Friday, 30 March 2012

♥ये कैसा अष्टमी पूजन..♥


♥♥♥♥♥♥♥ये कैसा अष्टमी पूजन..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
निरा व्यर्थ है उनका पूजन, जो पुत्री को हीन समझते!
पुत्र को कहते राजा भैया और पुत्री को दीन समझते!
ढोंग मात्र लगता उनका, अष्टमी कन्या पूजन करना,
जो पुत्रों को वीर बताकर, कन्याओं को क्षीण समझते!

दुरित सोच को धारण करके, कन्या पूजन नहीं सुहाता!
इस ढोंग दिखावे के वंदन से, माँ का मन भी न हर्षाता!

जो पुत्री को कंटक कहकर, पुत्रों को शालीन समझते!
निरा व्यर्थ है उनका पूजन, जो पुत्री को हीन समझते....

अपनी सोच बदलकर देखो, कन्या पूजन करना सीखो!
जो पुत्रों का सम्मान करो तो, पुत्री का भी करना सीखो!
हमे सिखाते हैं नवरात्रे, कन्या शक्ति का पोषण करना,
मन से अपने भेद मिटाकर, दोनों को एक करना सीखो!

चन्दन तिलक लगाने भर से, कोई पुजारी न बन जाता!
जिसकी सोच हो मदिरा जैसी, वो गंगाजल न बन पाता!

जो पुत्री को अनपढ़ कहकर, पुत्रों को प्रवीण समझते!
निरा व्यर्थ है उनका पूजन, जो पुत्री को हीन समझते!"


"
सोच बदलनी होगी, नवरात्र मात्र उपवास रखकर, कन्याओं को भोजन खिला देने का नाम नहीं है, सही अर्थों में ये नवरात्र हमें नारी को पुत्रों/ पुरुषों के समान अपनत्व, सम्मान, रक्षा, शिक्षा और समानता दिलाने की सीख देते हैं! यदि हम ऐसा न करते हुए, वंदन करते हैं तो व्यर्थ ही है! तो आइये चिंतन करें!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-३१.०३.२०१२

सर्वाधिकार सुरक्षित
रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व में प्रकाशित!


♥♥♥♥♥रूह का मिलन...♥♥♥♥♥♥♥
रूह से रूह का जब मिलन हो गया!
तब से गंगा सा पावन ये मन हो गया!

मानो तन से कोई वास्ता ही नहीं,
उष्ण चिंतन का जैसे शमन हो गया!

प्रेम ने जब से राधा बनाया तुम्हें,
मैं भी तब से तुम्हारा किशन हो गया!

जब भी कुदरत ने तुमको बनाया धरा,
मेरा कद भी सरीखे-गगन हो गया!

जब सखी तुम सुगंधों की वाहक हुईं,
"देव" का रूप खिलकर सुमन हो गया!"

"
प्रेम, एक बहुत सुन्दर एहसास! सिर्फ युगलों तक सीमित नहीं होती ये अविरल प्रवाहित होने वाली धारा! प्रेम, जहाँ होता है वहां आत्मविश्वास, शक्ति, सोच दृढ होती है! तो आइये प्रेम करें!"

चेतन रामकिशन "देव"

दिनांक--३०.०३.२०१२

"अपनी प्रेरणा को समर्पित मेरी पंक्तियाँ!"

सर्वाधिकार सुरक्षित

Wednesday, 28 March 2012

♥रक्त में बारूद..♥



♥♥♥♥रक्त में बारूद..♥♥♥♥
अंत होता जा रहा है, प्रेम का, सदभाव का!
प्रचलन बढ़ने लगा है,रक्त, हिंसा,घाव का!

झूठ को सम्मान अब, मिल रहा है इस तरह,
हो रहा जर्जर बदन अब, सत्य के प्रभाव का!

सोच अब तो मजहबी, हावी हुई है इस तरह,
मानो चप्पू खो गया है, प्रेम की हर नाव का!

रक्त में जैसे घुली मिली हो, अब कोई बारूद,
अब तो मानव हो गया, पर्याय बस दुर्भाव का!

हो रहा दृष्टित के अब तो "देव" भी पाषाण हों,
प्रचलन आकर न रोके, वो दमन, परिभाव का!"

