Tuesday, 31 July 2012

♥दर्द(शक्तिपुंज)♥


♥♥♥दर्द(शक्तिपुंज)♥♥♥
दर्द बहुत सहना सीखा है!
आंसू बन बहना सीखा है!
लेकिन इसी दर्द से मैंने,
जिंदादिल रहना सीखा है!

दर्द मिला है जब से दिल को,
तब से हिम्मत बढ़ी हमारी!
और हमने आंसू से सींची,
ये अपने जीवन की क्यारी!

हमने दर्द के इन शब्दों से,
सच को सच कहना सीखा है!
लेकिन इसी दर्द से मैंने,
जिंदादिल रहना सीखा है!

ये सच है एक दौर में,
पीड़ा ने नाकामी दी थी!
मुझे रुलाया था जी भरके,
तूफान और सुनामी दी थी!

फिर भी देखो इसी दर्द से,
खुशबु बन बहना सीखा है!
लेकिन इसी दर्द से मैंने,
जिंदादिल रहना सीखा है!"

" दर्द-जब जीवन मिला है तो दर्द भी मिलना स्वाभाविक ही है! ये सच है कि दर्द की सुनामी की गति अत्यंत तीव्र होती है, किन्तु यदि उस तीव्रता के प्रकाश को शक्तिपुंज की तरह अपने में समाहित कर लिया जाये तो यक़ीनन, दर्द हमे मजबूत करता है! तो आइये दर्द को शक्तिपुंज बनायें!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-०१.०८.२०१२

रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!

♥न जाने कैसे...♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥न जाने कैसे...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
रूह को पीड़ा, आंख को आंसू, गम से झोली भर देते हैं!
लोग न जाने किन हाथों से, दिल को ज़ख़्मी कर देते हैं!

जो कंधे पर सर रखकर के, जन्म जन्म की कसमें खाते!
जो हाथों में हाथ डालकर, प्यार भरे नगमे दोहराते!
जो कहते हैं तुमसा कोई, नहीं जमाने में कोई दूजा,
जो आंगन को रोशन करने, साँझ-सवारे दीप जलाते!

यही लोग न जाने कैसे, घर से बेघर कर देते हैं!

दिल को पीड़ा, आंख को आंसू, गम से झोली भर देते हैं!"

.....................चेतन रामकिशन "देव"...........................

♥खामोशी की जुबान..♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥खामोशी की जुबान..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
खामोशी की लक्ष्मण रेखा, बीच खिंची है हम दोनों के,
लेकिन फिर भी आँखों से ही, एक दूजे की बात हुई!

नाम पढ़ा कई बार उसी का, और उसे देखा पलकों में,
बस उसको ही सोच सोच कर, शाम से लेकर रात हुई!

उनसे मिले बिना जीवन में, रहती थी तन्हाई लेकिन,
उनकी नजदीकी से देखो, खुशियों की बरसात हुई!

खिला खिला है मेरा चेहरा, उसकी चाहत के रंगों से,
लोग समझते मेरे संग में, कौनसी ये करामात हुई!

"देव" मैं उनकी अपनायत को, पाकर मालामाल हुआ हूँ,
वही हमारी दौलत, शोहरत, वही मेरी सौगात हुई!"

......................चेतन रामकिशन "देव"......................

Sunday, 29 July 2012

♥एहसास के लम्हे...♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥एहसास के लम्हे...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
जब मेरी पलकों की चिलमन, अश्कों से नम हो जाती है!
तब तब मेरे दिल की उलझन, कुछ पल को कम हो जाती है!

मैं और मेरी तन्हाई को, जब भी उसका साथ मिला है,
तब तब देखो रात अमावस, खिल के पूनम हो जाती है!

उम्मीदों के आसमान पर, जब जब पंख पसारे मैंने,
मेरी माँ की दुआ देखिये, पंखों का दम हो जाती है!

मजहब से ऊपर उठकर के, जब भी मुझसे मिला है कोई,
आँखों को अच्छा लगता है, दिल में सरगम हो जाती है!

"देव" न जाने कैसे जीते, लोग जहाँ में पत्थर बनकर,
यहाँ देखिये नरमी से ही, दुनिया हमदम हो जाती है!"

.................चेतन रामकिशन "देव".....................

Saturday, 28 July 2012

♥जीवन पथ..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥जीवन पथ..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
जिनसे दिल को ठेस लगे, कुछ ऐसे मंज़र आते हैं!
आँखों के सब सपने देखो, पल भर में ही खो जाते हैं!

जो दावे करते हैं अक्सर, राहों से कांटे चुनने के,
वही लोग न जाने कैसे, पथ में कंटक बो जाते हैं!

धन दौलत वालों को बेशक, डर से नींद नहीं आती हो,
लेकिन मेहनतकश तो देखो, सड़कों पे भी सो जाते हैं!

