♥♥♥♥♥♥♥♥♥देशप्रेम रहित प्रेम ♥♥♥♥♥♥♥♥
"इश्क में डूबा युवा देश का, देश से प्रेम करेगा कौन!
जब आती है देश की बारी, हो जाते हैं सब क्यूँ मौन!
साथी को जब चोट लगे तो, आँखों में आंसू आ जाते,
देश का रक्त बहे किन्तु पर, इसकी चिंता करता कौन!
देश है ऊपर, या हम ऊपर, इसका चिंतन करके देखो!
राष्ट्र प्रेम क्यूँ नहीं जगाया,इसका मंथन करके देखो!
राष्ट्र प्रेम यदि नहीं मनों में, ऐसे जीवन का क्या करना!
इससे तो अच्छा होता है, कायरता की मृत्यु मरना..........
सत्य वचन है, प्रेम बिना तो, सूनी जीवन की क्यारी है!
किन्तु देश को सही पथों पे, लाना भी जिम्मेदारी है!
प्रेम की मधुर लालसा में तुम, देश को अनदेखा न करना,
अंतिम छण तक मिट न पाए, देश से वो नातेदारी है!
सुप्त सोच जो ध्रुवित करती, उसका खंडन करके देखो!
राष्ट्र प्रेम क्यूँ नहीं जगाया,इसका मंथन करके देखो!
राष्ट्र प्रेम जो नहीं है मन में, ऐसे जीवन का क्या करना!
इससे तो अच्छा होता है, कायरता की मृत्यु मरना..........
साथी तो अपना है किन्तु, देश हितों के भाव जगाओ!
देश हमारा मस्तक गौरव, इसको न क़दमों में लाओ!
"देव" नहीं जागे तुम अब भी,कोई न इतिहास रहेगा,
दुनिया तुमको याद करे जो, ऐसा एक इतिहास बनाओ!
साथी की प्रसंशा के संग, देश का नंदन करके देखो!
राष्ट्र प्रेम क्यूँ नहीं जगाया,इसका मंथन करके देखो!
राष्ट्र प्रेम जो नहीं है मन में, ऐसे जीवन का क्या करना!
इससे तो अच्छा होता है, कायरता की मृत्यु मरना!"
"देश से भी प्रेम करिए! प्रेम के स्वरूपों में अधिकांशत गिना जाता है-प्रेयसी प्रेम, पिता प्रेम, माता प्रेम, मित्र प्रेम, किन्तु देश प्रेम कोई नहीं जोड़ता! जबकि देश के बिना है क्या? यदि हमारा देश की किसी और का हो जाये तो, इन सबका औचित्य व्यर्थ हो जाता है! तो युवा शक्ति को "प्रेयसी प्रेम " के संग संग "देश का प्रेम" भी जगाना होगा! वरना परिणाम दुष्कर होंगे-चेतन रामकिशन"देव"
"इश्क में डूबा युवा देश का, देश से प्रेम करेगा कौन!
जब आती है देश की बारी, हो जाते हैं सब क्यूँ मौन!
साथी को जब चोट लगे तो, आँखों में आंसू आ जाते,
देश का रक्त बहे किन्तु पर, इसकी चिंता करता कौन!
देश है ऊपर, या हम ऊपर, इसका चिंतन करके देखो!
राष्ट्र प्रेम क्यूँ नहीं जगाया,इसका मंथन करके देखो!
राष्ट्र प्रेम यदि नहीं मनों में, ऐसे जीवन का क्या करना!
इससे तो अच्छा होता है, कायरता की मृत्यु मरना..........
सत्य वचन है, प्रेम बिना तो, सूनी जीवन की क्यारी है!
किन्तु देश को सही पथों पे, लाना भी जिम्मेदारी है!
प्रेम की मधुर लालसा में तुम, देश को अनदेखा न करना,
अंतिम छण तक मिट न पाए, देश से वो नातेदारी है!
सुप्त सोच जो ध्रुवित करती, उसका खंडन करके देखो!
राष्ट्र प्रेम क्यूँ नहीं जगाया,इसका मंथन करके देखो!
राष्ट्र प्रेम जो नहीं है मन में, ऐसे जीवन का क्या करना!
इससे तो अच्छा होता है, कायरता की मृत्यु मरना..........
साथी तो अपना है किन्तु, देश हितों के भाव जगाओ!
देश हमारा मस्तक गौरव, इसको न क़दमों में लाओ!
"देव" नहीं जागे तुम अब भी,कोई न इतिहास रहेगा,
दुनिया तुमको याद करे जो, ऐसा एक इतिहास बनाओ!
साथी की प्रसंशा के संग, देश का नंदन करके देखो!
राष्ट्र प्रेम क्यूँ नहीं जगाया,इसका मंथन करके देखो!
राष्ट्र प्रेम जो नहीं है मन में, ऐसे जीवन का क्या करना!
इससे तो अच्छा होता है, कायरता की मृत्यु मरना!"
"देश से भी प्रेम करिए! प्रेम के स्वरूपों में अधिकांशत गिना जाता है-प्रेयसी प्रेम, पिता प्रेम, माता प्रेम, मित्र प्रेम, किन्तु देश प्रेम कोई नहीं जोड़ता! जबकि देश के बिना है क्या? यदि हमारा देश की किसी और का हो जाये तो, इन सबका औचित्य व्यर्थ हो जाता है! तो युवा शक्ति को "प्रेयसी प्रेम " के संग संग "देश का प्रेम" भी जगाना होगा! वरना परिणाम दुष्कर होंगे-चेतन रामकिशन"देव"