Saturday, 5 October 2013

♥♥ये मौत भी देखो....♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥ये मौत भी देखो....♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
ये मौत भी देखो है क्रूर कितनी, नहीं चीख सुनती, नहीं दर्द जाने!
नहीं रोते मुखड़ों से इसको मोहब्बत, और ये बिछड़ने की पीड़ा न जाने!
नहीं देखो मिन्नत सुने ये किसी की, नहीं देखो कोई निवेदन भी माने!
जड़ों को यहाँ दर्द होता है कितना, ये पौधे उखड़ने की पीड़ा न जाने!

मगर मौत सच है, ये आएगी निश्चित, नहीं मौत से हम यहाँ बच सकेंगे!
जब पूरी होंगी ये सांसें हमारी, नहीं सांस हाथों से हम रच सकेंगे!

ये मौत देखो चलाती है अपनी, नहीं तंज सुनती, नहीं सुनती ताने!
ये मौत भी देखो है क्रूर कितनी, नहीं चीख सुनती, नहीं दर्द जाने!

नहीं तन पे करना अभिमान लेकिन, मगर जीते जी खुद को मुर्दा न मानो!
जियो आखिरी सांस तक तुम यहाँ पर, के तुम खुद के जीवन के मतलब जानो!
सुनो "देव" सपने नहीं तोड़ना तुम, के आँखों में सपने सजाकर के रखना!
जो मरकर भी तुमको करे याद दुनिया, मोहब्बत की दुनिया वसाकर के रखना!

नहीं मौत से डर के जीना है तुमको, यहाँ मौत सच है, यही जानना है!
के हम सब हैं मिट्टी के पुतले यहाँ पर, यही सोचना है, यही मानना है!

बनो जीते जी कुछ यहाँ जिंदगी में, जो मरकर भी दुनिया तेरा नाम जाने!
ये मौत भी देखो है क्रूर कितनी, नहीं चीख सुनती, नहीं दर्द जाने!"

….......................चेतन रामकिशन "देव"………...................
दिनांक-०५.१०.२०१३

Friday, 4 October 2013

♥♥लिख रहा हूँ ग़ज़ल....♥♥

♥♥♥♥♥लिख रहा हूँ ग़ज़ल....♥♥♥♥♥♥♥
लिख रहा हूँ ग़ज़ल, फिर तेरी नाम की मैं,
के तुझ बिन तो दिल का गुजारा नहीं है!

के होने को तो सारी, दुनिया है लेकिन,
मगर बिन तुम्हारे सहारा नहीं है!

तेरी याद में धोया, अश्कों से चेहरा,
इसे धूप मलकर निखारा नहीं है!

प्यार देखो के चखकर, शहद की तरह है,
ये देखो समुन्दर सा, खारा नहीं है!

मैं तुझसे नजर से, के चुराऊं भी कैसे,
के तू चाँद है, कोई तारा नहीं है!

बिन तेरे देखो उतरा है, ये मेरा चेहरा,
के मुझको किसी दुख ने मारा नहीं है!

"देव" आ जाओ तुम, अब सुनो दर्द मेरा,
यूँ दिल से किसी को, पुकारा नहीं है!"

….....चेतन रामकिशन "देव"….
दिनांक-०४.१०.२०१३

Thursday, 3 October 2013

♥मेरे एहसास की दुआ....♥

♥♥♥♥♥♥♥♥मेरे एहसास की दुआ....♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मेरे एहसास की दुआओं में, नाम तेरा है, सिर्फ तेरा है!
तेरा ये साथ रोशनी की तरह, बिन तेरे हर तरफ अँधेरा है!
तुमसे मिलने की हसरतों में सनम, देखो दिल बेकरार मेरा है,
देखकर तुझको ऐसा लगता है, चांदनी में भी रूप तेरा है!

तू घुटन में हवा के जैसा असर करती है!
दर्द में तू दवा के जैसा असर करती है!

तेरी यादों से रंग ख्वाबों का, बड़ा दिलकश, बड़ा सुनहरा है!
मेरे एहसास की दुआओं में, नाम तेरा है, सिर्फ तेरा है….


तेरी चाहत, तेरी हसरत, तेरी उम्मीद रखूं!
प्यार के रंग से तेरा, मैं दिल पे नाम लिखूं!
मैं सुबह उठकर तेरी सूरत का दीदार करूँ!
मैं तुझे प्यार, बहुत प्यार, बहुत प्यार करूँ!

तेरी सीरत बड़ी उजली है, तेरी सूरत हमें लुभाती है!
बिन तेरे दिन में चैन मिलता नहीं, बिन तेरे नींद नहीं आती है!