ये सच है के अब अपनों में, अपनायत की कमी हुई है,
लेकिन फिर भी गैर देखिए, संग साथ में रो जाते हैं!

"देव" मेरे शब्दों को देखो, मेरे दुःख का अंदाजा है,
जब भी मेरे आंसू बहते, ये भी गुमसुम हो जाते हैं!"

...................चेतन रामकिशन "देव"....................


Friday, 27 July 2012

♥भारत(हमारा घर)..♥


♥♥♥♥♥भारत(हमारा घर)..♥♥♥♥♥
इस भारत को दिशाहीन न होने दो!
इस भारत की इज्ज़त तुम न खोने दो!
आओ देश के हित में काम करें ऐसे,
माँ जननी को सुबक सुबक न रोने दो!

मातृभूमि का जो सम्मान नहीं होगा!
विश्वपटल पर हिंदुस्तान नहीं होगा!

मातृभूमि का तुम अपमान न होने दो!
इस भारत को दिशाहीन न होने दो.....

खंड-खंड तुम भारत को करना छोड़ो!
जात-धर्म के नाम पे तुम लड़ना छोड़ो!
सब आपस में एकजुटता का प्रण लेकर,
तुम भारत के दुश्मन से डरना छोड़ो!

देशप्रेम के भावों का, श्रंगार करो!
माँ जननी की सेवा और सत्कार करो!

माँ जननी का रंग रूप न खोने दो!
इस भारत को दिशाहीन न होने दो.....

इस भारत की मिटटी को प्रणाम करो!
जग में ऊँचा तुम भारत का नाम करो!
अपने मनसूबे पूरे करने के लिए,
इस भारत को "देव" नहीं नीलाम करो!

जन्मभूमि पे फूलों की बौछार करो!
देश के सभी शहीदों का आभार करो!

ध्वज तिरंगे को मैला न होने दो!
इस भारत को दिशाहीन न होने दो!"

"
भारत-जिस धरती पर जन्म लिया हमने, जिस मिट्टी पर अपना जीवन यापन किया हमने, बहुत महान होती है जन्मभूमि, वन्दनीय, पूजनीय और गर्व करने योग्य! तो आइये हमेशा शहीदों को नमन करते हुए, देश का सम्मान करें!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-२८.०७.२०१२

रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!









♥♥♥माँ♥♥♥♥♥♥


♥♥♥♥♥♥माँ♥♥♥♥♥♥
ममता का स्पर्श है माँ!
हर बच्चे का हर्ष है माँ
अच्छी बात हमे सिखलाती,
जीवन का आदर्श है माँ!

माँ ईश्वर की अनुपम कृति,,
दयावान स्वरुप!
गर्मी में शीतल वायु है
और सर्दी में धूप!

ममता का स्पर्श है माँ!
हर बच्चे का हर्ष है माँ

माँ शक्ति है, माँ रक्षक है!
माँ बच्चों की संरक्षक है!
सत्य पथों पर हमे चलाए,
माँ ज्ञानी है, माँ शिक्षक है!

माँ के मुख से बच्चे सुनते,
मधुर सुरीला गान!
माँ को देखके आ जाती है,
अधरों पे मुस्कान!

ममता का स्पर्श है माँ!
हर बच्चे का हर्ष है माँ!"

"
अपनी माँ "प्रेमलता" जी को समर्पित पंक्तियाँ!"

चेतन रामकिशन "देव"

Tuesday, 24 July 2012

♥जाने क्यूँ..♥


♥♥♥♥♥जाने क्यूँ..♥♥♥♥♥
जाने क्यूँ लिखना चाहता है!
ये दिल कुछ कहना चाहता है!
जाने क्यूँ ये दर्द समझकर,
आंसू बन बहना चाहता है!

जन्म से इस दिल में न कोई, नफरत के लक्षण होते हैं!
हमी लोग इस दिल में देखो, लालच के अंकुर बोते हैं!

इसीलिए तो किसी के दुख में, ये दिल भी रोना चाहता है!
एक दूजे को समझ के अपना, प्रेम बीज बोना चाहता है!

हम इंसां अपने ही हित में, दिल को पत्थर बना रहे हैं!
भेदभाव के संबोधन से, प्यार के अक्षर भुला रहे हैं!

आज इसी बंधन की पीड़ा,
हम सब से कहना चाहता है!
जाने क्यूँ ये दर्द समझकर,
आंसू बन बहना चाहता है!"

"                            "
चेतन रामकिशन "देव"


Sunday, 22 July 2012

♥आँखों में पानी♥



♥♥♥♥♥♥♥♥आँखों में पानी♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मेरी आँखों में पानी है और धड़कन भी मंद!
बिना तुम्हारे सखी नहीं है, जीवन में आनंद!

