Thursday, 29 November 2012

♥♥लफ्जों की रौशनी..♥♥


♥♥♥♥♥♥लफ्जों की रौशनी..♥♥♥♥♥♥♥
रौशनी प्यार की लफ्जों में उतर जाने दो!
गम के सैलाब को आँखों से बिखर जाने दो!

अपने चेहरे को बहुत माँज लिया है तुमने,
आओ कुछ वक्त जरा दिल को निखर जाने दो!

मेरे अपनों ने तो हर वक्त ही छला मुझको,
आज इस अजनबी बस्ती में ठहर जाने दो!

मुझको मालूम है खुशियों का दौर आएगा,
कारवां दर्द का जीवन से गुजर जाने दो!

"देव" मैं चुप हूँ मुझे कुछ भी नहीं कहना है,
मेरी खामोशी को कुछ देर संवर जाने दो!"

.............चेतन रामकिशन "देव".............










♥दिल का हाल..♥


♥♥♥♥♥♥♥दिल का हाल..♥♥♥♥♥♥
हाल दिल का सुनाने से क्या फायदा!
यूँ ही आंसू बहाने से क्या फायदा!

वो जिन्होंने मुझे पल में ठुकरा दिया,
उनको अपना बताने से क्या फायदा!

बन गए ज़ख्म दिल के जो नासूर अब,
उन पे मरहम लगाने से क्या फायदा!

प्यार करना है तो तुम करो रूह से,
यूँ ही रस्में निभाने से क्या फायदा!

जो है तकदीर में "देव" मिल जायेगा,
यूँ किसी को गिराने से क्या फायदा!"


........चेतन रामकिशन "देव"..........

Wednesday, 28 November 2012

♥दर्द से साक्षात्कार..♥

♥♥दर्द से साक्षात्कार..♥
दर्द से आंखे चार करेंगे!
खुशियों का सत्कार करेंगे!

जो कुछ भी ये देगा जीवन,
हम उसको स्वीकार करेंगे!

यदि अश्क होंगे आँखों में,
जो हम उनका पान करेंगे!

बस अपनी खुशियों की खातिर,
नहीं दर्द प्रदान करेंगे!

जीवन के हर मौसम को हम,
सह लेंगे हँसते मुस्काते,

कभी दर्द में ग़ज़ल लिखेंगे,
कभी खुशी में गान करेंगे!

जीवन में हर मुश्किल से हम,
जोशीली ललकार करेंगे!

जो कुछ भी ये देगा जीवन,
हम उसको स्वीकार करेंगे!"

...चेतन रामकिशन "देव"...

Tuesday, 27 November 2012

♥ओ हमनवा..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥ओ हमनवा..♥♥♥♥♥♥♥♥
तुमको खुदा बना लिया मैंने ओ हमनवा!
तुमको दुआ बना लिया मैंने ओ हमनवा!

अब दर्द मुझे कोई भी सता नहीं सकता,
तुमको दवा बना लिया मैंने ओ हमनवा!

जब भी मुझे घेरा है अँधेरे ने कभी तो,
तुमको दिया बना लिया मैंने ओ हमनवा!

सब मेरे ही अंदाज के कायल हैं आजकल,
तुमको अदा बना लिया मैंने ओ हमनवा!

ए "देव" कोई गम की घुटन मुझको नही है,
तुमको हवा बना लिया मैंने ओ हमनवा!


............चेतन रामकिशन "देव".............

Monday, 26 November 2012

♥निर्धन (पीड़ा का पर्याय)♥


♥♥♥♥♥निर्धन (पीड़ा का पर्याय)♥♥♥♥♥
ग्राम देवता पीड़ा में है, श्रमिक भी है तंग!
इनका जीवन तिमिर भरा है, नहीं हर्ष के रंग!
भूख, शीत से मरते रहते, रोज ही निर्धन लोग,
देश के नेता फिर भी देखो, नहीं हैं इनके संग!

मनरेगा की मजदूरी भी होती भी इतनी अल्प!
कैसे उस मजदूर के घर में होगा कायाकल्प!

नेता इनका हाल देखकर, कभी न होते दंग!
ग्राम देवता पीड़ा में है, श्रमिक भी है तंग...

महंगाई से खिला खिला, देश का हर बाजार!
रोज ही देखो दामों बढाती, ये अंधी सरकार!
नेताओं के घर में होता, उत्सव का माहौल,
निर्धन की आँखों से बहती, केवल अश्रुधार!

रात रात में बढ़ जाते हैं, बाजारों में दाम!
महंगाई ने छीन लिया है, लोगों का आराम! 

आम आदमी के जीवन की खोने लगी उमंग!
ग्राम देवता पीड़ा में है, श्रमिक भी है तंग...

उत्पीड़न से बचना है तो करो जरा संघर्ष!
इस तरह से चुप रहने से, नहीं मिलेगा हर्ष!
"देव" तुम्हें अब बनना होगा, साहस का प्रतीक,
हाथ पे हाथ धरे रहने से, नहीं कोई निष्कर्ष!

आम आदमी कर लो मन में, शक्ति का संचार!
बिन शक्ति के होगा उन पर यूँ ही अत्याचार!

अधिकारों को पाना है तो करनी होगी जंग!
ग्राम देवता पीड़ा में है, श्रमिक भी है तंग!"

"
आम आदमी-देश का आम आदमी, चाहें वो किसान हो या मजदूर, या फिर माध्यम वर्ग का जीवन यापन करने वाला व्यक्ति, हर किसी को कभी महंगाई तो कभी सरकार के नए नए गलत नियमों की मार झेलनी पड़ती है! जब तक आम आदमी नहीं जागेगा तब तक ये उत्पीड़न होता रहेगा..इसीलिए युद्ध की तैयारी करनी ही होगी! तो आइये चिंतन करें!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-२७.११.२०१२ 

"सर्वाधिकार सुरक्षित"
रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!