तेरी जुल्फों में शाम है हमदम, तेरी सूरत में सवेरा है!
मेरे एहसास की दुआओं में, नाम तेरा है, सिर्फ तेरा है…….

आ चलो दूर कहीं बैठकर के बात करें!
चलो जीवन में हंसी प्यार की बरसात करें!
"देव" तुमसे ही मेरी जिंदगी में नूर खिला!
"देव" तुमसे ही अंधेरों में, नया दीप जला!

तुम मेरे हाथ में यूँ हाथ लेके चलती रहो!
मैं संभालूँगा तुम्हें, प्यार में फिसलती रहो!

शाख पे फूटने लगीं कोंपल, जब तूने किया वसेरा है!
मेरे एहसास की दुआओं में, नाम तेरा है, सिर्फ तेरा है!"

................चेतन रामकिशन "देव".........................
दिनांक-०३.१०.२०१३

Wednesday, 2 October 2013

♥झूठ का लिबास....♥

♥♥झूठ का लिबास....♥♥♥
जिंदगी से निराश न होना!
मेरे यारों उदास न होना!

साथ रहना सदा ही सच के तुम,
झूठ का तुम लिबास न होना!

जो किसी के बिना न जी पाओ,
दर्द के इतने पास न होना!

जीत जाओ तो गुरुर करो,
हार कर बदहवास न होना!

दिल के जज्बात को न समझें जो,
ऐसे लोगों के दास न होना!

आखिरी सांस तलक जंग करो,
जीते जी जिंदा लाश न होना!

"देव" मुफलिस के भी सुनो आंसू,
बस अमीरों के ख़ास न होना!"

....चेतन रामकिशन "देव"....
दिनांक-०३.१०.२०१३

Monday, 30 September 2013

♥♥♥बड़ी मुश्किल से...♥♥♥♥

♥♥♥बड़ी मुश्किल से...♥♥♥♥
बड़ी मुश्किल से सांस आती है!
जिंदगी इस कदर सताती है!

जाने सूरज को क्या शिकायत है,
रौशनी घर से लौट जाती है!

आसमां में सितारे देखूं तो,
बिछड़े लोगों की याद आती है!

तेरे खत आज तक संभाले हैं,
उनकी खुशबू हमें लुभाती है!

तेरी तस्वीर से करूँ बातें,
आज कल नींद नहीं आती है!

दर्द के गहरे इस अँधेरे में,
न ही दीया है, नहीं बाती है!

"देव" अपनों के ये बड़ी दुनिया,
देखो अपनों का घर जलाती है!"

……चेतन रामकिशन "देव"…।
दिनांक-३०.०९.२०१३

Sunday, 29 September 2013

♥प्यार का इम्तहान..

♥♥प्यार का इम्तहान...♥♥
प्यार में इम्तहान दे देंगे!
मांग लो तुमको जान दे देंगे!

तेरे आंगन की छाँव की खातिर,
प्यार का आसमान दे देंगे!

आखिरी सांस तक निभाएंगे,
हम तुझे जो जुबान दे देंगे!

पास आ हम तुझे निशानी में,
अपने दिल का जहान दे देंगे!

तुझको हम भाव में वसाकर के,
अपने लफ्जों की शान दे देंगे!

प्यार में दिल न तोड़ देना तू,
लोग संगदिल का नाम दे देंगे!

"देव" तुम हमसे दूर न जाना,
हम जुदाई में जान दे देंगे!"

..चेतन रामकिशन "देव"..
दिनांक-२९.०९.२०१३

♥♥विस्फोटक..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥विस्फोटक..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
जब अपनों की नीति देखो, द्वेष राग पर आधारित हो!
प्रेम के बदले जीवनपथ पर, विरह भाव जब संचारित हो!
जब नयनों का नीर देखकर, अपना सम्बन्धी सो जाये,
रूपये, पैसे और दौलत से, जब अपनायत निर्धारित हो!

जब मिथ्या आरोप लगाकर, दुनिया निंदा प्रेषित करती!
जब दुनिया अपने ही सुख का, आलेखन आरेखित करती!
उस अवधि में कोमलता भी, विस्फोटक बनना चाहती है,
जब ये दुनिया निर्दोषों को, दंड भाव संप्रेषित करती!

अंतर्मन का करुण निवेदन, अपने जब जब ठुकराते हैं!
तब मानव की मनोदशा पर, कुंठित छाले खिल जाते हैं!
"देव" यहाँ पर वो अपनायत, कहाँ भला है किसी काम की,
जब अपनों के हाथों देखो, अपनों के घर जल जाते हैं!

इतनी सारी पीड़ा लेकर, लोग यहाँ पर जीते तो हैं!
वे अपनों हाथों से अपने, घाव यहाँ पर सीते तो हों!
लेकिन काश यदि वो अपने, अपनायत का सार समझते!
तो दुनिया से अपनायत के, दीपक देखो कभी न बुझते!