बिना तुम्हारे दिन सूना है, और सूनी है रात!
बिना तुम्हारे शाम अधूरी और दुखी प्रभात!
बिना तुम्हारे शब्द हमारे, लगते हैं बेजान,
बिना तुम्हारे खुशी भी देखो, देती है आघात!

बिना तुम्हारे रचना भूले, हम कविता और छंद!
मेरी आँखों में पानी है और धड़कन भी मंद!"

.................चेतन रामकिशन "देव"...............


Friday, 20 July 2012

♥सत्ताधारी दानव..♥

♥♥♥♥♥♥सत्ताधारी दानव..♥♥♥♥♥♥♥♥
क़र्ज़ में डूबा ग्राम देवता, नौजवान बेकार! 
देश में लाखों भूखे पिंजर, मरने को तैयार!

देश के सत्ताधारी लेकिन, इनके दुख से दूर हुए!
घोटालों में जुटे हुए हैं, अपने मद में चूर हुए!
उनको कोई दुख हो तो, उपचार विदेशों में होता,
और घाव निर्धन के देखो, रिस रिस कर नासूर हुए!

राजनीति का रूप देखिए, जैसे हो व्यापार!
क़र्ज़ में डूबा ग्राम देवता, नौजवान बेकार!

सत्ता की चाभी मिलने पर, भूले सभी चुनावी वादे!
निर्धन को खुशियाँ देने के, छोड़ दिए हैं सभी इरादे!
सत्ता का सुख पाकर देखो, हर नेता पर रंग चढ़ा,
ओढ़ लिए हैं चोरों ने भी, संतों जैसे लाल लबादे!

जो भी मांग उठाए उस पर करते अत्याचार!
क़र्ज़ में डूबा ग्राम देवता, नौजवान बेकार!"

...............चेतन रामकिशन "देव"................

Thursday, 19 July 2012

♥प्यार का नज़ारा..♥


♥♥♥♥♥प्यार का नज़ारा..♥♥♥♥♥♥♥
मेरी आँखों में तेरे प्यार का नज़ारा है!
तेरा ये प्यार सनम मुझको बड़ा प्यारा है!


तेरे ही प्यार से जीवन में खुशहाली आई!
तेरे ही प्यार में होली और दिवाली आई!
मेरी आँखों में तेरा चेहरा बसा है हमदम,
तेरे यादों में निशा, सुबह की लाली आई!


तू मेरे सामने आ जाती है इक पल में ही,
मैंने आवाज दे, जब-जब तुझे पुकारा है...


तू तो हर पल ही मेरे प्यार के एहसास में है !
मेरे वादों, मेरी कसमो, मेरे विश्वास में है !
तेरी यादों से महकता है, मेरा घर हमदम,
तू मेरे प्यार के सतरंगी से, आकाश में है !


तू मेरे दुख का हमसफ़र, मेरा सहारा है!
मेरी आँखों में तेरे प्यार का नज़ारा है...


तेरे दीदार से, हर पल मेरा खिल जाता है!
खुदा से जो भी मैं मांगूं वाही मिल जाता है 
तेरे यौवन से देखो, चांदनी भी जलने लगी,
क्यूंकि ये चाँद तेरे आने पे शर्माता है !


"देव" की ज़िन्दगी को, तुमने ही संवारा है!
मेरी आँखों में तेरे प्यार का नज़ारा है!"


"
प्यार- सचुमच रंगत भरने वाला एहसास, जीवन को आत्मविश्वास से जोड़कर अग्रसर होने की शक्ति जहाँ प्यार देता है तो वहीँ, दुख के पलों में संवेदना देने का कार्य भी प्यार करने वालों को एक दूसरे से परस्पर प्राप्त होता है, तो आइये प्यार के इन सुखद और अनमोल पलों का एहसास करें!"


चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-२०.०७.२०१२

♥प्यार की खुशबू..♥

♥♥♥♥♥प्यार की खुशबू..♥♥♥♥♥♥♥♥♥
प्यार की रोली से, दुनियां को हम सजाते चलें 
ज़मी सजाते चलें, आसमा सजाते चलें

जिंदगी तो नहीं काफ़ी, मोहब्बतों के लिए
कीमती उम्र को, लड़ने में न गंवाते चलें!

प्रेम की खुशबू से महका दें हम जहां सारा, 
दुखी दिलों में खुशी की कली खिलाते चलें!

अपनी सच्चाई से रौशन, करें जमाने को,
ईमां के पथ पे वफ़ा के दिए जलाते चलें!

ख़ुलूस पैदा करें, अपनी हम दुआओं में,
प्यार की बोली से नफरत को हम मिटाते चलें!"

.............चेतन रामकिशन "देव"...............

जीने का मतलब..

♥♥♥♥♥जीने का मतलब..♥♥♥♥
बिना तुम्हारे जीवन में वीराना है!
तुमसे ही जीने का मतलब जाना है!

