Tuesday, 14 June 2011

♥♥♥♥♥♥♥♥ ♥♥खाली हाथ(बेरोजगारी) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
"बड़ी ख़ुशी से पढने जाते, और आँखों में स्वप्न जगाते!
अपनी छोटी अंखियों से वो, पन्ना पन्ना पढ़ते जाते!
उनके मन में आशा होती, पढ़ लिखकर कुछ कर जाने की,
मंदिर मस्जिद जाकर देखो, शीश नवाते, शीश झुकाते!

किन्तु उनका सपना भी, हो जाता है पल में खंडित!
पढने वाले अज्ञानी हों, और अज्ञानी बनते पंडित!

युवा भटकते रोजगार को, ना खाने को दाना पानी!
बचपन के सपने टूटे हैं, झुलस रही है नयी जवानी!

नहीं मगर सत्ता को मतलब, भूख प्यास से नौजवान की!
युवा शक्ति को हरा रहें हैं , जीत कहाँ है हिंदुस्तान की....

कड़ी धूप में रोजगार की, मंशा अपने मन में भरके!
विजय की सारी आशाओं को, अपने मन में धारण करके!
किन्तु जब मांगी जाती हैं, उनसे रिश्वत की सौगातें,
आ जाते हैं दबे पांव घर, वो डर डरके, और मर मरके!

सरकारें तो करती हैं बस, अपनी महिमा को ही मंडित!
पढने वाले अज्ञानी हों, और अज्ञानी बनते पंडित!

युवा तरसते हैं बयार को, मिले ना उनको हवा सुहानी!
बचपन के सपने टूटे हैं, झुलस रही है नयी जवानी!

नहीं मगर सत्ता को मतलब, युवा शक्ति के इत्मिनान की!
युवा शक्ति को हरा रहें हैं , जीत कहाँ है हिंदुस्तान की.....

रिश्वत के बाजार में देखो, नहीं योग्यता जीवित होती!
सत्य वचन की हुई पराजय, मिथ्या की ही जय जय होती!
सरकारें कहती हैं लेकिन नहीं तंत्र है झूठा उनका,
जबकि सरकारों की नियत, स्वयं बहुत ही मैली होती!



"देव" यहाँ तो होनहार को, किया जा रहा है अब दण्डित!
पढने वाले अज्ञानी हों, और अज्ञानी बनते पंडित!

युवा तरसते हैं करार को, धुंधली धुंधली लगे कहानी!
बचपन के सपने टूटे हैं, झुलस रही है नयी जवानी!

नहीं मगर सत्ता को मतलब, युवा शक्ति के स्वाभिमान की!
युवा शक्ति को हरा रहें हैं , जीत कहाँ है हिंदुस्तान की!"


"रिश्वत के वर्चस्व, सरकारी और प्रशासनिक तंत्र की खराब नीतियों के चलते युवा हतौत्साहित है! उसका मूल कमजोर नहीं है, मगर उसे कमजोर बनाया जा रहा है! किन्तु ये भी सत्य है, की जहाँ युवा कमजोर होते हैं, वो देश भी कमजोर होता है!- चेतन रामकिशन(देव)"

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