♥दर्द की मुस्कान..♥


♥♥♥♥♥♥♥दर्द की मुस्कान..♥♥♥♥♥♥♥♥
मैं जब से अपने आप को समझाने लगा हूँ!
उस दिन से दर्द में भी मुस्कुराने लगा हूँ!

दुनिया में हर कोई नहीं हमदर्द है यारों,
ये सोचकर के सबसे गम छुपाने लगा हूँ!

क्या हो गया जो आज मुझे हार मिली है,
कल जीतने के ख्वाब फिर सजाने लगा हूँ!

दुनिया में मोहब्बत से बड़ी कोई शै नहीं,
मैं सबको मोहब्बत का गुर सिखाने लगा हूँ!

ए "देव" मुझे अपनी भी कमियों का पता है,
मैं अपनी नजर खुद से ही मिलाने लगा हूँ!


........... (चेतन रामकिशन "देव") .........

Sunday, 25 November 2012

♥तुम्हारे ख्वाब..♥


♥♥♥♥♥♥तुम्हारे ख्वाब..♥♥♥♥♥♥♥
जब से तुम मेरे ख्वाबों में आने लगे!
हम भी ख्वाबों की दुनिया सजाने लगे!

जब से तेरी हंसी का सहारा मिला,
हर घड़ी हम भी अब मुस्कुराने लगे!

जब भी तनहा अँधेरे ने घेरा मुझे,
तेरी यादों के दीपक जलाने लगे!

मैं जो रूठा तो तुमने मनाया मुझे,
हम तुझे रूठने पर मनाने लगे!

"देव" तुमसे न बढ़कर कोई भी ख़ुशी,
तेरी चाहत में हर गम भुलाने लगे!
..... (चेतन रामकिशन "देव") .....




Saturday, 24 November 2012

♥हुसैन को नमन..♥


♥♥♥♥♥♥♥हुसैन को नमन..♥♥♥♥♥♥♥
मन से नमन हुसैन को, दिल से सलाम है!
वीरों का वीर, साहसी, ये उनका नाम है!
न तुम दमन के सामने मस्तक को झुकाना,
इंसानियत के नाम ये उनका कलाम है!

वो सत्य के पथ पे ही बलिदान कर गए!
इंसानियत के नाम का सम्मान कर गए!

इन्सान बनके रहने का उनका पयाम है!
मन से नमन हुसैन को, दिल से सलाम है!"

.......... (चेतन रामकिशन "देव") ..........

Friday, 23 November 2012

♥प्रेम की पाठशाला ♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्रेम की पाठशाला ♥♥♥♥♥♥♥♥♥
नहीं गणित है, न अंग्रेजी, प्रेम कोई प्रमेय नहीं है!
रंग भेद की दुर्नीति सा, कोई प्रेम में हेय नहीं है!

प्रेम की भाषा मधुर है सबसे, इसका सीमित क्षेत्र नहीं है!
वो भी समझे छुअन प्रेम की, जिसके मस्तक नेत्र नहीं हैं!

प्रेम धवल करता है मन को, इसका दूषित ध्येय नहीं है!
नहीं गणित है, न अंग्रेजी, प्रेम कोई प्रमेय नहीं है!"

............. (चेतन रामकिशन "देव") ..................

Wednesday, 21 November 2012

♥दर्द और दवा ♥


♥♥♥♥दर्द और दवा ♥♥♥
बिना दर्द के दवा कहाँ है,
बिना घुटन के हवा कहाँ है,
चोट लगे न जब तक खुद को,
तब तक रब से दुआ कहाँ है!

रिश्ते तो हैं ताश के पत्ते,
जब तब देखो ढह जाते हैं!
लोग यहाँ पर भीड़ में देखो,
तनहा तनहा रह जाते हैं!
लेकिन तुम अपने जीवन को,
नहीं टूटकर गिर जाने दो,
वही लोग दृढ बनते एक दिन,
जो पीड़ा को सह जाते हैं!

बिना आग के धुआं कहाँ है!
बिना दिवस के निशा कहाँ है!
चोट लगे न जब तक खुद को,
तब तक रब से दुआ कहाँ है!"

... (चेतन रामकिशन "देव") .....

♥तेरे प्रेम की दमक♥


♥♥तेरे प्रेम की दमक♥♥♥
तेरे प्यार से दमक रहा हूँ,
जैसा तारा नीलगगन में!
हर्ष की वर्षा बरस रही है,
जब से तुम आई जीवन में!

तू गंगा जसी जल धारा 
तेरा मुख है चाँद सा प्यारा,,
जीवन में उपवन महका है,
जब से तूने दिया सहारा!

तुझे आत्मा से चाहा है,
तू ही चिंतन और मनन में!
तेरे प्यार से दमक रहा हूँ,
जैसा तारा नीलगगन में!

..चेतन रामकिशन "देव"...

Tuesday, 20 November 2012

♥♥आईना ♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥आईना ♥♥♥♥♥♥♥♥♥
पहले खुद से तो नजरें मिलाया करो!
फिर किसी ओर ऊँगली उठाया करो!

बैठने से कभी भी न मंजिल मिले,
तुम कदम अपने आगे बढाया करो!

न डरो तुम गमों के घने स्याह से,
होंसलों के दिये तुम जलाया करो!

तन से तन का मिलन ही मुहब्बत नहीं,
एक दूजे की रूह में समाया करो!

नफरतों से भला किसको क्या मिल सका,
प्यार के फूल दिल में खिलाया करो!

मंदिरों मस्जिदों मे भी जाना मगर,
पहले माँ-बाप का दिल हंसाया करो!

"देव" ये दोस्ती का सफ़र हो हसीं,
दोस्ती मरते दम तक निभाया करो!"

........चेतन रामकिशन "देव".......

♥प्यार तुम्हारा..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्यार तुम्हारा..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
प्यार तुम्हारी आँखों में है, और जादू तेरी बातों में!
दिन भी तेरी याद में गुजरे, याद तू ही आती रातों में!