दो जिस्मों में एक जान जैसे हैं हम,
साथ जियेंगे, साथ साथ मर जाना है!

आंसू और पीड़ा में भी, हमदर्द हैं हम,
एक दूजे की खुशियों में मुस्काना है!

लोग प्यार को नहीं, वासना से जोडें,
हमे प्यार को इतना, नेक बनाना है!

ये युग तो कम पड़ जाएगा "देव" सुनो,
युगों युगों तक साथ में जीवन पाना है!"

.........चेतन रामकिशन "देव"............

♥आकाश के तारे..♥

♥♥♥♥♥♥आकाश के तारे..♥♥♥♥♥♥♥
आकाश के तारों की तरह जगमगायेंगे!
हम लोग मोहब्बत के गीत गुनगुनायेंगे!

जाति की, धर्म की सभी मिटाके दूरियां,
इक दूसरे को, अपने गले से लगायेंगे!

खुद के लिए जीने को नहीं जिंदगी मिली,
औरों का दर्द देखके, आंसू बहायेंगे!

चाहत का दौर थमता नहीं है बदन तलक,
हम अपनी मोहब्बत को, रूहानी बनायेंगे!

हाथों की लकीरों से, हमको नहीं डरना,
हम "देव" अपनी किस्मतों को आजमाएंगे!"

...........चेतन रामकिशन "देव"..................

♥अभिमान के अंकुर..♥

♥♥♥♥♥अभिमान के अंकुर..♥♥♥♥♥
अभिमान के अंकुर तुम क्यूँ बोते हो!
क्यूँ जीवन से अपनेपन को खोते हो!

मानव का आभूषण होती कोमलता,
क्यूँ फिर पत्थर के दिल जैसे होते हो!

जब अवसर था, तब तो लापरवाह रहे,
वक़्त गुजरने पर, तुम फिर क्यूँ रोते हो!

सच्चाई के निशां, कभी न मिटते हैं,
झूठ से क्यूँ फिर, सच्चाई को धोते हो!

अगर पड़ोसी "देव" तुम्हारा दुख में है,
क्यूँ फिर चादर तान के चुप चुप सोते हो!"

...."शुभ-दिन"....चेतन रामकिशन "देव"....

♥♥"आनंद" सो गया...♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥"आनंद" सो गया...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
रंगमंच की गतिविधि का, सञ्चालन भी मंद हो गया!
आज मौत की चिरनिंद्रा में, जो अपना "आनंद" सो गया!

जिसके अभिनय की क्षमता से, परदे पर रंगत आती थी!
कभी हंसी से दिल हँसता था, कभी आंख भी भर आती थी!
एक तरफ तो इक "रोटी" ने, उसको मुजरिम बना दिया था,
कभी देखिये "अमर प्रेम" की, गाथा मन को भा जाती थी!

पूर्ण हुआ है "सफ़र" उसी का, फूलों से मकरंद खो गया!
रंगमंच की गतिविधि का, सञ्चालन भी मंद हो गया!"

....सुपरस्टार आनंद राजेश खन्ना को नम आँखों से नमन..

....................चेतन रामकिशन "देव".................

♥आशाओं के पंख..♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥आशाओं के पंख..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
आशाओं के पंख लगाकर, उड़ने का प्रयास करो!
ये दुनिया कितनी सुन्दर है, इसका तो आभास करो!


इस दुनिया में कोई मंजिल पाना यारों कठिन नहीं है,
तुम अपनी इच्छा शक्ति पर इतना तो विश्वास करो !


अपने सुख की खातिर तो, दुनिया का हर इन्सां जीता है
लेकिन कभी परायों के भी, आंसू का एहसास करो !


जिस्मो तक ही जो सीमित हो वो तो कोई प्यार नहीं
सच्ची चाहत करनी है तो, रूहानी एहसास करो!

"देव" जो चाहो दुनिया तुम को अपनी पलकों पर बैठा ले ,
जन-जीवन का हितकारी हो, काम कुछ ऐसा ख़ास करो!"

..................चेतन रामकिशन "देव"......................

Saturday, 14 July 2012

♥गोहाटी का चीरहरण...♥


♥♥♥♥♥♥♥♥गोहाटी का चीरहरण...♥♥♥♥♥♥♥♥
गोहाटी के चीरहरण की घटना से, दिल में मातम है!
बने नपुंसक लोग देश के, उनमे न लड़ने का दम है!

चौराहे पर लुटती नारी, भीख दया की मांग रही थी!
चीरहरण से बचने को वो, इधर उधर भी भाग रही थी!
उसकी आँखों के आंसू भी, बहते हैं ये सोच सोच कर,
आज उसी पर दाग लग रहा, कल तक वो बेदाग रही थी!