"आज जिधर भी देखो, उधर ही आदमी ही आदमी के रक्त का प्यासा है! निर्धन पर जुल्म हो रहे हैं, पर भगवान भी चुप हैं! कैसा आलम है! जाने, यहाँ अब तो अपने रक्त में भी विस्फोटक की गंध आती है! हमे चिंतन करना होगा, वरना देश की हर गली, हर चौराहा रक्त-रंजित होगा.."

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक--२९.०३.२०१२

Tuesday, 27 March 2012


♥♥♥♥ये आपकी मोहब्बत..♥♥♥♥
तेरे प्यार ने हमदम मेरे, इतना असर किया है!
पतझड़ से भरी राह को, तुमने शज़र किया है!

मेरी आँखों में नूर रहता है और चेहरे पे हँसी,
तेरे प्यार ने हमदम मुझे, फूलों सा कर दिया है!

जब से मिली है हमको मोहब्बत की चाँदनी,
चाहत ने स्याह रात को, पूनम सा कर दिया है!

मुश्किल के खौफ से, कभी रुकते नहीं कदम
हमदम तुम्हारे प्यार ने, मुझको निडर किया है!

सिक्कों को, सोने, चांदी को, रखूँगा मैं कहाँ,
तेरे प्यार की दौलत ने, मेरे घर को भर दिया है!"

"जिसके पास प्यार की अनमोल दौलत है, वो नोट, सिक्कों के अभाव में भी खुश होकर जीता है, क्यूंकि प्यार की दौलत तो अनमोल है! तो आइये सिक्कों के लिए, प्यार की अनमोल दौलत को पैरों से न कुचलें!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-२७.०३.२०१२

सर्वाधिकार सुरक्षित


Monday, 26 March 2012

♥♥♥माँ के आंसू..♥♥♥♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥माँ के आंसू..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
आज मेरी करतूत से देखो, माँ की आंख से आंसू निकले!
लाज बड़ी आती है खुद पे, हम किसी सोच के बेटे निकले!

पश्चाताप बहुत है हमको, इस दिल से आंसू गिरते हैं!
माँ का ह्रदय दुखाकर देखो, बच्चे भी न खुश रहते हैं!
माँ तो सागर के जैसी हैं, माफ़ तो आखिर कर ही देंगी,
माँ के होठों पे हरदम ही, आशीषों के गुल खिलते हैं!

माँ का कोमल प्यार देखकर, पत्थर के भी दिल हैं पिघले!
आज मेरी करतूत से देखो, माँ की आंख से आंसू निकले!"

"
 माँ का दिल दुख दुखाने के बाद भी माँ अपने बच्चे को न सिर्फ माफ़ करती है अपितु
उसे सीने से लगा लेती है! माँ एक सागर जैसी होती हैं!
माँ अनमोल होती है, इतनी दयालु की शब्द नहीं हैं!"

मुझे अपनी दोनों माताओं पर गर्व है! आपको भी होगा, क्यूंकि माँ के बिन संसार अधूरा है!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-२६.०३.२०१२

Friday, 23 March 2012

♥♥माँ (एक सहेली)♥♥


♥♥♥♥♥माँ (एक सहेली)♥♥♥♥♥♥♥
एक सहेली के जैसे माँ, बच्चों की बातें सुनती है!
सदा सहारा देकर के माँ, बच्चों के सपने बुनती है!

बच्चे भी अपनी पीड़ा को, सबसे पहले माँ से कहते!
माँ का गर स्पर्श मिले न, तो बच्चे मुरझाये रहते!
कभी-२ तो बच्चों के संग, माँ बन जाए छोटी बच्ची,
और कभी गलती करने, बच्चे माँ का गुस्सा सहते!

अपने बच्चों के जीवन से, माँ देखो कांटे चुनती है!
एक सहेली के जैसे माँ, बच्चों की बातें सुनती है!"

................चेतन रामकिशन "देव"....................

Thursday, 22 March 2012

♥♥ये कैसे संत.?♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥ये कैसे संत.?♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
संत को चोला ओढ़ा लेकिन रखते गलते विचार!
अपने शब्दों से करते हैं, अम्ल सी विषमय धार!

इनकी "आर्ट ऑफ़ लिविंग" देखिए ऐसे मैले पाठ पढ़ाती!
निर्धन बच्चे लगें नक्सली, उनकी शिक्षा भी नहीं सुहाती!
इन लोगों ने क्या समझा है,निर्धन की संतान को आखिर,
निजी स्कूल की संतानें क्या, मानव शिशु नहीं कहलाती!

