते, वो जीवन के निर्वाहक हैं!

पिता हमारा लालन करते, इस जीवन का तारण करते!
दिशा हमे देते जीवन की, जीवन का निर्धारण करते!

पिता का कद इतना ऊँचा है, जैसे ऊँची माप गगन की!
वो धरती पे ईश्वर होते, बात सुनो तुम मेरे मन की......

पिता का जीवन दर्शन देखो, हर पल बहुत सुनहरा होता!
इतना हमसे प्रेम करें वो, जैसे सागर गहरा होता!
"देव" पिता की चरण धूल को, मस्तक जरा लगाकर देखो,
हममे रहता जोश अनोखा, उनका सर पे पहरा होता!

पिता हमारा पालन करते, जीवन का अवधारण करते!
दिशा हमे देते जीवन की, जीवन का निर्धारण करते!

पिता का मन इतना कोमल है, जैसे कोमलता रेशम की!
वो धरती पे ईश्वर होते, बात सुनो तुम मेरे मन की!"


"पिता, एक ऐसा व्यक्तित्व जो हमारे जीवन को सफलता के उच्च शिखर पर ले जाने के लिए ना सिर्फ अपने पसीने की अपितु, रक्त की बूंदों तक की नीलामी कर देता है! आप सभी के स्नेह से मिलने वाले शब्दों की उपज से आज मैंने ऐसे व्यक्तित्व "पिता" को ये रचना समर्पित की है!-चेतन रामकिशन (देव)"

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