चीरहरण से बचा सके जो, ऐसा कोई नहीं किशन है!
गोहाटी के चीरहरण की घटना से, दिल में मातम है...

उस लुटती नारी ने देखो, उनको बहन की याद दिलाई!
हाथ जोड़कर करती मिन्नत, आप भी होंगे किसी के भाई!
लेकिन ऐसे दुशाशनों  में, कहाँ भला मर्यादा होती,
उनको तो अपनी माँ बहनें भी, लगती हैं चीज पराई!

आज भी देखो इस भारत में, नारी की न राह सुगम है!
गोहाटी के चीरहरण की घटना से, दिल में मातम है....

नहीं नपुंसकता त्यागी तो, फिर ऐसा आलम आएगा!
किसी बहन और किसी बहु का, चीरहरण फिर हो जायेगा!
"देव" यदि लड़ने की शक्ति, न हाथों में भरोगे तुम तो,
यहाँ वहां फिर जगह जगह पर, राज दुशाशन हो जायेगा!

जीवन को जीना चाहते हो, लेकिन खून रगों में कम है!
गोहाटी के चीरहरण की घटना से, दिल में मातम है!"


" गोहाटी में, एक लड़की को दरिन्दे दुशाशन बनकर, नोंचते रहे, उसके वस्त्र फाड़ते रहे, पर लोग नपुंसक बनकर देखते रहे! लेकिन वे ये नहीं जानते, जब ऐसे भेड़िये अपना शिकार करने निकलते हैं तो वे अपना पराया नहीं देखते, उनके लिए औरत, माँ या बहन नहीं, वासना का केंद्र होती है! तो जागिये, क्या पता भेड़िये अगले शिकार आपके यहाँ करने चले आयें................"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-१५.०७.२०१२

मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!
सर्वाधिकार सुरक्षित!

♥♥♥♥♥सावन की मुलाकात..♥♥♥♥♥♥


बड़ी हरियाली है, सावन की घटा छाई है!


मुझसे मिलने जो मेरी सजनी चली आई है!


बड़ी सुन्दर, बड़े प्यारे से, निखरते रंग में,


मानो तो चांदनी, धरती पे उतर आई है!


आपके रूप के चर्चे हैं, सारे फूलों में,

देखकर तुम को सखी, हर कली मुस्काई है!


अपने शब्दों से तुम्हें, कैसे अलंकृत कर दूँ,

मेरे शब्दों में सखी, तू ही तो समाई है!


तेरी आँखों में सखी, मैंने झांककर देखा,

उनमे मेरी मूरत है मेरी, मेरी ही परछाई है!"


...........चेतन रामकिशन "देव".................

♥जिंदगी में चलो...♥



♥♥♥♥♥♥जिंदगी में चलो...♥♥♥♥♥♥♥♥
जिंदगी में चलो महान ये इक , काम करें!
लोग जो याद करें, ऐसा अपना नाम करें !

जो भरी धूप में हम सब को, छांव देती है,
आओ उस माँ का अदब और हम सलाम करें!

एक सा खून है, मानव की ही संतान हैं हम,
न ही हिंसा, न भेद, न ही कत्ले-आम करें!

सिर्फ दौलत के लिए, सच को बेचकर के हम,
किसी का प्यार, यकीं, न कभी नीलाम करें!

"देव" इंसानियत के प्यार में जिन्दा रहकर,
प्यारी प्यारी सी सुबह और हसीं शाम करें!"

...."शुभ-दिन"...चेतन रामकिशन "देव"......

♥रिमझिम बूंदे..♥



♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥रिमझिम बूंदे..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥


सावन की रिमझिम बूंदों से, भीग रहा है, मेरा तन-मन!


कृषक भी खुश, पंछी भी खुश, सचमुच प्यारा होता सावन!


सावन की सुन्दर बेला में, नव अंकुर को जन्म मिला है!


पत्तों पर शबनम बिखरी है, इन्द्रधनुष सा रंग खिला है!

बागों में सावन के झूले, लगते हैं कितने मनभावन!

सावन की रिमझिम बूंदों से, भीग रहा है, मेरा तन-मन!"

..................चेतन रामकिशन "देव"........................

♥सावन की सुगंध..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥सावन की सुगंध..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
ये सावन का महीना, सौंधी खुश्बू ले के आया है!
है फूलों पर चढ़ा यौवन, भ्रमर भी मुस्कुराया है!

हवा भी शीत है मनमीत, मौसम भी सुहाना है!
हमे मन का, हमे रूह का, मिलन दिल का कराना है!
इन्ही बूंदों की रिमझिम में, मयूरा नृत्य करता है,
हमे भी प्यार का नगमा, सखी जी गुनगुनाना है!

है बिखरा प्यार का अहसास, हर दिल खिलखिलाया है!
ये सावन का महीना, सौंधी खुश्बू ले के आया है....