ऐसे संत क्यूँ करते आखिर, शब्दों का अत्याचार!
संत को चोला ओढ़ा लेकिन रखते गलते विचार!"

....चिंतन के साथ "शुभ-दिन"...चेतन रामकिशन "देव".....
 

♥♥प्रेम-योग्यता..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥प्रेम-योग्यता..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
या तो प्रेम के नियमों का मैं पालन करने योग्य नहीं था!
या फिर स्तर और तुलना में, आपके मैं सुयोग्य नहीं था!

किन्तु मेरे निवेदन की तो, लाज आपको रख लेनी थी!
इस भिक्षुक की खाली झोली, प्रेम से अपने भर देनी थी!
प्रेमरहित जीवनधारा में,क्या धन,क्या सोना,क्या चांदी,
व्याकुलता को मेरी समझकर, प्रेम की वर्षा कर देनी थी!

मैं प्रेम आत्मा से करता था, प्रेम हमारा भोग्य नहीं था!
या तो प्रेम के नियमों का मैं पालन करने योग्य नहीं था!"
.....................चेतन रामकिशन "देव"..........................
" कभी कभी जीवन में ऐसे पल आते हैं, कोई किसी के प्रेम निवेदन को समझता नहीं, जबकि द्वितीय पक्ष की प्रेम सहमति प्रथम पक्ष को अत्यंत हर्ष दे सकती है, परन्तु ऐसा प्राय: नहीं होता और एक व्यक्ति पीड़ित हो जाता है! उस पीड़ा को अपने शब्दों में उकरने भर की कोशिश की है! "

सर्वाधिकार सुरक्षित!

Tuesday, 20 March 2012

♥बचपन के सुनहरे दिन..♥



♥♥♥♥♥♥♥♥बचपन के सुनहरे दिन..♥♥♥♥♥♥♥
वो बचपन के सुनहरे दिन, मुझे जब याद आते हैं!
मेरे सब दोस्त मेरे दिल से अपना दिल मिलाते हैं!
नहीं नफरत, नहीं हिंसा, नहीं छल होता है मन में,
वो एक दूजे के दिल में, प्यार के दीपक जलाते हैं!

मगर जब उम्र बढ़ने से, वो बचपन बीत जाता है!
हर एक इन्सान फिर जाति-धर्म के गीत गाता है!

चिराग-ए-ईश्क बचपन के, सभी फिर टूट जाते हैं!
वो बचपन के सुनहरे दिन, मुझे जब याद आते हैं...

वो बचपन भी बहुत प्यारा, बहुत रंगीन होता था!
कभी हंसकर दिखाता था,कभी ग़मगीन होता था!
नहीं कोई भेद होता था किसी भी दोस्त के मन में,
हर एक बस झूमता गाता, ख़ुशी में लीन होता था!

मगर जब उम्र बढ़ने से, वो बचपन लुप्त होता है!
तो अपनापन हमारी सोच से, फिर सुप्त होता है!

वो मिटटी, कांच से निर्मित, खिलौने फूट जाते हैं!
वो बचपन के सुनहरे दिन, मुझे जब याद आते हैं...

मैं अक्सर सोचता हूँ,काश वो बचपन नहीं जाता!
तो कम से कम ज़माने को,खराबा खून ना भाता!
नहीं फिर "देव" ये दंगे, कहीं नफरत नहीं होती,
हंसी के फूल खिल जाते, दुखों का दौर ना आता!

मगर जब उम्र बढ़ने से, वो बचपन दूर हो जाता!
खुशी का वाकया हर इक, पलों में चूर हो जाता!

वो बचपन के सभी एहसास, मन से छूट जाते हैं!
वो बचपन के सुनहरे दिन, मुझे जब याद आते हैं!"

"
बचपन, न कोई भेद, न कोई नफरत ! धर्म जाति से ऊपर,
एक दूसरे की खुशी में लीन, एक दूजे के साथ साथ भोजन करने के पल, जब भी याद आते हैं तो आज के रक्त रंजित माहौल को देखकर लगता है कि, कहाँ आ गए हम ?"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक--२०.०३.२०१२


सर्वाधिकार सुरक्षित!

