Thursday, 28 June 2012

♥विरह की पीड़ा ♥


♥♥♥♥♥♥♥विरह की पीड़ा ♥♥♥♥♥♥♥
तेरे बिन ना सुमन, ना कली खिल रही!
मेरे जीवन की हर्षित, किरण ढल रही!
अब विरह भाव को मुक्त कर दो जरा,
ना दिवस शीत है, रात भी जल रही!

क्रोध की भावना से, ना दण्डित करो!
मेरे कोमल ह्रदय को, ना खंडित करो!

तेरे बिन प्रेम की, रीत ना चल रही!
तेरे बिन ना सुमन, ना कली खिल रही........

तेरे बिन शूल पांवो में चुभने लगे!
वो सफलता भरे, पग भी रुकने लगे!
तेरे बिन हैं तिमिर के मनोभाव बस,
अब पथों के उजाले भी, बुझने लगे!

प्रेम की भावना का, ना उपहास कर!
इस तरह हर्ष का, तू नहीं ह्रास कर!

तेरे बिन प्रेम की, रीत ना चल रही!
तेरे बिन ना सुमन, ना कली खिल रही!"

"प्रेम, में विरह बहुत पीड़ा देती है! प्रेम और विरह का सम्बन्ध भी है, किन्तु फिर भी अपनी तरफ से प्रयास करियेगा कि, आपने द्वारा किसी को विरह ना मिले! क्यूंकि, विरह की पीड़ा, व्यक्ति को हतो-उत्साहित करती है!

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-२८.०६.२०१२

♥जीवन उद्द्देश्य..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥जीवन उद्द्देश्य..♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तुम अपने सपनो को देखो ,कभी विश्राम न देना!
कभी हिंसा भरा, नफरत भरा पैगाम न देना!

किसी भी कार्य से पहले, निराशा पास न लाना,
कभी भयभीत होकर, हार का तुम नाम न लेना!

कभी सच मर नहीं सकता, उजागर हो ही जाता है,
कभी सच बेचने को भूलकर भी दाम न लेना!"

......"शुभ-दिन".......चेतन रामकिशन "देव".....

Tuesday, 26 June 2012

♥माँ तो है वरदान..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥माँ तो है वरदान..♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मुझे माँ आपने ऊँगली पकड़ चलना सिखाया है!
मेरा सर गोद में रख, आपने मुझको सुलाया है!

मेरी माँ आप जैसा त्याग कोई कर नहीं सकता!
मेरी माँ आप जैसा रूप, कोई धर नहीं सकता!
है इक बस माँ ही जो बच्चों के आंसू सोख लेती है,
कोई माँ की तरह जीवन में खुशियाँ भर नहीं सकता!

रही माँ भूख में लेकिन, मुझे भोजन कराया है!
मुझे माँ आपने ऊँगली पकड़ चलना सिखाया है....

मेरी माँ आपकी ममता मेरी आँखों को भाती है!
मेरी माँ आपकी ममता, मुझे सीने लगाती है!
मेरी माँ आप का, वरदान मुझको हर्ष देता है,
मेरी माँ आपकी ममता, मुझे लोरी सुनाती है!

मेरी माँ आपके आशीष ने, हर सुख दिलाया है!
मुझे माँ आपने ऊँगली पकड़ चलना सिखाया है.........

मेरी माँ आपका अपनत्व, मेरी प्राण शक्ति है!
मेरी माँ आपकी खातिर, मेरे ह्रदय में भक्ति है!
मेरी माँ आपके ही स्नेह से तो "देव" पुलकित है,
मेरी माँ आपके सानिध्य में, हर दुख से मुक्ति है!

मेरी माँ आपने सच्चाई का, दीपक जलाया है!
मुझे माँ आपने ऊँगली पकड़ चलना सिखाया है!"


"
माँ, अनमोल चरित्र! कोई नहीं माँ जैसा! माँ का अनमोल स्नेह, ममतापूर्ण व्यवहार मानव जीवन की सबसे बड़ी दौलत है, क्यूंकि जीवन चक्र में अनेकों सम्बन्ध, अनेकों रिश्ते आते हैं, किन्तु माँ जैसा कोई नहीं होता................."

"मेरी दोनों माताओं और माँ शब्द को समर्पित रचना"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-२७.०६.२०१२

रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!
सर्वाधिकार सुरक्षित!

Monday, 25 June 2012

♥प्रेम की अनुभूति.♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्रेम की अनुभूति.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मीलों दूर हो मुझसे लेकिन, तुम साया बनकर रहती हो!
तुम मेरे सपनों में आकर, प्यार भरी बातें कहती हो!

तेरे प्रेम की अनुभूति तो, वायु में भी घुली-मिली है!
तेरे आने से जीवन की बगिया में हर कली खिली है!

मुझको कोई चोट लगे तो, तुम मेरी पीड़ा सहती हो!
मीलों दूर हो मुझसे लेकिन , तुम साया बनकर रहती हो!"

....................चेतन रामकिशन "देव"........................

Sunday, 24 June 2012

♥उजली किरण.♥



♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥उजली किरण.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सुबह की उजली किरण ने देखो, किया है रोशन जहाँ ये सारा!
हवा भी शीतल सी बह रही है, बड़ा ही दिलकश है यह नज़ारा!

तुम मन्दिर के ज्योति कलश सा, मन अपने को शुद्ध बनाना!
अपनी खुशियों की खातिर तुम , किसी के दिल को नहीं दुखाना!

ये जग कभी ना सुधर सकेगा जो हम ने खुद को ना सुधारा!
सुबह की उजली किरण ने देखो, किया है रोशन जहाँ ये सारा!"

............"शुभ-दिन"....चेतन रामकिशन "देव"...............

Saturday, 23 June 2012

♥मृत्यु(कटु सत्य)♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मृत्यु(कटु सत्य)♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
पहरेदारी कर लो कितनी, मृत्यु तो निश्चित आनी है!
धन, दौलत और संपत्ति भी, यहीं धरा पर रह जानी है!

मृत्यु नाम नहीं मिथ्या का, मृत्यु सबसे बड़ा सत्य है!
नहीं समझ पाता है कोई, मृत्यु ऐसा जटिल तथ्य है!

दया नहीं मृत्यु के दिल में और न आँखों में पानी है!
पहरेदारी कर लो कितनी, मृत्यु तो निश्चित आनी है!"

..................चेतन रामकिशन "देव"..................

Thursday, 21 June 2012


♥♥♥♥♥♥♥♥क्रांति लानी होगी...♥♥♥♥♥♥♥♥
इन देशी अंग्रेजों से अब, हाथ चार करने ही होंगे!
इन सबके हाथों से पाए, ज़ख्म हमे भरने ही होंगे!
यदि न अपनी चुप्पी तोड़ी, तो शोषण भी नहीं रुकेगा,
शोषण से मुक्ति पाने को, युद्ध, जंग करने ही होंगे!

पूंजीपतियों के संग देखो, मिली भगत करती सरकारें!
जनता के संग लूट-पाट की, रोज जुगत करती सरकारें!

अपने ही हाथों से हमको, अपने दुख हरने ही होंगे!
इन देशी अंग्रेजों से अब, हाथ चार करने ही होंगे........

देश के नेता लूट रहे हैं, हर मद में घोटाला करते!
निर्धन को अँधेरा देकर, अपने यहाँ उजाला करते!
जनता के दुख दर्द से इनको, कोई मतलब नहीं रहा है,
अपनी करतूतों से नेता, देश के मुंह को काला करते!