जो अपनों को दण्डित करके, सुखी भाव से मुस्काते हैं!
उन लोगों के जीवन में भी, दुःख के गहरे दिन आते हैं!
जब अपनों के मुख से केवल, द्वेष भावना प्रचारित हो!
जब अपनों की नीति देखो, द्वेष राग पर आधारित हो!

तब तक देखो इस दुनिया से, ये विस्फोटक  बह नहीं सकता!
जब तक मानव अपनायत के संग, दुनिया में रह नहीं सकता!"

........................चेतन रामकिशन "देव"...............................
दिनांक-२९.०९.२०१३

Friday, 27 September 2013

♥♥पुष्पों का अर्पण..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥पुष्पों का अर्पण..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
पुष्पों का अर्पण करता हूँ, वीर भगत सिंह तेरे चित्र पर,
सही अर्थ में तुम ही देखो, इन पुष्पों के अधिकारी हो!

तुमने अपने रक्त से सींचा, इस भारत की इस धरती को,
तुम हर क्षण ही नमन योग्य हो, तुम वंदन के अधिकारी हो!

आज देश के देह जल रही, लोगों ने फिर तुझे पुकारा!
तू ही आकर बो सकता है, आज़ादी का अंकुर प्यारा!
आज देश के भीतर दुश्मन, अंग्रेजों से पनप रहे हैं,
आकर उनका वध करना है, झुलस रहा है भारत सारा!

तुमने जुल्म की बेड़ी काटी, अपना लहू बहाकर के भी!
तुमने सबको दिया उजाला, खुद को यहाँ जलाकर के भी!
"भगत" तुम्हारे कद के आगे, "देव" भला ये क्या लिख पाए,
एक आह भी नहीं निकली, तुमने प्राण लुटाकर के भी!

तुम रहते हो स्मृति में, तुम प्यारे और मनोहारी हो,
सही अर्थ में तुम ही देखो, इन पुष्पों के अधिकारी हो!"

(आजादी के महानायक वीर भगत सिंह को नमन)

...................चेतन रामकिशन "देव"...................
दिनांक-२८.०९.२०१३ —

♥♥रेशम जैसी रात..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥रेशम जैसी रात..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सपनों में मिलने आ जाना, प्यार की मीठी बात करेंगे!
फूलों जैसी रंग बिरंगी, रेशम जैसी रात करेंगे!
हम दोनों को साथ देखकर, चाँद भी देखो पुलकित होगा,
और गगन के तारे हमपर, खुशियों की बरसात करेंगे! 

दुनिया सारी सो जाएगी, हाल तू अपना बतला देना!
और प्यार के ढाई अक्षर, सखी मुझे तू सिखला देना!

एक दूजे का हाथ थामकर, हर मुश्किल को मात करेंगे! 
सपनों में मिलने आ जाना, प्यार की मीठी बात करेंगे…।

मुझे देखकर गजलें पढना, मुझे देखकर गीत सुनाना!
मुझे देखना जी भरकर के, नजरें अपनी नहीं चुराना!
"देव" अगर जो नींद का झोंका, आपकी आँखों से टकराए,
तो मेरे पहलु में आकर, चुपके चुपके तुम सो जाना!

सखी तुम्हारे चंहुओर हम, मखमल की सौगात करेंगे!
सपनों में मिलने आ जाना, प्यार की मीठी बात करेंगे!"

....................चेतन रामकिशन "देव"......................
दिनांक-२८.०९.२०१३ 

Thursday, 26 September 2013

♥♥भावों का जल..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥भावों का जल..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
भावों का जल सूख रहा है, अब आँखों में नमी नहीं है!
दर्द मिला है इतना सारा, अब खुशियों की कमी नहीं है!
नहीं पता के गमों का सागर, कितना गहरा, कितना व्यापक,
एक अरसे से चाल गमों की, देखो बिल्कुल थमी नहीं है!

लेकिन फिर भी आशाओं की, मिटटी से घर बना रहा हूँ!
अपने मन को अनुभूति की, कोमल सरगम सुना रहा हूँ!
कुछ सपने हाथों में लेकर, पाल रहा हूँ बड़े जतन से,
मैं दिल के टूटे हिस्सों को, फिर जुड़ने को मना रहा हूँ!

साँसों की गर्मी है किन्तु, हिम पीड़ा की जमी नहीं है!
भावों का जल सूख रहा है, अब आँखों में नमी नहीं है.....

नहीं वेदना सुनती दुनिया, लेकिन फिर भी जीना तो है!
विष की तरह अपने आंसू, हर्षित होकर पीना तो है!
"देव" हमेशा मौत से डरकर, नहीं मांद में हम छुप सकते,
हमको अपने हाथों से ही, घाव गमों का सीना तो है!