Monday, 19 March 2012

♥मुफ़लिसी के ज़ख्म..♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मुफ़लिसी के ज़ख्म..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥ 
मुफ़लिस के ज़ख्मों से देखो, बूंद खून की रिसती रहती!
उसके जीवन की डोरी भी, भूख प्यास से घिसती रहती!
इस दुनिया में मुफलिस के, हालातों का ऐसा आलम है,
उसकी तो हर एक खुशी ही, गम के हाथों पिसती रहती!"
........"शुभ-दिन".........चेतन रामकिशन "देव"...........

♥तुम बिन ♥

♥तुम बिन ♥

तुम बिन
मेरी साँस अधूरी


तुम बिन है
हर बात अधूरी!


बिना तुम्हारे 
आंख में आंसू,


तुम बिन है,
दिन रात अधूरी!


तुमसे दूर नहीं भाते हैं,
मुझको चंदा और सितारे!


इन शब्दों से कह नहीं सकती,
हमदम तुम हो कितने प्यारे!"


चेतन  रामकिशन "देव

Saturday, 17 March 2012

♥खूनी माहौल...♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥खूनी माहौल...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
स्वयं की पीड़ा, पीड़ा लगती, दर्द और का लगे बहाना!
दौलत के समकक्ष देखिए, दिल का रिश्ता भी बैगाना!
कैसी बेदर्दी का आलम, इन्सां ही इन्सान का दुश्मन,
आज बहुत ही सस्ता लगता, इंसानों का खून बहाना!"
........."शुभ-दिन"..........चेतन रामकिशन "देव"......

Friday, 16 March 2012

♥भ्रूण में बालिका...♥


♥♥♥♥भ्रूण में बालिका...♥♥♥♥♥
भ्रूण में बालिका है,पता जब चला!
उसके पालन का देखो इरादा टला!

मात को उसका आगम नहीं भा रहा!
और पिता क्रोध में देखो चिल्ला रहा!
मानो सारी हंसी को ग्रहण लग गया,
गीत खुशियों के, कोई नहीं गा रहा!

हर्ष की धूप का मानो सूरज ढला!
भ्रूण में बालिका है,पता जब चला.....

पुत्र होता तो खुशियों में होते मगन!
गीत गाते सभी, घर में होता हवन!
बालिका देखकर हर खुशी मिट गई,
देखो रोने लगे हर किसी के नयन!

बालिका से ही होती जलन क्यूँ भला!
भ्रूण में बालिका है,पता जब चला......

बालिका भी तो मानव की संतान है!
न ही निर्जीव है, न ही निष्-प्राण है!
बालिका भी तो है "देव" इन्सान ही,
उसकी सूरत में भी देखो भगवान है!

बालिका से ही होता क्यूँ हमको गिला!
भ्रूण में बालिका है,पता जब चला!"


"बालिका की भ्रूण हत्या, अभी भी बदस्तूर जारी है!
एक तरफ कन्या को देवी का रूप मन जाता है और दूसरी तरफ उसको दुनिया देखने से पहले ही कुचल दिया जाता है! आखिर हम क्यूँ नहीं समझते, कि बालिका भी सजीव है और वो भी पुत्र की तरह ही आवश्यक है! तो आइये जरा चिंतन करें! "

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक--१७.०३.२०१२


सर्वाधिकार सुरक्षित!










♥हंसी और हिम्मत..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥हंसी और हिम्मत..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
चलो जरा हंसकर भी देखो, यूँ मुंह लटकाकर क्यूँ बैठे हो!
चलो स्याह से बाहर आओ, तिमिर में आकर क्यूँ बैठे हो!
कभी हैं गम तो कभी खुशी है और जीवन है नाम इसी का,
चलो बढ़ो हिम्मत से आगे, तुम घबराकर क्यूँ बैठे हो!"
......."शुभ-दिन"...........चेतन रामकिशन "देव".........

♥सिर्फ तुम....♥



♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥सिर्फ तुम....♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
बिना तुम्हारे मेरे हमदम, मैं हूँ इक पत्थर की  मूरत,
इस दुनिया में बिना रूह के तन का कोई मोल नहीं है!
किसी और के पीछे देखो, नहीं भागता मेरा मनवा,
मेरे दिल में खोट न कोई, नियत डांवा-डौल नहीं है!"
..............चेतन रामकिशन "देव".......................