जिस धरती पे जन्म लिया है, उसका ही सौदा करते हैं!
देश के ये खद्दरधारी बस, अपनी ही झोली भरते हैं!

हमको इन नेताओं के अब, मुंह काले करने ही होंगे!
इन देशी अंग्रेजों से अब, हाथ चार करने ही होंगे!

चलो याचना करने की नीति का, मन से त्याग करो तुम!
अपने मन में साहस वाली, जिन्दा जलती आग भरो तुम!
"देव" जरा तुम अपने मन को, चलो जरा बलवान बनाओ,
अपने सुप्त ह्रदय से लोगों, निंद्रा का परित्याग करो तुम!

चलो जरा हम इनसे अपने, अधिकारों की जंग लड़ेंगे!
रणभूमि में मरते दम तक, शीश हमारे नहीं झुकेंगे!

तीन रंगों के आंचल हमको, आज़ादी से भरने होंगे!
इन देशी अंग्रेजों से अब, हाथ चार करने ही होंगे!"


" देश में सत्ताधारियों ने जनता के विकास का रास्ता त्यागकर, अपने पथों में पुष्प बिछाने का कार्य करना शुरू कर दिया है! बेबस जनता सड़कों पर भूखे पेट सो रही है तो किसान क़र्ज़ में डूबकर आत्महत्या कर रहा है! बेरोजगार युवक, नौकरी न मिलने की कुंठा में फंसी पर झूल रहे हैं, जागना होगा इस नींद से, करना होगा युद्ध इनसे जो उन अंग्रेजों से ज्यादा दमनकारी और घातक है!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-२२.०६.२०१२

सर्वाधिकार सुरक्षित

Wednesday, 20 June 2012

♥चिंतन को सुप्त न करना...♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥चिंतन को सुप्त न करना...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
गति कलम की मंद न करना, तुम चिंतन को सुप्त न करना!
अपने मन की अभिव्यक्ति को, अपने मन में लुप्त न करना!

इस दुनिया के लोग तुम्हें जो, संबोधन दें भ्रष्ट पुरुष का,
अपने जीवन की शैली को, तुम लालच से युक्त न करना!

अपने जीवन में मर्यादा, नैतिकता, अपनापन रखना,
अहंकार के वस्त्र पहनकर, इन सबको तुम मुक्त न करना!

चमक झूठ में होती लेकिन, इक दिन चमक उतरती उसकी,
इसीलिए तुम सच्चाई को, अंधकार में गुप्त न करना!"

........"शुभ-प्रभात"..........चेतन रामकिशन "देव".........

Tuesday, 19 June 2012

♥प्रेम की परिभाषा..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्रेम की परिभाषा..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
चलो प्रेम की परिभाषा का, आपस में विस्तार करें हम!
भेदभाव की सोच त्यागकर, इक दूजे से प्यार करें हम!

दिल में अपने नफरत भरके, मानवता बदनाम न करना!
धन-दौलत के भूखे बनकर, रिश्तों को नीलाम न करना!
इस दुनिया में अपने कर्मों से, होती पहचान मनुज की,
बुरा जो तुमको कहे ज़माना, कोई ऐसा काम न करना!

चलो राह में फूल बिछाकर, प्रेम का पथ तैयार करें हम!
चलो प्रेम की परिभाषा का, आपस में विस्तार करें हम!"

..........."शुभ-दिन"....चेतन रामकिशन "देव"...........

Monday, 18 June 2012

♥जीवन का ध्येय.♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥जीवन का ध्येय.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥

तपिश धूप की हो कितनी पर, छाया की उम्मीद न खोना!


तुम अपनी मंजिल पाने को, कभी झूठ के बीज न बोना!

कभी किसी की मज़बूरी का, न उपहास उड़ाना यारों,


और किसी लाचार के खूं से, अपने हाथ कभी न धोना 

इस जीवन में हार जीत तो, सिक्के के दो पहलु जैसी,


अगर हार भी मिल जाये तो, फूट फूट कर तुम न रोना!

निद्रारत लोगों को जग में नहीं सफलता मिल पाती है, 


अपनी मेहनत और लगन से, तुम मिटटी को कर दो सोना!

"देव" जिंदगी के आँचल में, गहरे गहरे ज़ख्म छुपे हैं,


लेकिन ज़ख्मों से भय खाकर, भूले से भी धेर्य न खोना!"



............."शुभ-दिन"....चेतन रामकिशन "देव"........





Saturday, 16 June 2012

♥चिंतन.♥♥

♥♥♥♥♥चिंतन.♥♥♥♥♥
मिथ्या के संवाद करो न,
मानवता बरबाद करो न,
अपने दुख को सहना सीखो,
दुनिया से फरियाद करो न!

मृत्यु तो आयेगी इक दिन,
मृत्यु से भय करना छोड़ो!
कमज़ोर से लूट-पाट कर,
अपने कोष को भरना छोड़ो!

अपनों से परिवाद करो न!
हिंसा को आबाद करो न!
अपने दुख को सहना सीखो,
दुनिया से फरियाद करो न!"

.."शुभ-दिन"..चेतन रामकिशन "देव"

♥प्यार का दीप जला दें हम..♥

♥♥♥♥♥प्यार का दीप जला दें हम..♥♥♥♥♥
आओ दिल से दिल का मिलन करा दें हम ,
सारे जग को प्यार का सबक सिखा दें हम !

नहीं किसी ने नफरत से कुछ पाया कभी ,
आओ नफरत का यह महल गिरा दें हम !

भीड़ से हटकर आज अपनी पहचान बने ,
इस दुनियां को आओ स्वर्ग बना दें हम !

जिस मिटटी में यारो हमने जन्म लिया,
माथे का अब उसको तिलक बना दें हम!

“देव” झूठ का तम न व्यापक हो पाए,
घर घर प्यार का दीपक आज जला दे हम! "

चेतन रामकिशन "देव"-----------रचना संपादन-माँ प्रेमलता जी!

दिनांक-१४.०६.२०१२

♥दिल का सुकूं ♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥दिल का सुकूं ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तुमने दिल को सुकूं दिया है, तुमने ही आराम दिया है!
तुमने ही मेरे जीवन को, चाहत का पैगाम दिया है!

कितनी भी तारीफ करूँ पर, सब तारीफें होती कम हैं!
मेरे दुःख में, मेरे दर्द में, निगाह तुम्हारी होती नम हैं!

तुमने मेरे नाम के संग में, हमदम अपना नाम दिया है!
तुमने दिल को सुकूं दिया है, तुमने ही आराम दिया है!"

..................चेतन रामकिशन "देव"....................

♥संघर्ष...♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥संघर्ष...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सपने भी सच हो जायेंगे, तुम युक्ति संघर्ष की सीखो!
नहीं निराशा में उलझो तुम, तुम युक्ति निष्कर्ष की सीखो!

उम्मीदों के पंख लगाकर, आशाओं के दीप जलाकर!
जिस मंजिल पर जाना तुमको, उसी दिशा में कदम बढाकर!
हिम्मत को अपने मन भरके और मुश्किल से हाथ मिलाकर,
तुम्हे लक्ष्य को पाना है बस, हर पर्वत, चट्टान गिराकर!