तेरा हँसना मन को भाये, तुझे देखकर दिल मुस्काए!
बिना तुम्हारे मेरे हमदम, इक पल को भी चैन न आये!
याद तेरी ही ख्वाब में ढलकर, मेरी निंदिया में आती है,
और तेरी सुन्दरता हमदम, अंधकार में दीप जलाये!

मन को राहत देती है तू, जैसे मिलती बरसातों में!
प्यार तुम्हारी आँखों में है, और जादू तेरी बातों में!"

................चेतन रामकिशन "देव"...................

♥मेरी नजर..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मेरी नजर..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
नजर है मेरी अम्बर पर, मुझे दुनिया पे छाना है!
मुझे कुछ नाम करना है, मुझे मंजिल को पाना है!
नहीं मैं हार से डरकर, कभी हथियार डालूँगा,
चलेगी साँस जब तक, ज़िन्दगी को आजमाना है!"
..................चेतन रामकिशन "देव"....................


Monday, 19 November 2012

♥माँ (मखमली घास)♥


♥♥♥♥♥माँ (मखमली घास)♥♥♥♥♥♥
माँ कली, माँ सुमन, मखमली घास है!
माँ ही रिमझिम सितारों का आकाश है!
माँ धरा की तरह हमको पोषित करे,
माँ के ह्रदय में ममता का आवास है!

माँ की हर एक खुशी उसकी संतान है!
माँ ही धरती पे ईश्वर की पहचान है!

माँ ही है सत्यता, माँ ही विश्वास है!
माँ कली, माँ सुमन, मखमली घास है...

माँ की जाति नही, न कोई धर्म है!
माँ तो है भावना, माँ सुखद कर्म है!
माँ की सुन्दर छवि है अनोखी बड़ी,
माँ कभी सख्त है, माँ कभी नर्म है!

माँ के आशीष में हर्ष विधमान है!
माँ ही प्रथम गुरु, माँ कुशल ज्ञान है!

माँ बड़ी साहसी, माँ ही आयास है!
माँ कली, माँ सुमन, मखमली घास है...

माँ की पावन छवि को हमारा नमन!
माँ की वाणी मधुर जैसे हो प्रवचन!
माँ ने ही "देव" हमको रचा है यहाँ,
माँ ही संतान का भार करती वहन!

माँ बड़ी ही धवल, माँ तो गुणवान है!
माँ तो संतान के मुख की मुस्कान है!

माँ का वंदन करो, माँ नहीं दास है!
माँ कली, माँ सुमन, मखमली घास है!"

"
माँ-एक ऐसा शब्द, जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में ममता का भण्डार है, स्नेह का महा सागर है, अपनत्व का आकाश है, माँ की पावन छवि अनवरत वन्दनीय है, माँ का आशीष रेगिस्तान की धूप में जल की शीतलता तो शीत ऋतू में गुनगुनी धूप प्रदान करता है! तो आइये इस दिव्य स्वरूप माँ को नमन करें..."

सर्वाधिकार सुरक्षित!
ये रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!
(उक्त रचना मेरी माँ कमला देवी एवं माँ प्रेम लता जी को सादर समर्पित)

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-२०.११.२०१२ 

Saturday, 17 November 2012

♥उजाले की किरण.. ♥


♥♥♥♥♥♥♥उजाले की किरण.. ♥♥♥♥♥♥♥♥
अंधेरों से उजालों की तरफ विस्तार करना है!
हमे मन की निराशा पे कड़ा प्रहार करना है!

चलो अपने मनों से द्वेष की खाई मिटाकर के,
हमे मानव से मानवता के नाते प्यार करना है!

जहाँ देखो वहां दिखते हैं, जंगल ईंट पत्थर के,
हमे हरियाली से भूमि का अब श्रृंगार करना है!

सुनो मंदिर में अपनी वंदना करना मगर पहले,
हमे माता पिता के रूप का सत्कार करना है!

भले ही "देव" दुनिया में, बड़े धनवान हो जाना,
नहीं पर भूल के भी हमको अत्याचार करना है!"

............ (चेतन रामकिशन "देव") .............





♥♥तेरी तस्वीर..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥तेरी तस्वीर..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तेरी तस्वीर को अपनी मोहब्बत से सजाऊंगा!
तेरे गालों पे अपने प्यार का चन्दन लगाऊंगा!

मैं अम्बर के सितारों से, तुम्हारी मांग भर दूंगा!
गुलाबों के मधुर रस से, तेरे अधरों को रंग दूंगा!
मैं तेरे कान के झुमकों को देकर फूल का चेहरा,
तेरी आँखों में काले मेघ से काजल को भर दूंगा!


तेरे माथे पे सुन्दर चाँद की बिंदिया सजाऊंगा!
तेरी तस्वीर को अपनी मोहब्बत से सजाऊंगा!

मुझे फूलों की लड़ियों से तेरा गजरा बनाना है!
मुझे शबनम के मोती से, तेरा कंगन सजाना है!
तेरे वस्त्रों को हरियाली का सुन्दर आवरण देकर,
मुझे फूलों की खुश्बू को, तेरे भीतर वसाना है!

तेरी तस्वीर बनने पर उसे दिल से लगाऊंगा!
तेरी तस्वीर को अपनी मोहब्बत से सजाऊंगा!"

.............. (चेतन रामकिशन "देव") ..............

♥निर्धन का उपवास.♥


♥♥♥♥♥निर्धन का उपवास.♥♥♥♥♥
भूख है, प्यास है, कुछ नहीं खास है!
ये जमीं उसका घर, छत ये आकाश है!
और किसी देवता के भी पूजन के बिन,
मानो हर दिन गरीबों का उपवास है!

देश में निर्धनों का बुरा हाल है!
उनके जीवन में पीड़ा का जंजाल है!
कैसे संतान को कोई उपहार दे,
पास पैसे नहीं, इतना बेहाल है!