सखी शाखों पे देखो, कोकिला भी गीत गाती है!
ये देखो बूंद बारिश की, सखी मन को लुभाती है!
तुम्हारी ओढ़नी पर जो, कढ़े हैं फूल रेशम से,
सखी उनमे भी सावन की घटा से जान आती है!

सखी सावन ने सूखी धरती में अंकुर उगाया है!
ये सावन का महीना, सौंधी खुश्बू ले के आया है....

सखी प्रकृति के सम्मुख चलो अब सर झुकाते हैं!
इसी प्रकृति की कृपा से, हम सब खिलखिलाते हैं!
ए प्रभुवर प्रकृति से, है मेरी इक और अभिलाषा,
हंसी उनकी भी खिल जाए, जो बस आंसू बहाते हैं!

सुनो ए "देव" सावन ने, मेरा चिंतन जगाया है!
ये सावन का महीना, सौंधी खुश्बू ले के आया है!"

"
सावन का महीना, जब भी आता है, प्रेम के रंग-बिरंगे शब्दों से, आकाश के पटल पर इन्द्रधनुष की रचना होने लगती है! बारिश की बूंद सूखी धरती पे अंचल पर जब गिरती है तो सौंधी खुश्बू से वातावरण सुगन्धित हो जाता है! प्रेमालाप होता है, प्रकृति सावन की बूंदों से धुलकर यौवन पूर्ण हो जाती है! अपने इन टूटे-फूटे शब्दों से, सावन का स्वागत करने का प्रयास भर किया है!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-११.०७.२०१२

♥♥तेरी यादों से..♥♥



♥♥♥♥♥♥♥♥तेरी यादों से..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तेरी यादों से भला, दिल को अलग कैसे करूँ,
मेरे सीने में भी दिल है, कोई पाषाण नहीं!

तुम न आये तो मैंने देख ली तस्वीर तेरी,
बिन तुझे देखे गुजरती है, सुबह, शाम नहीं!

अपने ही अश्क पिए, प्यार की हिफाज़त में,
कभी भूले से भी, तुमको किया बदनाम नहीं!

प्यार न बिकता है, न इसको खरीदा जाये,
प्यार बाज़ार में बिकता हुआ, सामान नहीं!

दूर रहके भी "देव" चाहा, तुम्हें पूजा है,
तू मेरा अपना है, कोई अजनबी इन्सान नहीं!"

.........चेतन रामकिशन "देव"..................

Tuesday, 10 July 2012

♥जो साथ तेरा..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥जो साथ तेरा..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मुझे किसी की नहीं जरुरत, जो साथ तेरा है मेरे संग में!
हवा में खुश्बू में महक रही है, रंगा है ये दिल तुम्हारे रंग में!

तुम्हारी चाहत से जिंदगी में, सुकुन पाया, आराम पाया!
मिली है जबसे तेरी मोहब्बत, लगे खुदा से ईनाम पाया!
तुम्हारे हाथों में हाथ लेकर, चला हूँ जब भी मैं जिंदगी में,
न पथ में आई कोई भी मुश्किल, हमेशा हमने मुकाम पाया!

कदम हमारे थिरक रहे हैं, तुम्हारी चाहत की इस तरंग में!
मुझे किसी की नहीं जरुरत, जो साथ तेरा है मेरे संग में!"

.........................चेतन रामकिशन "देव"........................

Monday, 9 July 2012

♥वक़्त(बदलाव का असर)..♥


♥♥♥♥♥♥♥वक़्त(बदलाव का असर)..♥♥♥♥♥♥♥♥
जिनको अपने दिल में रखा, वो ही हमसे दूर हो गए!
मेरी आँखों के सपने भी, एक पल में ही चूर हो गए!

नहीं किसी ने समझा मेरी, रंजो-गम की बीमारी को,
बिना दवा के ज़ख्म देखिए, रिस रिस कर नासूर हो गए!

वो जब तक मुफ़लिस थे तब तक, बातों में नरमी रखते थे,
उनको जब से मिली है दौलत, वो तब से मगरूर हो गए!

किस्मत जिनके साथ है उनकी, अब भी तूती बोल रही है,
लेकिन जिनसे रूठी किस्मत, वो पल में बेनूर हो गए!

कभी किसी के बुरे वक़्त में, "देव" नहीं उपहास उड़ाना,
इसी वक़्त के हाथ सिकंदर, पोरस भी मजबूर हो गए!""

.....................चेतन रामकिशन "देव"............................

Sunday, 8 July 2012

♥गर्म खून आबाद नहीं है...♥


♥♥♥♥♥♥♥♥गर्म खून आबाद नहीं है...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
महापुरुषों के पदचिन्हों पर, हम चलने की आदत भूले!
हम अपने उल्लास में देखो, माँ जननी और भारत भूले!