श्रेष्ठ करो प्रदर्शन अपना, तुम युक्ति उत्कर्ष की सीखो!
सपने भी सच हो जायेंगे, तुम युक्ति संघर्ष की सीखो!"

...."शुभ-दिन"..........चेतन रामकिशन "देव".............

♥तस्वीरें..♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥तस्वीरें..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
धीमे धीमे होठ हिलाकर, तस्वीरें भी बोल रही हैं!
चारों ओर फिजा में देखो, प्यार की खुश्बू घोल रही हैं!

तस्वीरें ही बीते कल की, यादों को रौशन करती हैं!
कभी ख़ुशी के झोंके देतीं, कभी आंख को नम करती हैं!

कभी किसी अनदेखे मुख के, परदे को भी खोल रही हैं!
धीमे धीमे होठ हिलाकर, तस्वीरें भी बोल रही हैं!

.................चेतन रामकिशन "देव"..................

♥पिता के साये में ..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥पिता के साये में ..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
पिता का कद आकाश सरीखा, बच्चों को साया देता है!
पिता सदा अपने बच्चों को, प्यार भरी छाया देता है!

जो गलती होती हमसे तो, पिता सही दर्पण दिखलाते!
बन बच्चों के पथ प्रदर्शक , जीवन से लड़ना सिखलाते!

खुद रहकर के पीड़ा में भी , हर्ष की धन, माया देता है!
पिता का कद आकाश सरीखा, बच्चों को साया देता है!"

" फादर्स डे पर अपने पिता और सभी पिताओं को नमन!"

//////////////////चेतन रामकिशन "देव"////////////////////

Thursday, 7 June 2012

♥निर्धन की दुश्वारी.♥


♥♥♥♥♥निर्धन की दुश्वारी.♥♥♥♥♥
कोई न जाने निर्धन की दुश्वारी को!
उनके आंसू और उनकी लाचारी को!
सरकारें बस जुटी हैं शोषण करने में,
कोई न जाने निर्धन की बेकारी को!

फुटपाथों पर धूप में रहकर जीते हैं!
प्यास लगे तो अपने आंसू पीते हैं!

दवा नहीं मिलती इनकी बीमारी को!
कोई न जाने निर्धन की दुश्वारी को....

आँखों के नीचे कालापन रहता है!
उनके जीवन में सूनापन रहता है!
बदन भी पिंजर के जैसे हो जाते हैं,
जीवन में उनके भूखापन रहता है!

निर्धन का तो हाल बड़ा बेहाल हुआ!
मेहनतकश होकर भी कंगाल हुआ!

नहीं रोकता कोई कालाबाजारी को!
कोई न जाने निर्धन की दुश्वारी को....

सरकारों से भी अब उनको आस नहीं!
सरकारों पर अब उनको विश्वास नहीं!
सरकारों पर "देव" यकीं भी हो कैसे,
सरकारों को जब दुख का एहसास नहीं!

संकट के लम्हे ही उनपर बीते हैं!
अपने हाथों से ज़ख्मों को सीते हैं!

कोई न सींचे इनकी सूखी क्यारी को!
कोई न जाने निर्धन की दुश्वारी को!"

" निर्धन का जीवन स्तर, मेहनतकश होने के बाद भी, शून्य ही रहता है! क्यूंकि देश की व्यवस्था ही ऐसी हैं! नेता इन लोगों से झूठे वादे करके सत्ता प्राप्ति कर लेते हैं पर फिर इनका ध्यान भूल जाते हैं! निर्धनों को अपनी दशा सुधारनी है तो क्रांति का अग्रदूत बनना होगा उन्हें..."

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-०९-०६-२०१२

सर्वाधिकार सुरक्षित!
रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित~

♥तुम्हारा नाम..♥


♥♥♥♥♥♥तुम्हारा नाम..♥♥♥♥♥♥♥
मेरे दिल पर लिखा, नाम तुम्हारा है!
सुबह-शाम, हर लम्हा तुम्हे निहारा है!

मन के सागर में आये तूफां कितने,
तेरे प्यार ने हर पल दिया किनारा है!

तू जीवन में मंत्रमुग्ध सौगात बनी!
मरुभूमि में तू जल की बरसात बनी!

तुमने मेरा जीवन सदा संवारा है!
मेरे दिल पर लिखा नाम तुम्हारा है!"

.........चेतन रामकिशन "देव"........

Wednesday, 6 June 2012

♥♥फूल.♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥फूल.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
फूलों जैसे बनना है तो, दिल से बैर मिटाना सीखो~
अपने हाथों से नफरत की, तुम तलवार गिराना सीखो!

अपनी राहों में फूलों की, तुम चाहत करने से पहले,
औरों के रस्ते में यारों, सुन्दर फूल बिछाना सीखो!

मुश्किल और आंसू से डरकर, नहीं मिली है जीत किसी को,
हर मुश्किल को मेरे यारों, हंसकर गले लगाना सीखो!

धन-दौलत और अहंकार से, नहीं लोग दिल से जुड़ते हैं,
सबके दिल में बसना है तो, अपना शीश झुकाना सीखो!

उम्दा इन्सा बनना है जो "देव" तुम्हे इस दुनियां में तो
मजलूमों के ज़ख्मों पर तुम, मरहम जरा लगाना सीखो

..............चेतन रामकिशन "देव"................

Tuesday, 5 June 2012

♥माँ का दिल..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥माँ का दिल..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
माँ के दिल को छलनी करके, नहीं चैन से जी सकते हो!
पश्चाताप की सुईं से भी, ज़ख़्म नहीं तुम सी सकते हो!

माँ अपनी संतानों को न, भेद-भाव की सोच सिखाती!
हों संतान भले कितनी पर, माँ तो सबको गले लगाती!
माँ की प्यार भरी ममता तो, होती है निश्चल पावन सी,
माँ अपने नन्हें से दिल से, दुनिया भर का प्यार लुटाती!

माँ की तरह तुम आंसू के, सागर को न पी सकते हो!
माँ के दिल को छलनी करके, नहीं चैन से जी सकते हो!"

....."शुभ-दिन".............चेतन रामकिशन "देव"..........

♥पिता( स्नेह के पोषक)♥


♥♥♥♥♥♥♥♥पिता( स्नेह के पोषक)♥♥♥♥♥♥♥
पिता कर्तव्य के पालक, पिता स्नेह के पोषक!
पिता अपने शिशु के दर्द के, आंसू के अवशोषक!

है माँ अनमोल तो देखो, पिता भी कम नहीं होते!
हाँ सच है हर घड़ी कर्तव्य, उनके सम नहीं होते!

पिता होते दयालु हैं, नहीं होते कभी शोषक!
पिता कर्तव्य के पालक, पिता स्नेह के पोषक!"

..............चेतन रामकिशन "देव".....................

Monday, 4 June 2012

♥सूखी हरियाली..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥सूखी हरियाली..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
अब हरियाली सूख रही है, खिले हैं जंगल ईंट-रेत के!
वन सम्पदा झुलस रही है, और घटे आकार खेत के!

आज लोग बस अपने सुख में, प्रकृति का हनन कर रहे !
दूषित गैस रसायन से वो, वायुमंडल क्षरण कर रहे!
प्रकृति इस ज़हर से देखो, बिन मृत्यु के मौत पा रही,
ऐसा आलम देखके भी हम, न चिंतन, न मनन कर रहे!