Thursday, 15 March 2012

♥आदमी या दैत्य...♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥आदमी या दैत्य...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
हम सिक्कों की खनक में सारी अपनायत को भुला रहे हैं!
हम दौलत की प्यास में देखो, रिश्तों में विष मिला रहे हैं!
"देव" सुना था यहाँ शवों की, मुक्ति अग्नि से होती थी,
आज मगर हम दानव बनकर, जिन्दों को भी जला रहे हैं!"
.........."शुभ-दिन"......चेतन रामकिशन "देव".............


♥♥इंतज़ार..♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥इंतज़ार..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
हमदम मेरे मुझे तुम इतना इंतज़ार क्यूं करवाते हो !
दिन बीते यादो में तेरी, रात को तारे गिनवाते हो!
मेरी बेचैनी का तुम पर, कोई असर नहीं होता है,
और परेशां मुझे देखकर, तुम छुप-२ के मुस्काते हो!"

"
प्रेम का हिस्सा है इंतजार और शरारत! शरारत में जब हमदम छुपकर इंतजार की तड़प देखते हैं तो एक असीम प्रेम अनुभूति मिलती है और उससे ज्यादा आनंद तब आता है जब द्वितीय पक्ष रूठ जाता है और उसे मनाया जाता है! "

चेतन रामकिशन "देव"

Wednesday, 14 March 2012

♥खुदा..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥खुदा..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
खुदा का नूर जब भी चांदनी बनकर बरसता है!
अँधेरा दूर होता है, नया सूरज निकलता है!

यहाँ कानून के दर पर भले इन्साफ न हो पर .
वहां उसकी अदालत में, सही इंसाफ मिलता है!

यहाँ इन्सान मनमानी भला कब तक चलाएगा,
खुदा जब रूठ जाता है तो सारा जग दहलता है!

कभी मायूस न होना खुदा जो साथ न दे तो,
खुदा भी आदमी का इम्तिहां लेने निकलता है!

खुदा की शान में मैं और ज्यादा " देव" क्या लिखूं
नहीं दिखता मगर हर शे पे उसका हुक्म चलता है!"


"
उस अद्रश्य शक्ति को चाहें जिस नाम से पुकारो, उसका अस्तित्व तो कहीं न है, वो भले ही न दिखता हो पर उसके अस्तित्व को सही रखने पर सुखमय, सफलता भी देता है, और जब उसी के अस्तित्व को नजरंदाज किया जाता है तो वो कभी सुनामी, कभी जलजले, कभी हार देकर मानव को पुन सचेत भी करता है! मेरा ये मानना है, आपका क्या मानना है?

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-१४.०२.२०१२


सर्वाधिकार सुरक्षित!

Sunday, 11 March 2012

♥♥वीर नरेंद्र...♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥वीर नरेंद्र...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सत्य के पथ पर चला सदा वो, शत्रु को ललकारा!
अपने आप को घिरा देख भी, वो हिम्मत न हारा!
हे दिव्यपुरुष ये नाम तुम्हारा, सूरज सा चमकेगा,
युगों युगों तक याद रहेगा, वीर नरेंद्र नाम तुम्हारा!

देश की इन सरकारों से पर आस नहीं है इंसाफी की!
है लूली सरकार को आदत, इन गुंडों की बैसाखी की!

जल्द ही वो दिन आएगा, हिल जाएगा शासन सारा!
युगों युगों तक याद रहेगा, नरेंद्र जी नाम तुम्हारा.....

देश की और सूबे की सत्ता, अब गुंडों से भरी पड़ी है!
सच्चाई का गला दबाने, जगह जगह ये फौज खड़ी है!
लेकिन सच्चाई का सूरज नहीं अमावस से मरता है,
झूठ हो चाहें कितना भारी लेकिन सच ने जंग लड़ी है!

हमे जागना होगा लोगों, युद्ध भी इनसे करना होगा!
सत्ता के गलियारों को, शुद्ध भी हमको करना होगा!

इन गुंडों से जंग लडेगा, एक दिन पूरा देश हमारा!
युगों युगों तक याद रहेगा, वीर नरेंद्र नाम तुम्हारा.....

मेरे देश के लोगों सीखो, इस सुपुत्र की कुर्बानी से!
जंग लड़ो इस गुंडेपन से, मक्कारी से बेईमानी से!
नहीं नींद से जागोगे तो, यूँ ही लुटना-मरना होगा,
चलो बचाओ आगे आकर, देश को ऐसी वीरानी से!