उसकी आँखों में आंसू का एहसास है!
और नेताओं के घर मधुमास है!
भूख है, प्यास है, कुछ नहीं खास है!
ये जमीं उसका घर, छत ये आकाश है!"

....... (चेतन रामकिशन "देव") .......

Friday, 16 November 2012

♥♥♥चांदनी रात.♥♥♥


♥♥♥♥♥♥चांदनी रात.♥♥♥♥♥
चांदनी रात है और तेरा साथ है!
मेरे हाथों में सजनी तेरा हाथ है!

इसकी बूंदें भी लगती बड़ी शबनमी,
ये जो तेरी मोहब्बत की बरसात है!

मेरा चेहरा भी फूलों सा खिलना लगा,
तेरी चाहत में ऐसी करामात है!

जिंदगी में नहीं अब कोई भी कमी,
जीत ही जीत है अब नहीं मात है!

मुझको अब "देव" कोई भी ख्वाहिश नहीं,
जब से मुझको मिला, ये तेरा साथ है!"

...... (चेतन रामकिशन "देव") ........

Thursday, 15 November 2012

♥आशाओं का इन्द्रधनुष..♥


♥♥♥♥♥♥♥आशाओं का इन्द्रधनुष..♥♥♥♥♥♥
निराशा के घने बादल नहीं जीवन में छाने दो!
तुम अपने मन को सपनों की नई दुनिया सजाने दो!
बिना आशाओं के तो लक्ष्य भी होते हैं भूमिगत,
नहीं मुश्किल से डरकर, तुम इरादे डगमगाने दो!

ये दुनिया खुबसूरत है, ये जीवन भी बड़ा प्यारा!
गया एक बार जो जीवन, नहीं मिलता है दोबारा!

नहीं पथभ्रष्ट होकर अपनी उर्जा व्यर्थ जाने दो!
निराशा के घने बादल नहीं जीवन में छाने दो...

कभी आंखों पे पट्टी बांधकर निर्णय नहीं करना!
हताशा से कभी जीवन का तुम प्रणय नहीं करना!
ये मृत्यु आएगी सच है, सभी ये जानते भी हैं,
मगर मृत्यु की आहट से, कभी तुम भय नहीं करना!

नहीं जीवन को जीते जी हमे मृतक बनाना है!
दुखों के काल में भी हमको देखो मुस्कुराना है!

तुम अपने मन को आशा की नई सरगम सुनाने दो!
निराशा के घने बादल नहीं जीवन में छाने दो...

ये जीवन जंग जैसा है, यहाँ पर जय पराजय है!
कभी प्रसंग खुशियों का, कभी पीड़ा का आशय है!
सुनो तुम "देव" ये मानव का जीवन श्रेष्ठ है सबसे,
दुखों की दाह है किन्तु सुखों का भी जलाशय है!

कभी भूले से भी जीवन को, तुम संताप न समझो!
दुखद जीवन भी आए तो कभी तुम श्राप न समझो!

जगत में अपने जीवन को, जरा डटकर बिताने दो!
निराशा के घने बादल नहीं जीवन में छाने दो!"

"
जीवन -ये सच है कि, जीवन में समस्याओं, कठिनाइयों, परेशानियों का ज्वार भाटा आता है, दुखों की बेला आती है, किन्तु ये भी सच है कि, जीवन दुखों का भण्डार नहीं है! जीवन गतिशील है और गतिशीलता की अवस्था में ही ठोकर लगती हैं! जीवन, आशाओं के साथ जब यापन किया जाता है तो अभावों के पश्चात भी जीवन, प्रकृति का सबसे मधुर उपहार लगता है, तो आइये चिंतन करें...."

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-१६.११.२०१२ 

सर्वाधिकार सुरक्षित!
रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!




♥♥खुशी की सौगात..♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥खुशी की सौगात..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
अम्बर अपने चाँद से खुश है, धरती अपनी हरियाली से!
पानी खुश है सागर तल से, और उपवन अपने माली से!

मेरे जीवन को भी देखो, ख्वाब किसी के महकाते हैं!
उसके तौर तरीके मुझको, जीने का ढंग सिखलाते हैं!
मैंने उसकी तारीफों में, जब जब भी कुछ लिखना चाहा,
मेरे दिल के शब्द भी देखो, उसके सजदे झुक जाते हैं!

फूल तोड़कर देता है वो, खुद कांटे रखकर डाली से!
अम्बर अपने चाँद से खुश है, धरती अपनी हरियाली से!"

................ (चेतन रामकिशन "देव") .......................

Wednesday, 14 November 2012

♥♥प्रेम भरा सहयोग♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्रेम भरा सहयोग♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मिला है जब से सखी तुम्हारा, प्रेम भरा सहयोग!
मुख मंडल को तेज मिला है, मन भी हुआ निरोग!

नहीं प्रेम मैला होता है, न ही दूषित भाव!
निहित प्रेम में होते हर क्षण, अपनेपन के भाव!
जात-पात और धन दौलत से, नहीं प्रीत का मोल,
प्रेम की संपत्ति पाकर के, मिटते सभी अभाव!

प्रेम तो एक जीवन दर्शन है, नहीं विलासी भोग!
मिला है जब से सखी तुम्हारा, प्रेम भरा सहयोग!"

................ (चेतन रामकिशन "देव") ................

♥♥दर्द के आंसू..♥♥



♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥दर्द के आंसू..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
दर्द के आंसू भी प्यारे हैं, खुशियों जैसे ही खारे हैं! 
पर जाने क्यूँ हार देखकर, हम अपनी हिम्मत हारे हैं!

हर इन्सां का मन मंदिर है, हर इंसा के मन में मस्जिद,
मानो तो मन के भीतर ही, गिरजाघर और गुरूद्वारे हैं! 

बस अपने ही दर्द को यारों, तुम सबसे ज्यादा न समझो,
फुटपाथों की ओर देखना, लाखों जन दुःख के मारे हैं!