चिमनी के काले धुएँ से, रंग हुए बदरंग बेत के!
अब हरियाली सूख रही है, खिले हैं जंगल ईंट-रेत के!"

"बेत-आकाश"

विश्व पर्यावरण दिवस पर आइये चिंतन करें!
.............."शुभ-दिन" ...चेतन रामकिशन "देव"..................

Sunday, 3 June 2012

♥.कलम की हिफाज़त.♥


♥♥♥♥♥♥♥♥.कलम की हिफाज़त.♥♥♥♥♥♥♥♥
कलम के नाम पर बदनामी का न दाग लग जाये!
कलम से जाति, मज़हब, धर्म की न आग लग जाये!

कलम से हमको समरसता का, एक सन्देश देना है!
कलम से हमको सच्चाई, भरा उपदेश देना है!


कलम की नोंक पर न, स्वार्थ विष का झाग लग जाये!
कलम के नाम पर बदनामी का न दाग लग जाये!"

............"शुभ-दिन"..चेतन रामकिशन "देव"...............

♥तस्वीर की रंगत♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥तस्वीर की रंगत♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मेरी तस्वीर में रंगत से, तुम्हारे प्यार से आई!
हवा भी महकी महकी है, खुशी की रोशनी छाई!

बड़ा पावन, बड़ा निश्चल, ये देखो प्यार होता है!
खुशी के दीप जगमग हों, जहां गुलजार होता है!
ये सच है प्यार के पथ पर, हजारों शूल चुभते हैं,
मगर इस प्यार से ही खुशनुमा किरदार होता है!

खिला हर फूल उपवन में, कली भी देखो मुस्काई!
मेरी तस्वीर में रंगत से, तुम्हारे प्यार से आई!

..............चेतन रामकिशन "देव"................

Saturday, 2 June 2012

♥तुम्हारी छवि..♥


♥♥♥♥♥तुम्हारी छवि..♥♥♥♥♥♥
छवि तुम्हारी फूलों जैसी प्यारी है!
तू मेरे घर अंगना की फुलवारी है!

हर लम्हा तू रहती है एहसासों में!
तू वसती है हमदम मेरी सांसों में!

तुझसे मेरी रूह की नातेदारी है!
छवि तुम्हारी फूलों जैसी प्यारी है!"

.......चेतन रामकिशन "देव"........

Friday, 1 June 2012

♥भावों की कविता..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥भावों की कविता..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मेरे दिल में रहती हो तुम, मेरे भावों की कविता हो!
मेरे मन में बहती हो तुम, तुम मीठे जल की सरिता हो!

फूलों जैसी खिली खिली तुम, खुश्बू प्रवाहित करती हो!
बड़े ही सुन्दर मनोभाव से, प्रेम को परिभाषित करती हो!

मुझे रोशनी देने वाली, तुम ज्योति, तुम ही सविता हो!
मेरे दिल में रहती हो तुम, मेरे भावों की कविता हो!"

.........................चेतन रामकिशन "देव".......................

Tuesday, 29 May 2012

♥तेरी मोहब्बत..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥तेरी मोहब्बत..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मिली है जबसे तेरी मोहब्बत, ये मेरा जीवन सुधर गया है!
तुम्हारी चाहत की रौशनी से, हमारा हर पल निखर गया है!
तुम्हारा चेहरा है चाँद जैसा, हैं आँखे सुंदर सितारों जैसी ,
कि देखने को तुम्हारी सूरत यह पल भी जैसे ठहर गया है!

मुझे ख़ुशी है तेरी मोहब्बत, खुदा ने हमको दिलाई हमदम!
हमारी पतझड़ सी जिंदगानी, खुदा ने देखो सजाई हमदम!

तुम्हारा चेहरा हमारी रूह में, हमारे दिल में उतर गया है!
मिली है जबसे तेरी मोहब्बत, ये मेरा जीवन सुधर गया....

तेरी मोहब्बत ने मेरे हमदम, हमारा जीवन सरल बनाया!
पुराने मैले विचार धोकर, हमारे मन को नवल बनाया!
तुम्हारा आगम हुआ है जबसे, हमारा जीवन हुआ सुनहरा,
तेरी मोहब्बत ने मेरे घर को, हंसी-ख़ुशी का महल बनाया!

मुझे ख़ुशी है तेरी मोहब्बत, हजारों सपने खिला रही है!
हमारी राहों में रौशनी के, हजारों दीपक जला रही है!

तुम्हारी चाहत से जिंदगी का, हर एक कोना संवर गया है!
मिली है जबसे तेरी मोहब्बत, ये मेरा जीवन सुधर गया....

तेरी मोहब्बत मेरी इबादत, तेरी मोहब्बत मेरी ज़रूरत !
हमारे दिल में लगी हुई है, बहुत ही सुन्दर तुम्हारी मूरत!
खुदा को मैंने नहीं है देखा, मगर नहीं है मुझे शिकायत,
तुम्हारी सूरत में देखता हूँ, मैं "देव" अपने ख़ुदा की सूरत!

मुझे ख़ुशी है तेरी मोहब्बत, हमारे जीवन की ताजगी है!
नहीं है मन में घमंड कोई, हमारे जीवन में सादगी है!

हमारे पथ में हमारे हमदम, ख़ुशी का रेशम बिखर गया है!
मिली है जबसे तेरी मोहब्बत, ये मेरा जीवन सुधर गया!"


"
सच्चा प्रेम जीवन में शिक्षक की भांति मार्गदर्शन करता है और जीवन में सकारात्मकता आती है! उद्देश्य और लक्ष्य प्राप्ति का स्तर और ज्यादा गंभीर और दिशानुरूप हो जाता है! "

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-३०.०५.२०१२

रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!

♥प्रदूषित होती गंगा...♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्रदूषित होती गंगा...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
प्रदुषण से दूषित देखो, गंगा की जल धार हो रही!
अमृत जैसे गंगाजल में, कचरे की बौछार हो रही!

गंगा को माता कहकर भी, तन उसका गन्दा करते हैं!
माँ का आँचल चीर-2 कर, खनन का भी धंधा करते हैं!

आज सपूतों के हाथों ही, माँ की इज्ज़त तार हो रही!
प्रदुषण से दूषित देखो, गंगा की जल धार हो रही!"

..................चेतन रामकिशन "देव".................

Sunday, 27 May 2012

♥बड़े बड़े अलफ़ाज..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥बड़े बड़े अलफ़ाज..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
बड़े बड़े अलफ़ाज लिखेंगे, पर रखते हैं दिल वो छोटे!
कलमकार ऐसे भी देखे, जिनके मुख पे लगे मुखोटे!

लेखन होगा तभी सार्थक, पहले खुद पर अमल करें हम!
जो हम शब्दों में लिखते हैं, उन भावों को सबल करें हम!

चलो फेंक दो अपने मन से, ऐसी सोच के सिक्के खोटे !
बड़े बड़े अलफ़ाज लिखेंगे, पर रखते हैं दिल वो छोटे!"

.........."शुभ-दिन"...........चेतन रामकिशन "देव".........

Friday, 25 May 2012

♥परिश्रम...♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥परिश्रम...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
चलो अपने परिश्रम से, समस्या को सुगम कर लो!
अगर पानी है मंजिल तो, उसे पाने का दम भर लो!

बिना प्रयास के दुनिया में कोई फल नहीं मिलता!
बिना विश्वास के जीवन में कोई बल नहीं मिलता!

