Tuesday 14 June 2011

♥ जीवन चक्र ♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥ जीवन चक्र ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
" दीप कभी पुलकित होते हैं, कभी निराशा के पल आते!
कभी पथों में कंटक मिलते, कभी फूल पथ में खिल जाते!
कभी डगर जीवन की कोमल, कभी पठारों सी चोड़ाई,
कभी छवि विस्मृत होती है, कभी नए यौवन मिल जाते!

जीवन तो एक चक्र है देखो, इसको पूरा करना होगा!
आगे पीछे एक दिन सबको, धीरे धीरे मरना होगा!

किन्तु जब तक जीवित हो तुम, आशाओं के दीप जलाना!
मिल जाएगी मंजिल तुमको, सही दिशा में कदम बढ़ाना........

कभी समस्या पंख पसारे, कभी सफलता की किलकारी!
कभी किनारा मिलता है तो, कभी डूबती नाव हमारी!
किन्तु संघर्षों की युक्ति, कभी नहीं तुम धूमिल करना,
साहस होगा मन चिंतन में, खंडित किस्मत बने हमारी!

जीवन तो एक वक्र है देखो, इसको सीधा करना होगा!
आगे पीछे एक दिन सबको, धीरे धीरे मरना होगा!

किन्तु जब तक प्रकट हो तुम, उत्साहों के रंग सजाना!
मिल जाएगी मंजिल तुमको, सही दिशा में कदम बढ़ाना........

कभी चांदनी रंग बिखेरे, कभी अमावस की हों रातें!
कभी दुखों की संध्या हो तो, कभी हर्ष की हों प्रभातें!
किन्तु जाग्रति की शक्ति, कभी नहीं तुम धूमिल करना,
मेहनत होगी हाथों में तो, सूखे में होंगी बरसातें!

जीवन तो एक तर्क है देखो, उलझन को तो हरना होगा!
आगे पीछे एक दिन सबको, धीरे धीरे मरना होगा!

किन्तु जब तक जीवित हो तुम, "देव" नहीं तुम नीर बहाना!
मिल जाएगी मंजिल तुमको, सही दिशा में कदम बढ़ाना!"

"जीवन, एक चक्र है, जो विजय, पराजय, आशा, निराशा, सफलता, असफलता के बीच से गुजरता है! किन्तु यदि हम अपने मन में साहस, सकारात्मकता और आत्मविश्वास रखें तो ये चक्र सफलता के चारों और भी दीर्घ परिक्रमा काट सकता है! तो आइये बेहतर सोचें- चेतन रामकिशन (देव)"

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