बाल दिवस पर अखबारों में, इश्तहार छपते हैं बेशक,
लेकिन बालक मजदूरों के, जीवन में बस अंधियारे हैं!

"देव" ये सच है दर्द बहुत है, लेकिन बोझ नहीं है जीवन ,
इस जीवन में कभी दर्द तो, कभी ख़ुशी के फव्वारे हैं!"

.................  (चेतन रामकिशन "देव") .................

Monday, 12 November 2012

♥♥खुशियों का प्रकाश..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥खुशियों का प्रकाश..♥♥♥♥♥♥♥♥
सभी के घर हो दीवाली पर, खुशियों का प्रकाश!
दीपों की ज्योति से दमके, धरती और आकाश!

अपने मन में न रखो तुम, मैले, दुरित विचार!
मेल-जोल का भाव सिखाते, ये सारे त्यौहार!
दीप जलाने का आशय है, मन के उजले भाव,
जात-धर्म से ऊपर उठकर, करें सभी से प्यार!

बिना प्रेम के कड़वापन है, आती नहीं मिठास!
सभी के घर हो दीवाली पर, खुशियों का प्रकाश!"

..."शुभ-दीपावली"....चेतन रामकिशन "देव".....


♥♥♥♥♥♥♥कंगाली में क्या दीवाली.. ♥♥♥♥♥♥♥
है जिनके घर में अँधेरा, है जिनके घर में कंगाली!
है जिनका पेट भी भूखा, है जिनकी जेब भी खाली!
ये ऐसे लोग तो बस जूझते हैं जिंदगानी से,
कहाँ मनती है मुफ़लिस के यहाँ, होली ये दीवाली!

गरीबों के लिए क्या पर्व, क्या त्यौहार होता है!
गरीबों का तो हर दिन दर्द से, सत्कार होता है!

गरीबों के यहाँ सजती नहीं, मिष्ठान से थाली!
है जिनके घर में अँधेरा, है जिनके घर में कंगाली...

बड़े महंगे पटाखे हैं, बड़ी महंगी मिठाई है!
हुआ है रंग भी महंगा, बड़ी महंगी पुताई है!
भला कैसे जलाए तेल के दीपक वो अपने घर,
बढे दामों ने देखो तेल से, दूरी बढ़ाई है!

गरीबों के यहाँ बस दर्द के अंगार जलते हैं!
गरीबों को तो केवल रंज के उपहार मिलते हैं!

गरीबों के यहाँ तो दीप में जलती है बदहाली!
है जिनके घर में अँधेरा, है जिनके घर में कंगाली!"

............. (चेतन रामकिशन "देव") ..................

Saturday, 10 November 2012


♥♥♥♥♥♥♥♥♥अधूरा काव्य.♥♥♥♥♥♥♥♥♥
काव्य अधूरा हुआ हमारा, हुए अधूरे गीत!
बिना तुम्हारे सखी हुआ है, रुधिर हमारा शीत!
तुम बिन आँखों से होती, अश्रु की बरसात,
बिना तुम्हारे जिया न जाए, ओ मेरे मनमीत!

मेरा निवेदन स्वीकारो तुम, करो विरह को दूर!
बिना तुम्हारे स्वप्न भी देखो, हुए हैं चकनाचूर!

मेरे जीवन की शक्ति है, सखी तुम्हारी प्रीत!
काव्य अधुरा हुआ हमारा, हुए अधूरे गीत...

बिना तुम्हारे सखी हुआ है, मन भी मेरा अधीर!
बिना तुम्हारे सखी हुआ है, निर्बल मेरा शरीर!
बिना तुम्हारे चित्त भी देखो, रहता बड़ा उदास,
जीवन को छलनी करते हैं, पीड़ा दायक तीर!

सुनो हमारा करुण रुदन तुम, सुनो दर्द के बोल!
बिना तुम्हारे नाव हमारी, सदा ही डांवा-डोल!

छिटक रही है मेरे हाथ से, हाथ में आई जीत!
काव्य अधुरा हुआ हमारा, हुए अधूरे गीत...

बिना तुम्हारे नहीं दमकते, दीवाली के दीप!
बिना तुम्हारे गुमसुम रहता, अम्बर में प्रदीप!
बिना तुम्हारे "देव" हुआ है, पत्थर सा निर्जीव,
बिना तुम्हारे मोती देखो, नहीं उगलते सीप!

बिना तुम्हारे मायूसी है, मुरझाये हैं फूल!
बिना तुम्हारे जीवन पथ में, अब चुभते हैं शूल!

बिना तुम्हारे हुआ बेसुरा, जीवन का संगीत!
काव्य अधुरा हुआ हमारा, हुए अधूरे गीत!"

"
विरह-किसी अपने के जीवन से चले जाने से, निश्चित रूप से, जीवन के प्रबल पक्ष में भी कमजोरी का ग्रहण लगता है! जीवन में हतो-उत्साहित भाव आते हैं और जीवन में अग्रसर होने की क्षमता पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है! तो आइये किसी के जीवन से, जाने से पहले चिंतन करें!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-११.११.२०१२ 

सर्वाधिकार सुरक्षित!
रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!















Friday, 9 November 2012

♥प्रेम( एक प्रकाश)♥


♥♥♥♥♥♥♥♥प्रेम( एक प्रकाश)♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मेरे मन में हुआ है जब से, सखी तुम्हारा वास!
घनी अमावस की बेला में, खिल आया प्रकाश! 
सखी तुम्हारे प्रेम ने मन से, मिटा दिए हैं दोष,
सात रंगों के इंद्र धनुष में, ढल आया आकाश!

प्रेम की पावन अनुभूति से, हुई सुगन्धित सोच!
सच को सच कहने में भी अब, नहीं कोई संकोच!

प्रेम का मौसम सर्वोत्तम है, जैसे हो मधुमास! 
मेरे मन में हुआ है जब से, सखी तुम्हारा वास....