कभी तो गैर के आंसू से भी, आँखों को नम कर लो!
चलो अपने परिश्रम से, समस्या को सुगम कर लो!"

.........."शुभ-दिन".....चेतन रामकिशन "देव".........

Wednesday, 23 May 2012

♥पेट्रोल का मूल्य..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥पेट्रोल का मूल्य..♥♥♥♥♥♥♥♥♥
पेट्रोल का मूल्य देश में, बढ़ा है फिर एक बार!
वाहन का सञ्चालन करना, हुआ बड़ा दुश्वार!

क्षण भर में ही तेल मूल्य में,  साढ़े सात बढाए!
वाहन के संचालक, स्वामी, ये सुनकर मुरझाए!

देश की जनता को जी भरके लूट रही सरकार!
पेट्रोल का मूल्य देश में, बढ़ा है फिर एक बार!

....."शुभ-दिन"..चेतन रामकिशन "देव"......

♥पाबन्दी...♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥पाबन्दी...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सखी का ख़त नहीं आया, नहीं सन्देश आया है!
सखी ने अपनी खिड़की से, नहीं पर्दा हटाया है!
मुझे लगता है वो भी बंध गई पाबन्दी में शायद,
तभी तो उसने मुझको देखकर, चेहरा छुपाया है!"

................चेतन रामकिशन 'देव"................

Tuesday, 22 May 2012

♥सजग प्रयास♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥सजग प्रयास♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सजग प्रयास से हमको, सफलता जग में पानी है!
करे जो गर्व ये दुनिया, छवि ऐसी बनानी है!

कभी अपनी नजर से, मंजिलों को दूर न करना!
तुम अपने ख्वाब के शीशे को, चकनाचूर न करना!

हमे वीराने में भी प्यार की, दुनिया वसानी है!
करे जो गर्व ये दुनिया, छवि ऐसी बनानी है! "

......"शुभ-दिन"..चेतन रामकिशन "देव"....

Monday, 21 May 2012

♥परिवर्तन(क्रांति का आरम्भ) ♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥परिवर्तन(क्रांति का आरम्भ) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
धुंधला जीवन स्वच्छ भी होगा, परिवर्तन के क्षण आने दो!
वृक्ष बनेंगे एक दिन निश्चित, नव-अंकुर को खिल जाने दो!


संसाधन से रहित हो किन्तु, अपने मन की सोच न मारो!
नहीं सीख कोई गर्भ से आता, अपना जीवन स्वयं सुधारो!
हाथ पे हाथ ही रखने भर से, नहीं सफलता करे सुशोभित,
यदि सफलता की इच्छा है तो सोच कर्म की मन में धारो!

अक्षमता की सोच से ग्रसित, मन का पक्षी उड़ जाने दो!
धुंधला जीवन स्वच्छ भी होगा, परिवर्तन के क्षण आने दो.....

कथनी मात्र के संबोधन से, जीवन में कहीं विजय नहीं है!
बिना युद्ध के, बिन कर्म के, विजय का संभव उदय नहीं है!
यदि तुम्हे भी हुयी है आदत, घुट घुट कर यूँ मर जाने की,
अन्य को क्या साहस दोगे, जब अपना जीवन अभय नहीं है!

भय से पीड़ित जीवन से तो, अच्छा उसको मर जाने दो!
धुंधला जीवन स्वच्छ भी होगा, परिवर्तन के क्षण आने दो.....

चापलूस बनकर दुनिया में, सोच न अपनी दूषित करना!
ह्रदय दुखाकर मिली रकम से, न ही जीवन भूषित करना!
जग में छाप छोड़नी है तो, "देव" बदलनी होगी ये नीति,
अपने दुरित कर्म से देखो, तुम सच को प्रदूषित न करना!

शीश झुकाने से अच्छा है, शीश को अपने कट जाने दो!
धुंधला जीवन स्वच्छ भी होगा, परिवर्तन के क्षण आने दो!"


"
यदि कुछ बनने की सोच मन में रखते हो तो, उसको पाने के लिए अपने सुप्त, आलसी, चापलूस मन की प्रकृति का परिवर्तन करना होगा, नीतियों का परिवर्तन करना होगा! चापलूस बनकर, गलत नीतियों को अपनाकर हम कुछ पलों के लिए अपने आप को भले ही हर्षित समझें किन्तु आपकी आत्मा, अंतर्मन आपको धिक्कारेगा, तो आइये चिंतन करें, कम से कम ऐसे बनें, जो अपने आप को दर्पण में देखने पर हम लाज न आए!"

रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!

चेतन रामकिशन "देव"

दिनांक--22.05.2012









Friday, 18 May 2012

♥मोहब्बत की खेती.♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥मोहब्बत की खेती.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
करो खेती मोहब्बत की, न नफरत की फसल बोना!
अगर मिल जाए दौलत भी, तो अपना होश न खोना!


मिली है जिंदगी तो सुख भी होंगे, दुःख भी आयेंगे,
गमों के खौफ से डरकर, कभी जीवन में न रोना!


अगर इज्ज़त की चाहत है, तो इज्ज़त बाँटना सीखो,
कभी पीतल के अंकुर बोने से, उग पाए न सोना!"


........"शुभ-दिन"...चेतन रामकिशन "देव "...............

Thursday, 17 May 2012

♥ये कैसी आधुनिकता..♥


♥♥♥♥♥♥♥ये कैसी आधुनिकता..♥♥♥♥♥♥♥♥
न नैतिकता, न मर्यादा, ये कैसी आधुनिकता है!
न जीवन में सरसता है, न वाणी में मधुरता है!

हम अपने तन के वस्त्रों को बहुत ही अल्प कर बैठे,
मगर इस नग्नता से, कौनसा सूरज निकलता है!

हम अपने आप को मदिरा के सागर में डूबा बैठे,
भला मदिरा के पीने से, कहाँ कोई हल निकलता है!"

.........."शुभ-दिन"....चेतन रामकिशन "देव".........

Wednesday, 16 May 2012

♥एकता की डोर..♥


♥♥♥♥♥एकता की डोर..♥♥♥♥♥♥

सितमगर के सितम सहने की आदत छोड़नी होगी!
हमे रिश्तों की यह ज़ंजीर फिर से जोड़नी होगी!
वो ताकत जो शरारत से हमें आपस में लड़वाए,
हमे एक डोर में बंधकर, वो ताकत तोड़नी होगी!

........"शुभ-दिन".....चेतन रामकिशन "देव"............

Sunday, 13 May 2012

♥उल्लास है माँ...♥


♥♥♥♥♥♥♥♥उल्लास है माँ...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥

मेरी आँखों की चमक, चेहरे का उल्लास है माँ!
सात रंगों की सजावट भरा, आकाश है माँ!
माँ की तुलना नहीं, उपमा नहीं हो सकती है,
धरती पर ईश के स्वरूप का आभास है माँ!

मेरी पीड़ा में भी, माँ मुझको सहारा देती!
मेरी किश्ती को भी तूफां में किनारा देती!

मेरी सच्चाई का पालक, मेरा विश्वास है माँ!
मेरी आँखों की चमक, चेहरे का उल्लास है माँ!"