गूंगे- बहरे नहीं बनो तुम, ताकत का दीदार कराओ!
सत्ता में शामिल गुंडों की, ये मैली सरकार गिराओ!

आओ कुचल दें मिल-जुलकर, गुंडागर्दी का ये नारा!
युगों युगों तक याद रहेगा, वीर नरेंद्र नाम तुम्हारा"

“मध्य प्रदेश में कार्यरत आई.पी.एस. नरेंद्र जैसे वीर पुरुष की कुर्बानी से सीख लेनी होगी! सत्ता में शामिल इन गुंडों को अपनी ताकत का एहसास करना होगा! यदि अपना अस्तित्व बचाना है, सच्चाई को जीवित रखना है तो चापलूसी करने की धारणा से स्वयं को मुक्त करना होगा! जागना होगा!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-१२.०३.२०१२


सर्वाधिकार सुरक्षित!




♥♥जरुरत....♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥जरुरत....♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
यदि भुलाना आसां होता, तो हम तुमसे फरियाद न करते!
सुबह से लेकर शाम ढले तक, बस तुमको ही याद न करते!
यदि तुम्हारे बिन रह लेते, तो क्यूँ विनती करते हम तुमसे,
तेरी याद में तड़प-तड़प कर, हम चैन-सुकूं बरबाद न करते!"
........................चेतन रामकिशन "देव".............................

Friday, 9 March 2012

♥♥यकीन-ए-इश्क..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥यकीन-ए-इश्क..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मैं उनकी बेवफाई की, शिकायत भी नहीं करती!
न दिल में बैर रखती हूँ, बगावत भी नहीं करती !

मुझे उनके सिवा चेहरा,  कोई लगता नहीं उम्दा,
किसी को देख भरने की, शरारत भी नहीं करती!

मेरा दिल टूट भी जाये, हर इक टुकड़े में वो होगा,
यही सोचकर दिल की, हिफाजत भी नहीं करती!

बड़ी अनमोल होती है, ये दौलत प्यार की लेकिन,
मैं उनसे प्यार करने में, खसासत भी नहीं करती!

मुझे एहसास है के "देव" वो पत्थर भी पिघलेगा,
मैं उनकी याद से अपनी, जमानत भी नहीं करती!"

"
जिंदगी में प्रेम और अपनत्व की लौ जिसके प्रति जलती है, वो उसे अपना लगता है, चाहें द्वितीय पक्ष उसे नजरंदाज करता हो! आज इसी सोच को केन्द्रित करते हुए, इक लड़की के मन में होने वाले इस द्वन्द को इन शब्दों से जोड़ने की कोशिश की है!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक--०९.०३.२०१२


उक्त रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!

Thursday, 8 March 2012

ये कैसी नारी-मुक्ति..


♥♥♥♥♥♥♥♥ये कैसी नारी-मुक्ति..♥♥♥♥♥♥♥♥
मंच-मात्र से भाषण देना, नारी का उत्थान नहीं है!
चंद नारियां उठी हैं ऊँची, बाकी की पहचान नहीं है!

नारी के उत्थान को हमको, गाँव-२ भी जाना होगा!
उसके अधिकारों के प्रति, उसे हमे समझाना होगा!
नारी को भी देना होगा, मूल-मंत्र शिक्षा का हमको,
नारी को भी मर्यादा का, ज्ञान हमे करवाना होगा!

हम सबको ये मानना होगा, नारी भी बेजान नहीं है!
चंद नारियां उठी हैं ऊँची, बाकी की पहचान नहीं है!"



"
आज महिला दिवस है! कुछ नारियों की बात छोड़ दें तो बहुसंख्यक नारियां अभी भी स्याह में गुम हैं, क्यूंकि जो नारियां उत्थान कर जाती हैं वे भी उनके विकास के लिए, उत्थान के लिए अपेक्षाकृत रचनात्मक कार्य नहीं कर पाती मात्र शहर की नारियों के उत्थान से नारी मुक्ति/ उत्थान असंभव है, क्यूंकि देश की बहुसंख्यक नारी गाँव में रहती है! तो उधर भी देखना होगा!"

"महिला शक्ति को नमन"
चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-०८.०३.२०१२

Monday, 5 March 2012



♥♥♥♥♥♥♥♥समझा नहीं तुमने...♥♥♥♥♥♥♥
न जाने क्यूँ मेरे एहसास को समझा नहीं तुमने,
तुम्हे ही चाहा था मैंने तुम्हे दिल में वसाया था!