प्रेम न देखे जात-पात को, नहीं त्वचा के रंग!
प्रेम तो मानव को करता है, एक दूजे के संग!
प्रेम की किरणों से आते हैं चंचलता के भाव,
प्रेम की शक्ति से आती है मन में एक उमंग!

प्रेम भावना से धुलती है, दुरित सोच की धूल!
प्रेम भावना से खिलती है, जड़, अंकुर और फूल!

प्रेम में मीलों दूर का साथी, मन के रहता पास!
मेरे मन में हुआ है जब से, सखी तुम्हारा वास....

नहीं मात्र युगलों तक होता प्रेम का ये संसार!
इस भूमि से आसमान तक, प्रेम का है विस्तार!
नहीं संकुचित भाव सिखाता "देव" कभी ये प्रेम,
प्रेम भावना से स्फुट हो, जन जन का सत्कार!

प्रेम का धारण करके आओ, दूर करें संताप!
प्रेम है पावन पूजा वंदन, नहीं है कोई पाप!

प्रेम में सब एक जैसे होते, न मालिक, न दास!
मेरे मन में हुआ है जब से, सखी तुम्हारा वास!"


"
प्रेम-के भाव, मनुष्य के मन से दुरित विचारों और हिंसा की सोच को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं! प्रेम चाहें, सखी का हो या परिजनों का, मित्रों का हो या सम्बन्धियों का, पड़ोसियों का या सहकर्मियों का, जहाँ प्रेम होता है, वहां अपनत्व प्रबल होता है और सभी एक दूसरे के सहयोगी, तो आइये प्रेम करें...."

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-१०.११.२०१२

सर्वाधिकार सुरक्षित!
रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!






♥तुम ही कविता ♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥तुम ही कविता ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तुम ही मेरी कविताओं का, परिचय हो, तुम्ही आशय हो!
तुम ही भावों की सुन्दरता, तुम्ही सरगम, तुम्ही लय हो!

तुम सूरज की किरणों जैसे, शब्दों में उर्जा भरती हो!
तुम चंदा की किरणों जैसे, शब्दों को उजला करती हो!
तुम गंगा के पानी जैसे, शब्दों को देकर शीतलता,
तुम शब्दों के अंत:कवच को, छूकर के धवला करती हो!

तुम ही दीपक, तुम ही बाती, एवं तुम ही ज्योतिर्मय हो!
तुम ही मेरी कविताओं का, परिचय हो, तुम ही आशय हो!"

.................. (चेतन रामकिशन "देव").........................

♥♥गम की दवा ♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥गम की दवा ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सोचा था कोई गम की दवा करने आ गया!
रंग,नूर,वफ़ा कोई ख़ुशी भरने आ गया!

उस शख्स ने घाव मेरे कर दिए गहरे,
मैं सोचता था जिसको रफू करने आ गया!

जीते जी कभी झांक कर देखा नहीं जिसने,
मरने के बाद वो भी दुआ करने आ गया!

पहले ही गम की गर्द से निकला भी न था मैं,
और फिर से कोई गम का धुआं करने आ गया!

मज़बूरी है ये "देव" कोई बुजदिली नहीं,
कोई शेर जो मुर्दों में गुजर करने आ गया!"

.......... (चेतन रामकिशन "देव") .........

Thursday, 8 November 2012

♥कल के भरोसे ♥


♥♥♥♥♥♥♥♥कल के भरोसे ♥♥♥♥♥♥♥♥
तकदीर के ही नाम को बदनाम मत करो!
कल के भरोसे टाल के, आराम मत करो!

दुनिया तुम्हारे नाम  से करने लगे जो घिन,
जीवन में कभी ऐसे गलत काम मत करो!

तुम प्रेम की सौगात को रखना संभाल के,
भूले से कभी प्रेम को नीलाम मत करो!

सच हो भले ही कड़वा मगर देता है सुकूं,
तुम झूठ की आवाज को प्रणाम मत करो!

कोई भी दर्द सहना "देव" है नहीं मुश्किल,
तुम दर्द को झुककर कभी सलाम मत करो!"

.......... (चेतन रामकिशन "देव") ..........

Wednesday, 7 November 2012

♥बहनें(खिलती फुलवारी)♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥बहनें(खिलती फुलवारी)♥♥♥♥♥♥♥♥♥
बड़ी लाडली बहन हमारी, लगती है फूलों की क्यारी!
जब वो हंसती गाती है तो, खिल जाए कोई फुलवारी!
माँ की तरह कभी वो मुझको, सही बात की रट लगवाए,
और कभी बूढी दादी बन, उसने मेरी नजर उतारी!

बहन कभी है मित्र सरीखी, कभी बहन अभिभावक बनती!
कभी वो हमको दिशा दिखाए, कभी नेह की वाहक बनती!

बहन कभी उजला दीपक है, कभी हर्ष की है पिचकारी!
बड़ी लाडली बहन हमारी, लगती है फूलों की क्यारी...

बिना बहन के घर का आँगन, लगता है बस खाली-खाली!
जिस घर में बहनें होती हैं, उस घर में होती खुशहाली!
बिन बहनों के पर्व अधूरे, सूनी है अमुआ की डाली,
बहनों से जगमग होते हैं, ईद, दशहरा और दिवाली!

बहन का ह्रदय बड़ा ही कोमल, बहन का ह्रदय बड़ा दयालु!
बहन सदा ही अपनापन दे, बहन सदा होती कृपालु!

बहन की बातें बड़ी ही मीठी, बहन की बातें शिष्टाचारी!
बड़ी लाडली बहन हमारी, लगती है फूलों की क्यारी...

बहनों को न दंड समझना, बहनों को न भार समझना!
बहनों को न शूल समझना, बहनों को न हार समझना!
"देव" न उनको शस्त्र समझना, न उनको प्रहार समझना!
बहनों को अपने जीवन का, एक सुन्दर सिंगार समझना!

बहन की बोली कोयल जैसी, हर भाई के मन को भाती!
कभी भाई पीड़ा में हो तो, वो अश्रु की नदी बहाती!