"
विश्व माँ दिवस पर अपनी दोनों माताओं और संसार की प्रत्येक माँ को
समर्पित पंक्तियाँ"

चेतन रामकिशन "देव"

♥उलफ़त भरे एहसास.♥


♥♥♥♥♥♥उलफ़त भरे एहसास.♥♥♥♥♥♥♥

दिल में उलफ़त भरे एहसास जगाना सीखो!
अपने आंसू ज़रा हिम्मत से सुखाना सीखो!

झूठ के किस्से कसीदों से न कुछ पाओगे
छोड़ के झूठ ज़रा, सच को निभाना सीखो!

जिंदगी दर्द से लबरेज़ है पहले ही बहुत ,
हो सके तो किसी रोते को, हँसाना सीखो!

धर्म के नाम पे लोगों को ना गुमराह करो
हिन्दू मुस्लिम नहीं इन्सान बनाना सीखो!"

.."शुभ-दिन"....चेतन रामकिशन "देव"...

Saturday, 12 May 2012

♥♥प्रतीक्षा की पीड़ा.♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्रतीक्षा की पीड़ा.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥

तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा हूँ, सखी सुबह की प्रथम किरण से!
हमारी मूरत भी घिस रही है, दुखों की वायु के इस क्षरण से!
तुम्हारे बिन लगते हैं अधूरे, मेरा दिवस और सखी निशा भी,
सखी तुम आकर के शीघ्रता से, जरा बचा लो हमे मरण से!"

......................चेतन रामकिशन "देव".......................

Friday, 11 May 2012

♥प्यार भरा स्पर्श..♥♥


♥♥♥♥♥♥प्यार भरा स्पर्श..♥♥♥♥♥♥♥♥

कभी किसी रोते के सर पर, प्यार से हाथ फिराकर देखो!
सुकूं मिलेगा तुमको यारों, सच का साथ निभाकर देखो!


अपने पथ में फूलों की तो, चाह सभी को रहती लेकिन,
कभी मगर तुम गैर के पथ से, कांटा कोई हटाकर देखो!


इस दुनिया में जीते जी ही, पाओगे जन्नत सी खुशियाँ,
अपनी माँ के क़दमों में तुम, गर्दन जरा झुकाकर देखो!"


दिल के दर्द को दिल में रखकर, "देव" नहीं बारूद बनाना,
दोस्त के कंधे पे सर रखकर, अपना हाल सुनाकर देखो!"


.........."शुभ-दिन"......चेतन रामकिशन "देव"...........

Tuesday, 8 May 2012

♥♥♥तुम्हारा प्यार..♥♥♥


♥♥♥♥♥♥तुम्हारा प्यार..♥♥♥♥♥♥

जब से मैंने प्यार तुम्हारा पाया है!
जीवन का हर क्षण देखो मुस्काया है!
अब राहों में मुझको चुभते शूल नहीं,
तुमने फूलों का जो जाल बिछाया है!

प्यार तुम्हारा सपनों का आधार बना!
प्यार तुम्हारा शब्दों का उद्गार बना!

प्यार तुम्हारी नई रोशनी लाया है!
जब से मैंने प्यार तुम्हारा पाया है.......

प्यार तुम्हारा मेरे कलम की शक्ति है!
प्यार तुम्हारा हर पीड़ा की मुक्ति है!
प्यार तुम्हारा रेशम जैसा कोमल है,
प्यार तुम्हारा पूजा, वंदन, भक्ति है!

प्यार तुम्हारा मेरा तो सत्कार बना!
प्यार तुम्हारा शब्दों का श्रंगार बना!

प्यार ने देखो मीठा गीत सुनाया है! !
जब से मैंने प्यार तुम्हारा पाया है!"


"
प्रेम जहाँ होता है, वहां प्रेम करने वाले एक दूसरे को ख़ुशी देने के इए जुटे रहते हैं! वे खुद की ख़ुशी से उस वक़्त जयादा ख़ुशी महसूस करते हैं, जब उनका प्रेम करने वाला द्वितीय पक्ष प्रसन्न होता है! प्रेम सकारत्मक दृष्टिकोण देता है!"

"रचना मेरी प्रेरणा को समर्पित"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-०८.०५.२०१२

Sunday, 6 May 2012

♥♥फूलों के पथ ♥


♥♥♥♥♥♥♥फूलों के पथ ♥♥♥♥♥♥♥

जीवन में फूलों के पथ भी आयेंगे,
आज मगर तुम काँटों से डरते क्यूँ हो!

ये सच है के मौत तो एक दिन आएगी,
पर जीवन में जीते जी मरते क्यूँ हो!

जो दुनिया नफरत की आँखों से देखे,
काम ज़माने में ऐसा करते क्यूँ हो!

नहीं सुकूं मिलता है ऐसी दौलत से,
लूट-पाट कर अपना घर भरते क्यूँ हो!"

..."शुभ-दिन"...चेतन रामकिशन "देव"...

Saturday, 5 May 2012

♥♥♥♥मेरी संगिनी..♥♥♥♥


♥♥♥♥मेरी संगिनी..♥♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥मेरी संगिनी..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मेरी ख़ामोशी में भी, मुझसे बोलती हो तुम!
जिंदगी में ख़ुशी का रंग, घोलती हो तुम!
मेरे चेहरे की थकन, पल में ही मिट जाती है,
घर का दरवाजा जब भी, हंसके खोलती हो तुम!"
.............चेतन रामकिशन "देव"..................

Friday, 4 May 2012

♥आत्मविश्वास.♥


♥♥♥♥♥♥♥♥आत्मविश्वास.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥

अँधेरा नष्ट कर आकाश में सूरज निकल आया!
उजाले की किरण से रोशनी का रंग खिल आया!

आशाओं से मन का तिमिर, अब दूर कर दें हम!
दिलों में पनपी नफरत को जरा बेनूर कर दें हम!

किया संघर्ष तो सूखे में भी, पानी निकल आया!
अँधेरा नष्ट कर आकाश में सूरज निकल आया!"

......."शुभ-दिन"....चेतन रामकिशन "देव"........

Thursday, 3 May 2012

♥♥सच का दीपक..♥♥♥♥♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥सच का दीपक..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥

गमों के खौफ से डरकर, कभी भयभीत न होना!
तुम अपनी जिंदगी से प्यार का संगीत न खोना!

जो सच के साथ रहते हैं, उन्ही का नाम होता है!
उन्ही का नाम हर इतिहास में अभिराम होता है!

जो चाहते हो सुकूं तो, झूठ के मनमीत न होना!
गमों के खौफ से डरकर, कभी भयभीत न होना!"

....."शुभ-दिन".......चेतन रामकिशन "देव".....

अभिराम-सुन्दर

Wednesday, 2 May 2012

♥नारी( अनमोल चरित्र)♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥नारी( अनमोल चरित्र)♥♥♥♥♥♥♥

नहीं उपभोग की वस्तु, न नारी दास होती है!
हर एक रिश्ते में नारी, प्रेम का आभास होती है!
हमारे दुःख में देती साथ वो हमदर्द बनकर के,
सदा ही चन्द्र किरणों का धवल प्रकाश होती है!

यदि नारी नहीं होती तो, सब कुछ विषम होता!
नहीं सहयोगिता होती, नहीं जीवन सुगम होता!

है नारी हर्ष की रूपक, सुखद उल्लास होती है!
नहीं उपभोग की वस्तु, न नारी दास होती है......

