Tuesday, 14 June 2011

♥ प्रेम( संवेदनात्मक एहसास )♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥ प्रेम( संवेदनात्मक एहसास )♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
"तुम जरुरत से भी, ज्यादा ख्याल रखते हो!
ऐसा लगता है मुझे, मुझसे प्यार करते हो!

मैंने कई बार तो वो, इस तरह भी देखा है,
खुद रहो धूप में, और मुझपे छांव करते हो!

तुम तो सहते हो, मेरा गुस्से को ख़ुशी की तरह,
मेरी नाराजगी से तुम तो, बड़े डरते हो!

मेरी राहों में ना अँधेरे के निशां हो कभी,
खुद जलन सह के भी, दीपक की तरह जलते हो!

मैंने देखी है "देव" तेरी, मोहब्बत की झलक,
मेरे आंसू भी अपनी आंख, में तुम भरते हो!"


"जब किसी से प्रेम होता है, तो समर्पण आता है! समर्पण की यही भावना प्रेम को संस्कृत करती है! अगर किसी को उपरोक्त भाव समर्पित करने का मन है तो आओ, शुद्ध प्रेम करें!- चेतन रामकिशन (देव)

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