बहन सितारों जैसी जगमग, बहन चांदनी सी उजियारी!  
बड़ी लाडली बहन हमारी, लगती है फूलों की क्यारी!"

"
बहनें- कभी मित्र, कभी सहेली बनकर, कभी माँ की तरह ममता का प्रतिनिधित्व करने वाली, भाई की पीड़ा के क्षणों में, भाई को साहस और स्नेह देने वाली, बहनें वास्तव में सम्मान, स्नेह और वंदन के योग्य हैं..तो आइये बहनों का सम्मान करें.."

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-०८.११.२०१२ 








Tuesday, 6 November 2012

♥मनमोहिनी..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥मनमोहिनी..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
बड़ी प्यारी, बड़ी सुन्दर छवि, कुदरत से पाई है!
तुम्हारे रूप से देखो, धरा भी जगमगाई है!
तुम्हारे प्रेम से मेरे ह्रदय को प्रेरणा मिलती,
तुम्हारे प्रेम ने ही हर्ष की ज्योति जलाई है!

तुम्हारा प्रेम है पावन, तुम्हारा प्रेम अनुपम है!
तुम्हारा प्रेम उर्जा है, तुम्हारा प्रेम अधिगम है!

तुम्हारे प्रेम ने संघर्ष की युक्ति सिखाई है!
बड़ी प्यारी, बड़ी सुन्दर छवि, कुदरत से पाई है...

तुम्हारे रूप के दर्शन से मन अभिभूत होता है!
दहन के भाव बुझते हैं, शमन आहूत होता है!
तुम्हारे प्रेम का वंदन, तुम्हारे प्रेम का पूजन,
तुम्हारे प्रेम से ही ज्ञान का सम्भूत होता है!

तुम्हारा प्रेम सरगम है, तुम्हारा प्रेम वादन है!
तुम्हारे प्रेम वर्षा है, तुम्हारा प्रेम सावन है!

तुम्हारे प्रेम ने ही फूलों की रंगत बढ़ाई है!
बड़ी प्यारी, बड़ी सुन्दर छवि, कुदरत से पाई है...

तुम्हारे प्रेम से ही शब्दों का श्रृंगार होता है!
तुम्हारे प्रेम से हर स्वप्न भी साकार होता है!
तुम्हारा प्रेम मुझको "देव" दूतों की तरह लगता,
तुम्हारे प्रेम से ही हर जगह सत्कार होता है!

तुम्हारा प्रेम युक्ति है, तुम्हारा प्रेम सिद्धि है!
तुम्हारा प्रेम चन्दन है, तुम्हारा प्रेम शुद्धि है!

तुम्हारे प्रेम ने ही चेतना मन की जगाई है!
बड़ी प्यारी, बड़ी सुन्दर छवि, कुदरत से पाई है!"

"
जिससे प्रेम होता है, ह्रदय में जिसका वास होता है, आत्मा जिसके प्रेम को अनुभूत करती है, वो व्यक्ति भले ही श्वेत हो, अश्वेत हो, किन्तु प्रेम के क्षेत्र में रंग भेद की नीति, धनिक-निर्धन नीति काम नहीं करती! प्रेम, एक ऐसी अनुभूति जो, आत्माओं से परिचय कराते हुए, परस्पर विलीन हो जाती है! तो आइये इस अनुभूति के संवाहक बनें..."

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-०७.११.२०१२

सर्वाधिकार सुरक्षित!
रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!

Monday, 5 November 2012

♥♥अपनों की दुश्मनी ♥♥


♥♥♥अपनों की दुश्मनी ♥♥
अपने भी अब बदल रहे हैं!
ख़ुशी के लम्हे फिसल रहे हैं!
आज ग़मों की आंच पे देखो,
दिल के आंसू उबल रहे हैं!

जिसे यहाँ अपना माना था!
जिसका दर्द सदा जाना था!
उसी ने बख्शे आंख को आंसू,
जिसके संग में मुस्काना था!

उसका दिल बेशक न पिघले,
लेकिन पत्थर पिघल रहे हैं!
अपने भी अब बदल रहे हैं!
ख़ुशी के लम्हे फिसल रहे हैं!

उनको अपना चैन मुबारक,
उन्हें मुबारक अपना सोना!
वो क्या जानें किसी की पीड़ा,
वो क्या जानें किसी का रोना!

"देव" आज तो हर तरफ़ा से,
दर्द के पत्थर उछल रहे हैं!
अपने भी अब बदल रहे हैं!
ख़ुशी के लम्हे फिसल रहे हैं!"

.. (चेतन रामकिशन "देव") ..


♥अंतिम साँस ♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥अंतिम साँस ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
देह की अंतिम साँस तलक तुम, अपना जीवन मृत न मानो!
जो तुमको मृतप्राय बना दे, तुम उसको अमृत न मानो! 

हंसी खुशी से रहना सीखो, दर्द का चाबुक सहन करो तुम!
अपने मन से कमजोरी के दुखद भाव का दहन करो तुम!
हाँ ये सच है सभी के हिस्से, खुशियों का भंडार नहीं है,
इसीलिए ये भार दुखों का, मजबूती से वहन करो तुम!

तुम केवल अपने जीवन को, पीड़ा से उदधृत न मानो! 
देह की अंतिम साँस तलक तुम, अपना जीवन मृत न मानो!'

.................  (चेतन रामकिशन "देव") ..........................




♥तेरा एहसास ♥


♥♥♥♥♥♥♥♥तेरा एहसास ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तेरा एहसास है दिन में, तेरा एहसास रातों में!
तेरा एहसास चुप्पी में, तेरा एहसास बातों में!

बिना तेरे तो ये संसार भी लगता पराया है!
तुम्हारे प्यार से ही जिंदगी में नूर आया है!
तुम्हारे साथ मेरी जिंदगी लगती है फूलों सी,
तुम्हारे प्यार ने ही मेरे जीवन को सजाया है!