गाँधी, विस्मिल और सुभाष की, कुर्बानी भी याद नहीं है!
कमरे के चित्रों में शामिल, अब मनमथ, आजाद नहीं हैं!
देश के दुश्मन देश में घुसकर, मासूमों को मार रहे हैं,
हम लोगों के जिस्म में लेकिन, गर्म खून आबाद नहीं है!

आजादी के दीवानों की, हम सब आज शहादत भूले!
महापुरुषों के पदचिन्हों पर, हम चलने की आदत भूले!"

..........."शुभ-दिन"...चेतन रामकिशन "देव".................



Saturday, 7 July 2012

♥दिल का कागज़..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥दिल का कागज़..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
हम अपने दिल के कागज़ पर, अनुभूति के पल लिखते हैं!
कभी हंसी लिखते चेहरे की, कभी नयन का जल लिखते हैं!

जो लेखक अपने शब्दों से, भेदभाव की महिमा गाते!
जो लेखक अपने शब्दों से, बस हिंसा का पाठ पढ़ाते!
ऐसे लेखक सारा जीवन, रहते हैं बस अंधकार में,
जो लेखक अपने शब्दों से, मानवता के दीप बुझाते!

हम लिखते हैं समरसता को, न दंगा, न छल लिखते हैं!
हम अपने दिल के कागज़ पर, अनुभूति के पल लिखते हैं!"

..........."शुभ-दिन".......चेतन रामकिशन "देव"...........

♥तुम ही तुम...♥


 ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥तुम ही तुम...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तुम इच्छा हो, तुम आशा हो, तुम जीवन की अभिलाषा हो!
 तुम मेरे शब्दों की क्षमता, तुम शब्दों की परिभाषा हो!

तुम उपवन हो, तुम यौवन हो, जीवन का संगीत तुम्ही हो!
तुम ही साहस, तुम ही यश हो, और हमारी जीत तुम्ही हो!
तुम वंदन में, अभिनन्दन में, तुम ही मेरी अनुभूति में,
तुम ही कविता, तुम ही लेखन, और कंठ का गीत तुम्ही हो!

तुमसे सब कुछ सीख रहा हूँ, तुम ही मेरी जिज्ञासा हो!
तुम मेरे शब्दों की क्षमता, तुम शब्दों की परिभाषा हो!"


.........................चेतन रामकिशन "देव"...........................


Friday, 6 July 2012

♥करो परिश्रम...♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥करो परिश्रम...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
करो परिश्रम सही दिशा में, निश्चित ही परिणाम मिलेगा!
अच्छे अच्छे काम करो तुम, जग में सुन्दर नाम मिलेगा!

नाकामी से डरकर खुद को, जीते जी मृतक न मानो!
सपने भरकर तुम आँखों में, अपनी शक्ति को पहचानो!
कभी किसी के बहकावे में, झूठ को सच का नाम न देना,
अपनी बुद्धि और चिंतन से, सही गलत का मतलब जानो!

नेक, नियत के पथ पर चलकर, मन को भी आराम मिलेगा!
करो परिश्रम सही दिशा में, निश्चित ही परिणाम मिलेगा!"

.............."शुभ-दिन"...........चेतन रामकिशन "देव"...........

Thursday, 5 July 2012

♥श्रंगार अधूरा..♥

♥♥♥श्रंगार अधूरा..♥♥
शब्दों का श्रंगार अधूरा,
तुम बिन ये संसार अधूरा!

दूर गए हो जबसे हमदम,
तब से है दीदार अधूरा!

तुम बिन आंगन सूना लगता,
चौखट पर ख़ामोशी पसरी!

तुम बिन कंगना चूड़ी चुप हैं,
आँखों को न भाए कजरी!

जिस दिन से परदेस गए हो,
तब से है घर-वार अधूरा!"

.....चेतन रामकिशन "देव"......

♥कुछ तो..♥



♥♥♥♥कुछ तो..♥♥♥♥♥
कुछ तो खोया खोया सा है!
मन भी रोया रोया सा है!
क्यूँ अपने आंसू से मैंने,
चेहरा धोया धोया सा है!

सड़कों की फुटपाथों पर जब,
नंगे भूखे तन दिखते हैं!
भारत में ही जन्मे जब वो,
खद्दरधारी जन बिकते हैं!
देश का कृषक भूख के कारण,
जब फांसी पर चढ़ जाता है!
तब तब ही मेरी आँखों से,
बरबस आंसू बह जाता है!

लोगों ने भी बीज द्वेष का,
मन में बोया बोया सा है!
कुछ तो खोया खोया सा है!
मन भी रोया रोया सा है!"