हर सम्बन्ध में कर्तव्य का पालन वो करती है!
पुरुष की जिंदगी में प्यार का हर रंग भरती है!
हमारी मुश्किलों में भी, हमे सहयोग देती है,
हमे वो भूल से भी दुःख तड़प देने से डरती है!

बिना नारी के तो संतान का न जन्म संभव है!
बिना नारी के तो संसार की रचना असंभव है!

है नारी पुष्पों की माला, यही अधिवास होती है!
नहीं उपभोग की वस्तु, न नारी दास होती है......

न नारी धन की भूखी है, महज सम्मान चाहती है!
सरल व्यवहार चाहती है, वो स्वाभिमान चाहती है!
भले पूजन न तुम उसका करो, देवी के रूपों में,
पुरुष के जैसा समतापूर्ण, वो आह्वान चाहती है!

जहाँ नारी नहीं होती, वहां न हर्ष होता है!
बिना नारी पुरुष जीवन, नहीं उत्कर्ष होता है!

ये नारी सप्तरंगी किरणों का, आकाश होती है!
नहीं उपभोग की वस्तु, न नारी दास होती है!"

" नारी- संसार की रचना, कल्पना उसके बिना अधूरी है! नारी का अर्थ व्यापक है, वो उपभोग की वस्तु नहीं है, वो दास नहीं, वो धन और दौलत के अथाह भंडार नहीं चाहती, वो बस समता. स्वाभिमान और प्रेम चाहती है! तो आइये जरा चिंतन करें और नारी का सम्मान समता के साथ करें! "

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-०३.०५.२०१२

उक्त रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!
सर्वाधिकार सुरक्षित!










Tuesday, 1 May 2012

♥♥♥♥♥♥प्यार का फीका रंग..♥♥♥♥♥♥♥♥


♥♥♥♥♥♥प्यार का फीका रंग..♥♥♥♥♥♥♥♥

प्यार का रंग भी फीका सा पड़ गया अब तो,
न ही जूही है, नहीं चंपा, न चमेली है!

मेरी खुशियों पे भी ताला सा पड़ गया अब तो,
जिंदगी जिंदगी नहीं है अब पहेली है!

आज उसने भी मुझे देखा है हैरत से यूँ,
जबकि वो साथ पढ़ी और साथ खेली है!

जिंदगी से मुझे हर लम्हा ही मिले आंसू,
ऐसा लगता है के बस मौत अब सहेली है!"

"
आज प्रेम के इस रूप को लिखने का मन हुआ,
प्रेम यदि हर्ष देता है तो पीड़ा भी!"

चेतन रामकिशन "देव"
 

♥♥♥♥♥♥♥♥शालीनता..♥♥♥♥♥♥♥♥♥

हमको थककर के कभी चूर नहीं होना है!
हमको मानवता से न दूर कभी होना है!


लोग जो याद करें हमको ऐसा बनना है,
हमको भूले से भी मगरूर नहीं होना है!


लोग जो तंज कसें हमपर लूटमारी का,
हमको इस तरह, मशहूर नहीं होना है!"


..."शुभ-दिन"...चेतन रामकिशन "देव"...

Sunday, 29 April 2012

♥♥♥♥♥♥♥♥मजहबी उन्माद..♥♥♥♥♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥मजहबी उन्माद..♥♥♥♥♥♥♥

रंगों को भेद न हो, मजहबी उन्माद न हो!
अपने हाथों से कभी दंगा और फसाद न हो!

एक जैसे ही हैं हम, सारे जहाँ के मानव,
सरहद के नाम पर, हिंसा कोई विवाद न हो!

जीवन भर के हम संगी-साथी, 
प्यार का रंग कभी बर्बाद न हो!

प्यार में जैसे भी हालात हों सह लेना पर,
भूल से कभी नफरत का घर आबाद न हो!

प्यार के रंग में हम "देव" डूब जायें बस,
हर्ष की मुरली बजे, दुख का शंखनाद न हो!"

..."शुभ-दिन"....चेतन रामकिशन "देव"...

Friday, 27 April 2012


♥♥♥♥♥माँ का प्यार..♥♥♥♥♥♥♥



मेरे सर पर तुम्हारा हाथ और संग में दुआयें हैं!


ख़ुशी की रोशनी रोशन, बहुत महकी हवायें हैं!


मेरी माँ आपके इस प्यार का, आभार कैसे दूँ!


हैं सागर सी सरीखी माँ तो मैं जलधार कैसे दूँ!


मेरे जीवन में माँ ने हर्ष के, दीपक जलायें हैं!


मेरे सर पर तुम्हारा हाथ और संग में दुआयें हैं!"




मेरी माँ प्रेमलता जी को समर्पित पंक्तियाँ!


......"शुभ-दिन"....चेतन रामकिशन "देव"......



Thursday, 26 April 2012


♥♥♥♥♥♥ज़िन्दगी के मायने.♥♥♥♥♥♥♥♥♥

किसी के दिल को करार दे दो, किसी के दिल को दुलार दे दो!
किसी की आँखों के अश्क पीकर, ख़ुशी की मीठी फुहार दे दो!
किसी को तालीमी नूर दे दो, किसी के मन को निखार दे दो!
पड़े किसी को अगर जरुरत, तो जिंदगी भी उधार दे दो!

........"शुभ-दिन"..........चेतन रामकिशन "देव"...........

Wednesday, 25 April 2012

♥उल्फ़त के दीपक.


♥♥♥उल्फ़त के दीपक.♥♥♥

आओ उल्फ़त के दीपक जला दो जरा!
आओ तुम नफरतों को भुला दो जरा!

हाथ में हाथ लेकर, मोहब्बत के संग,
तुम दिलों को दिलों से, मिला दो जरा!

ख़ार नफरत के तो बस बहाते लहू,
तुम गुलाबों के उपवन खिला दो जरा!"

..."शुभ-दिन"..चेतन रामकिशन "देव"..

♥कलमकार....♥



♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥कलमकार....♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
कलम उठाकर लिखें चलो हम, सुन्दर-२ मनोभावों को!
कलम उठाकर लिखें चलो हम, सच्चाई के प्रभावों को!
कलमकार बनना है हमको, जात-धर्म से ऊपर उठकर,
कलम उठाकर लिखें चलो हम, गंगा जमुनी सद्भावों को!"
........"संध्या-प्रणाम"....चेतन रामकिशन "देव"..........


Tuesday, 24 April 2012

♥मन में उड़ान..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥मन में उड़ान..♥♥♥♥♥♥♥♥

उम्मीद के पंखों से, मन में उड़ान रखना!
तुम अपनी निगाहों में, आसमान रखना!

एक पल में नहीं बनता है इतिहास जहाँ में!
हर पल ही नहीं मिलता है उल्लास जहाँ में!
बातें बनाने भर से, कहाँ मिलती है विजय,
तुम्हें जो जीतना है तो करो, प्रयास जहाँ में!

तन से भले बूढ़े हो पर मन जवान रखना!
उम्मीद के पंखों से, मन में उड़ान रखना!"

..."शुभ-दिन"....चेतन रामकिशन "देव"...

Monday, 23 April 2012

♥हिंसा का प्रचलन..♥

♥♥♥♥♥♥♥हिंसा का प्रचलन..♥♥♥♥♥♥♥
गाँधी के मुल्क में भी, हिंसा का प्रचलन है!
आंसू किसी के देख के, होती नहीं दुखन है!
इस मुल्क में अब हो रही मजहब पे लड़ाई,
हर ओर देखो खून से रंजित हुआ अमन है!