तू ही मेरा करीबी है, तू ही रिश्तों में, नातों में!
तेरा एहसास है दिन में, तेरा एहसास रातों में!"

............ (चेतन रामकिशन "देव") ................

Saturday, 3 November 2012

♥अपना ग़म ..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥अपना ग़म ..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
दुनिया में सिर्फ अपना ही ग़म खास नहीं है!
है कौन जिसे खुशियों की तलाश नहीं है!

कोई ऐसा आदमी मुझे बताओ तो यारों,
जिसकी नजर में आंसुओं का वास नहीं है!

क्यूँ तरसें उनके वास्ते जो छोड़कर गए,
जीवन किसी के नाम का ही दास नहीं है!

उम्मीद क्या है उनसे जो वो देंगे नसीहत,
जिन लोगों को सच्चाई ही खुद रास नहीं है!

वो लोग नहीं "देव" कभी जीत सकेंगे,
जिन्हें खुद के बाजुओं पे ही विश्वास नही है!"

.......... (चेतन रामकिशन "देव") .............

Friday, 2 November 2012

♥जीवन का भार.♥


♥♥♥♥♥♥♥जीवन का भार.♥♥♥♥♥♥♥♥
जीवन का भार हंसके उठाने का दम भरो!
आकाश को धरती पे झुकाने का दम भरो!

भगवान के दरबार में तुम जाने से पहले,
रोते हुए इन्सां को, हंसाने का दम भरो!

मजहब की लड़ाई से भला क्या मिला कभी,
तुम प्यार के अल्फाज सिखाने का दम भरो!

नेताओं तुम अपनी ही तिजोरी न भरो बस,
तुम देश को धनवान बनाने का दम भरो!

मैं "देव" हूँ लेकिन मुझे पाषाण न कहो,
पत्थर में भी तुम फूल खिलाने का दम भरो!"

......... (चेतन रामकिशन "देव") ............


♥♥♥♥♥♥♥♥तुम्हारा साथ..♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तुम्हारे साथ होने से, मेरा दुःख क्षीण होता है!
तुम्हारे प्रेम की उर्जा से, मन प्रवीण होता है!

तुम्हारे प्रेम की शक्ति, मुझे बलवान करती है!
मुझे आगे बढाती है, मुझे गुणवान करती है!
तुम्हारे प्रेम की शैली, किताबों सी सुधारक है,
उजाला हमको देती है, तिमिर जीवन से हरती है! 

तुम्हारे प्रेम के सत्संग में, ये मन लीन होता है!
तुम्हारे साथ होने से, मेरा दुःख क्षीण होता है!"

.............. (चेतन रामकिशन "देव") ...............


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्रीत की वर्षा ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
प्रीत की वर्षा से भीगा तन, मन भी हुआ विभोर!
सखी तुम्हारे प्रेम से देखो, मन में नाचें मोर!
सखी न हमसे नयन चुराना, न जाना तुम दूर,
सखी कभी न टूटे अपने, प्रेम की कच्ची डोर!

सखी हमारे मन को भाए, ये तेरा सिंगार!
सखी तुम्हारे प्रेम से होता, उर्जा का संचार!

निशा भी होती प्रेम से तेरे और तुम्ही से भोर! 
प्रीत की वर्षा से भीगा तन, मन भी हुआ विभोर...

सखी जगत में प्रेम से ऊँचा, नहीं कोई सम्बन्ध!
सखी प्रेम फूलों की डाली, चन्दन भरी सुगंध!
सखी तुम्हारे प्रेम से मन को मिलता है उल्लास,
सखी तुम्हारे प्रेम से होता, खुशियों का प्रबंध! 

सखी तुम्हारे प्रेम से मन में, जगे हैं कोमल भाव!
सखी तुम्हारे प्रेम सुझाये, मुझको नए सुझाव!

सखी प्रेम की न कोई सीमा, न ही कोई छोर!
प्रीत की वर्षा से भीगा तन, मन भी हुआ विभोर..

सखी प्रेम के बिना तो देखो, धनिक भी होता दीन!
सखी प्रेम से ही होता है, मन भक्ति में लीन!
सखी तुम्हारे प्रेम से देखो, नवल हुआ है "देव",
सखी प्रेम से होता है मन, कोमल और शालीन!

सखी प्रेम से रंग जायेगा, जिस दिन ये संसार!
उस दिन देखो गिर जाएगी, नफरत की दीवार!

चलो छोड़ कर नफरत लोगों, बढ़ो प्रेम की ओर! 
प्रीत की वर्षा से भीगा तन, मन भी हुआ विभोर!"

"
प्रीत-एक ऐसी अनुभूति जिसमे, न कोई भेद, न कोई हिंसा, न धन की लालसा न गरीबी का अभिशाप! प्रेम, जीवन में सार्थक परिणामों का सारथि बनता है, बशर्ते प्रेम, अपने मूल से न भटके और समर्पण भावना निहित हो! तो आइये प्रेम करें.."

चेतन रामकिशन "देव"

दिनांक-०२.११.२०१२

सर्वाधिकार सुरक्षित!
रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!

Thursday, 1 November 2012

♥दिल की आह..♥


♥♥♥♥दिल की आह..♥♥♥♥
दिल से आह नहीं मिटती है!
उसकी चाह नहीं मिटती है!

जिस पर गम के कांटे न हो,
ऐसी राह नहीं मिलती है!

जाने क्यूँ मेरे जीवन में,
पतझड़ की बेला आई है!

जाने क्यूँ मेरे जीवन में,
आंसू की बदली छाई है!

जाने क्यूँ ये दर्द का कोहरा,
जीवन का रस्ता रोके है,

जाने क्यूँ मेरी किस्मत भी,
गम के डर से घबराई है!

शीतल जल की बारिश से भी,
गम की दाह नहीं मिटती है! 

दिल से आह नहीं मिटती है!
उसकी चाह नहीं मिटती है!"

. (चेतन रामकिशन "देव") .