तुम्हारी आंख का आंसू हमेशा अपना ही समझा,
तुम्हारे दर्द को मैंने गले अपने लगाया था!

कभी तुम याद कर लेना, गए गुजरे हुए वो पल,
अँधेरी राह में तेरी कभी दीपक जलाया था!

तेरी यादों को सीने में दफन भी कर नहीं सकता,
तेरी यादों की खुश्बू में कभी मैं मुस्कुराया था!

भले ही भूल जाना तुम मुझे पत्थर नहीं कहना,
ये पत्थर काटकर मैंने, तेरा रस्ता बनाया था!"


"
प्रेम के एहसास को कोई समझकर भी अनदेखा कर देता है तो कोई किसी के काबिल नहीं होता!
पर प्रेम के भाव ये कैसे समझें कि कोई उसे नकार रहा है, क्यूंकि उस शख्स से अपनापन रोके भी तो कैसे जिसे वो अपने दिल में वसाकर वंदना करता है! प्रेम कभी मिट नहीं सकता, उसे उम्मीद होती है द्वितीय पक्ष उसका दर्द समझेगा! इसी दर्द को इन शब्दों से उकेरने का प्रयास किया है!  "

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-०६.०३.२०१२


सर्वाधिकार सुरक्षित


Sunday, 4 March 2012

♥♥प्रेम-दीप...♥♥


♥♥♥♥♥♥♥प्रेम-दीप...♥♥♥♥♥♥
प्रेम का दीप तुमने जलाया सखी!
प्रेम का गीत तुमने सुनाया सखी!
प्रेम के रंगों में तुमने रंगकर हमें,
मेरे जीवन को सुन्दर बनाया सखी!

प्रेम से मेरा जीवन सरल कर दिया!
प्रेम से मेरा घर भी महल कर दिया!

गोद में शीश रखकर सुलाया सखी!
प्रेम का दीप तुमने जलाया सखी.....

प्रेम के तुमने देकर हमे शुभ-वचन!
क्रोध का अंत करके दिया है शमन!
मेरे जीवन को तुमने दिखाई दिशा,
स्वार्थ भावों की तुमने बुझाई दहन!

प्रेम से मेरा जीवन निखिल कर दिया!
मेरे पाषाण मन को सजल कर दिया!

प्रेम का पाठ तुमने पढाया सखी!
प्रेम का दीप तुमने जलाया सखी....

प्रेम का दीप मन में जले अनवरत!
प्रेम हिंसा के भावों को करता विरत!
प्रेम तुमने मुझे "देव" जबसे दिया,
न दुरित सोच है, न ही चिंतन गलत!

प्रेम से आत्मा को धवल कर दिया!
प्रेम से मेरा जीवन सबल कर दिया!

प्रेम का स्वप्न तुमने सजाया सखी!
प्रेम का दीप तुमने जलाया सखी!"

"
प्रेम, जीवन को न सिर्फ अपनत्व देता है अपितु प्रेम के द्वारा व्यक्ति को सकारात्मकता भी मिलती है! प्रेम के दीप जहाँ जलते हैं वहां पर हिंसा की सोच नहीं होती और व्यक्ति दुरित भावों को त्याग देता है! तो आइये प्रेम करें!


चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक--०५.०३.२०१२


सर्वाधिकार सुरक्षित


♥मायूसी.....♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मायूसी.....♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
बिना तुम्हारे मायूसी है, चैन-सुकूं सब कुछ खोया है!
आंखें भी अश्कों से भीगीं और सीने में दिल रोया है!
जिसने अपना हमको कहकर मेरे आंसू अपनाये थे,
आज उसी ने मेरी राह में, काँटों का पतझड़ बोया है!"
....................चेतन रामकिशन "देव"....................

Friday, 2 March 2012

♥♥हमजोली...♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥हमजोली...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तेरी सूरत गुलों के जैसी, कोयल के जैसी बोली है!
रंग बिरंगी तितली जैसी, तू खुशियों की रंगोली है!
बुरे वक्त में साहस देती, अपनापन भी देती है तू,
तू ही मेरे दुःख को समझे, तू ही मेरी हमजोली है!"
.............चेतन रामकिशन "देव".......................