...."शुभ-दिन"..चेतन रामकिशन "देव"

Tuesday, 3 July 2012

♥निर्धन की बेटी....♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥निर्धन की बेटी....♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
चन्द्र किरण जैसी बेटी का, रिश्ता जाने कैसे तय हो!
सोच रहा है निर्धन कैसे, महंगाई में दूल्हा क्रय हो!

बिना दहेज़ के निर्धन की बेटी का, साथी कौन बनेगा!
धन-दौलत की भीड़ में कोई, उस निर्धन को कहाँ चुनेगा!
हर दूल्हे की कीमत देखों, लाखों रूपये से ऊपर है,
निर्धन की बेटी की पीड़ा, विक्रय दूल्हा कहाँ सुनेगा!

निर्धन बेटी सोच रही है, कब उसका जीवन सुखमय हो!
चन्द्र किरण जैसी बेटी का, रिश्ता जाने कैसे तय हो.....

धन-दौलत की आकांक्षा है, न उनको गुणवान चाहिए!
वो चाहें बस मोटर गाड़ी, न उनको सम्मान चाहिए!
ऐसे बिकने वाले दुल्हे, खुद से नजर मिलायें कैसे,
जिनको न ही रूह का रिश्ता, जिनको न ईमान चाहिए!

निर्धन बेटी सोच रही है, दूर भला कब उसका भय हो!
चन्द्र किरण जैसी बेटी का, रिश्ता जाने कैसे तय हो.....

निर्धन रोता फूट फूट कर और बेटी की आंख भी नम है!
कितना भी दे दो दूल्हे को, फिर भी उसको लगता कम है!
"देव" दहेज़ का दानव जाने, कब तक जीवित रहेगा यूँ ही,
सोच सोच कर ही निर्धन का, जीते जी ही निकला दम है!

न जाने कब देवी रूपी, इस प्यारी बेटी की जय हो!
चन्द्र किरण जैसी बेटी का, रिश्ता जाने कैसे तय हो!"

" समाज में दहेज़ कलंक बनता जा रहा है, धन कुबेरों और धनिक वर्ग के द्वारा दहेज़ की परंपरा को प्रसारित किये जाने से यह संकट अब निर्धन और छोटे परिवारों को भी घेरने लगा है! समाज में दहेज़ के सम्बन्ध में अनेकों ह्रदय विदारक घटनायें दिन प्रतिदिन घट रही हैं, लेकिन सोचना होगा, दहेज़ कोई वरदान नहीं है, अपने हाथों में काम करने की शक्ति हो तो, हम स्वयं भी अपना घर भर सकते हैं!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-०४.०७.२०१२

♥तेरे कंधे पर..♥


♥♥♥♥♥♥तेरे कंधे पर..♥♥♥♥♥♥
तेरे कंधे पर सर रखके सो जाऊ!
सखी तुम्हारी इन आँखों में खो जाऊ!

तुमने इतना प्यार मुझे सिखलाया है,
नफरत में भी प्यार के अंकुर बो जाऊ !

मुझे नहीं कागज़ के टुकड़ों की चाहत,
तेरे प्यार की दौलत से खुश हो जाऊ!

बोध कराया तुमने ही तो करुणा का,
मैं औरों का दर्द देखके रो जाऊ!

दुरित भावना "देव" के मन में आए तो,
तेरे प्यार के गंगाजल से धो जाऊ!"

.........चेतन रामकिशन "देव"............

Sunday, 1 July 2012

♥मर्यादित जीवनधारा...♥


♥♥♥♥♥♥♥♥मर्यादित जीवनधारा...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मर्यादित जीवनधारा हो, नैतिकता का समावेश हो!
मानवता के प्रति ह्रदय में, न हिंसा न कोई द्वेष हो!

अपनेपन के दीप जलाकर, तुम जग में उजियारा कर दो!
प्यार, वफ़ा और कोमलता से, सारे जग को प्यारा कर दो!
अंतर्मन में कभी न अपने, ईर्ष्या के तुम भाव जगाना,
मन की सोच को पावन करके , गंगा की जल धारा कर दो!

तुम सच के संवाहक बनना, मिथ्या जैसा नहीं भेष हो!
मर्यादित जीवनधारा हो, नैतिकता का समावेश हो!"

.........."शुभ-दिन".......चेतन रामकिशन "देव"......

♥प्रेम का एहसास..♥


♥♥प्रेम का एहसास..♥♥
मैंने तुमसे प्यार किया है,
नहीं पता प्रमाणित करना!
तुमसे सीखी है कोमलता,
नहीं पता प्रताड़ित करना!

मुझको तेरी आंख के आंसू, अब हमदम अपने लगते हैं!
सखी तेरी आँखों के सपने, अब मुझको अपने लगते हैं!

तुम शब्दों की अनुभूति पर,
नहीं पता परिभाषित करना!
मैंने तुमसे प्यार किया है,
नहीं पता प्रमाणित करना!"

......चेतन रामकिशन "देव".......