गाँधी के नाम को भी, बर्बाद कर रहे हम!
आपस में लड़ रहे हैं, फसाद कर रहे हम!

भूमि है लाल खून से, सहमा हुआ गगन है!
गाँधी के मुल्क में भी, हिंसा का प्रचलन है....

अब खून की गंगा भी बहाने में डर नहीं है!
नफरत की दीवारें हैं, अब कोई घर नहीं हैं!
लड़ते हैं लोग आजकल छोटी सी बात पर,
उनके दिलों में नेह का, कोई असर नहीं है!

गाँधी की शांति को वो कमजोर बताते हैं!
इस देश के वो लोग जो हथियार उठाते हैं!

खिलते हुए गुलाब का, सूखा हुआ चमन है!
गाँधी के मुल्क में भी, हिंसा का प्रचलन है....

हिंसा से कभी रूह को आराम नहीं मिलता!
हिंसा से कभी दिल को ईनाम नहीं मिलता!
"देव" क्या पाओगे, हिंसा के पथ पे चलकर,
हिंसा के पथ पे कोई, भगवान नहीं मिलता!

हिंसा का पाठ जिंदगी, सुधार नहीं सकता!
हिंसा का रंग जिंदगी, निखार नहीं सकता!

न जाने शांति का, कब होना आगमन है!
गाँधी के मुल्क में भी, हिंसा का प्रचलन है!"


" महात्मा गाँधी का ये देश, हिंसा की आग में धधक रहा है! हिंसा कभी मजहब की तो कभी किसी के हकों को लूटने की! किन्तु अशांति पैदा करके आप तन का, धन का और दुरित भावना का उल्लास तो ले सकते हैं, पर रूह और ह्रदय का सुकूं नहीं! तो आइये चिंतन करें!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-२४.४.२०१२

सर्वाधिकार सुरक्षित!
ये रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!

Sunday, 22 April 2012

♥मधुर व्यवहार.♥


♥♥♥♥♥♥♥मधुर व्यवहार.♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सुन्दर ही सोच रखना, ऊँचे विचार रखना!
छोटी सी जिंदगी है उत्तम व्यवहार रखना

कागज़ के नोट से न मिलता सकूं जहाँ में
सदभाव, शान्ति से, मन में सुधार रखना!

नफरत सदा सिखाती आपस में बैर रखना !
हर इक के वास्ते तुम, ह्रदय में प्यार रखना

सुन्दर ही सोच रखना, ऊँचे विचार रखना!"

रचना संपादन-
माँ प्रेमलता जी

...."शुभ-दिन"...चेतन रामकिशन "देव"....


Saturday, 21 April 2012

♥अंगारों की राह...♥



♥♥♥♥♥♥अंगारों की राह...♥♥♥♥♥♥♥
अंगारों की राह पे चलना सीख लिया!
मैंने भी दीपक सा जलना सीख लिया!

हार-जीत में रहता हूँ, मैं एक जैसा,
मैंने आबो-हवा में ढलना सीख लिया!

अब मेरी पहचान भी नफरत भूल गई,
मैंने नफरत को भी छलना सीख लिया!"

.."शुभ-दिन".चेतन रामकिशन "देव"....


Wednesday, 18 April 2012

♥बेरोजगार युवा...♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥बेरोजगार युवा...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
पढ़-लिखकर भी युवा देश का, रोजगार को भटक रहा है!
उनका पेट है भूख से खाली, आंख से आंसू छिटक रहा है!

लेकिन देश की सरकारों को, उनकी कोई फ़िक्र नही है!
युवा की खातिर रोजगार का, करता कोई जिक्र नहीं है!

युवा वर्ग कुंठित होकर, देखो फांसी पर लटक रहा है!
पढ़-लिखकर भी युवा देश का, रोजगार को भटक रहा है!"
.................चेतन रामकिशन "देव"........................
दिनांक--१८.०४.२०१२

Tuesday, 17 April 2012

♥सुन्दर सितार..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥सुन्दर सितार..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
हमारे दिल का सुकून हो तुम, हमारे दिल का करार हो तुम!
हमारे जीवन की चांदनी हो, हमारे मन का निखार हो तुम!
तुम्हारी चाहत में मेरे हमदम, खुशी हवा में घुली-मिली है,
तुम्हारी बोली बड़ी ही प्यारी के जैसे झंकृत सितार हो तुम!"
......................चेतन रामकिशन "देव"......................

Friday, 13 April 2012

♥♥बाबा साहब..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥बाबा साहब..♥♥♥♥♥♥♥♥
तुम अपने अधिकार सीखिए बाबा से!
शिक्षा का विस्तार सीखिए बाबा से!
शोषण के सम्मुख बाबा न झुके कभी,
शक्ति का उद्गार सीखिए बाबा से!

बिन संघर्ष के नहीं विजेता बन सकते!
बिना संगठन दुश्मन पे न तन सकते!

शोषण पर प्रहार सीखिए बाबा से!
तुम अपने अधिकार सीखिए बाबा से.....

घोर अभावों में रहकर भी नाम किया!
युगों-२ तक याद रहे वो काम किया!
बाबा साहब नमन आपको करते हैं,
आपने शोषित वर्गों का उत्थान किया!

हमें बाबा के पदचिन्हों पर चलना होगा!
तिमिर में भी दीपक जैसे जलना होगा!

जीवन का आधार सीखिए बाबा से!
तुम अपने अधिकार सीखिए बाबा से!"


बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी के जन्म-दिवस पर हार्दिक बधाई और आह्वान की जाति-धर्म से ऊपर उठकर
ज्ञान पुरुष के पदचिन्हों पर चलकर शिक्षा, संघर्ष और संगठन को उन्नत करें!

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-१४.०४.२०१२




Wednesday, 11 April 2012

♥माँ के दर्शन..♥


♥♥♥♥माँ के दर्शन..♥♥♥♥
सुन्दर भोर में माँ के दर्शन,
जब भी हमको मिल जाते हैं!

रात रात भर मुरझाए से,
फूल भी क्षण में खिल जाते हैं!

इस दुनिया माँ के सम्मुख,
कुछ लिखने को शब्द नहीं है!

इस दुनिया में माँ के जैसी,
कोई छवि उपलब्ध नहीं है!

माँ के प्यार से वायु में भी,
अणु ख़ुशी के घुल जाते हैं!

सुन्दर भोर में माँ के दर्शन,
जब भी हमको मिल जाते हैं!"

........"शुभ-दिन"............

माँ को प्रणाम

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-१२.०४.२०१२


♥कौमी एकता..♥♥


♥♥♥♥कौमी एकता..♥♥♥♥
उम्मीदों को पंख लगाने आया हूँ!
सरहद की दीवार गिराने आया हूँ!

हिन्दू-मुस्लिम से प्यारे होते इन्सां,
मैं मजहब की आग बुझाने आया हूँ!

मुल्कों की जागीर नहीं हैं रास मुझे,
मैं चाहत का जहाँ वसाने आया हूँ!

नहीं चाहिए मुझको बम, बारूद कोई,
मैं फूलों की खेप बिछाने आया हूँ!

"देव" ये सच है मैं हूँ एक पंछी लेकिन,
मानवता का पाठ पढ़ाने आया हूँ!"

........चेतन रामकिशन "देव"..........
दिनांक--११.०४.२०१२