दर्द से जड़वत हुआ बदन पर, उम्मीदों की कमी नहीं है!
भावों का जल सूख रहा है, अब आँखों में नमी नहीं है!"

....................चेतन रामकिशन "देव".....................
दिनांक-२७.०९.२०१३

Wednesday, 25 September 2013

♥♥जब भी मिलने..♥♥


♥♥♥♥♥जब भी मिलने..♥♥♥♥♥♥
जब भी मिलने मेरे घर आया करो!
चांदनी बनके बिखर जाया करो!

प्यार की रात, खत्म न हो कभी,
रात का वो वजूद लाया करो!

तेरी आँखों में, डूबना भाये,
मुझसे नजरें नहीं चुराया करो!

जिस्म तो खाक में मिल जायेगा,
रूह में मेरी तुम, समाया करो!

काट लेंगे के सफर, काँटों का,
मेरे संग संग कदम, बढाया करो!

न जुदाई, न आंसुओं की तड़प,
गीत खुशियों के, सिर्फ गाया करो!

"देव" तुम बिन नहीं वजूद मेरा,
छोड़के मुझको नहीं जाया करो!"

....चेतन रामकिशन "देव".....
दिनांक-२५.०९.२०१३

Tuesday, 24 September 2013

♥♥बेघर..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥बेघर..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
करोड़ों हाथ खाली हैं, करोड़ों लोग बेघर हैं!
भला कैसे कहें हम, देश के हालात बेहतर हैं!
बड़ा मायूस है निर्धन, कोई सुनता नहीं उसकी,
यहाँ तो उसके हिस्से में, महज आंसू के जेवर हैं!

खुले आकाश में भूखे पड़े, न नींद आती है!
यहाँ नेता, नहीं अफसर कोई, निर्धन का साथी है!

यहाँ देखो सभी रहजन, नहीं दिखते के रहबर हैं!
करोड़ों हाथ खाली हैं, करोड़ों लोग बेघर हैं….

यहाँ बेकारी है इतनी, युवाओं में हताशा है!
नहीं उम्मीद बाकी है, बड़ी ही क्षीण आशा है!
यहाँ निर्धन दवाओं के बिना, मर जाते हैं पल में,
भरा निर्धन के जीवन, गमों का बस कुहासा है!

कभी रुखी, कभी सूखी ही, रोटी से गुजारा है!
बहे निर्धन की आँखों से, यहाँ आंसू की धारा है!

यहाँ निर्धन की राहों में, के कांटे हैं, के नश्तर हैं!
करोड़ों हाथ खाली हैं, करोड़ों लोग बेघर हैं...

यहाँ निर्धन के चेहरे पर, हताशा है, उदासी है!
नहीं निर्धन के जीवन में, खुशी देखो जरा सी है!
सुनो तुम "देव" क्यूँ निर्धन से, ऐसे पेश आते हो,
ये निर्धन भी तो अपना है, इसी धरती का वासी है!

नहीं मालूम के निर्धन के, ये हालात कब तक हों!
नहीं मालूम उसके दुख भरे, दिन रात कब तक हों!

यहाँ निर्धन अँधेरे में, वहां खुशियों के अवसर हैं!
करोड़ों हाथ खाली हैं, करोड़ों लोग बेघर हैं!"


"
निर्धन, इस शब्द का बोध मन को होते ही एक तस्वीर सामने आती है, जो तस्वीर फटे पुराने चिथड़ों में रुखी सूखी खाकर जीने की मार सहती है! अगर वो निर्धन है तो ये उसका अपराध नहीं है, देश के शासक वर्ग का ये दायित्व है कि, वो अपनी अच्छी नीतियों के द्वारा देशवासियों को उनकी मौलिक आवश्यकतायें दे, तो आइये चिंतन करें!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-२५.०९.२०१३

"
सर्वाधिकार सुरक्षित"
मेरी ये रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित"

Monday, 23 September 2013

♥♥कागजी फूल..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥कागजी फूल..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
कागजी फूलों से खुश्बू की, आस क्या रखनी!
सूखती झील से पानी की, प्यास क्या रखनी!
दर्द में भी हमें रहना है, बनके जिंदादिल,
दर्द को देखके सूरत, उदास क्या रखनी!

लोग मेहनत से यहाँ जब भी काम करते हैं!
हार का देखो वो किस्सा, तमाम करते हैं!

सोच नाकामी की जीवन के, पास क्या रखनी!
कागजी फूलों से खुश्बू की, आस क्या रखनी!

लूटकर घर न किसी का, कभी दौलत जोड़ो!
भूलकर भी न कभी, सच का साथ तुम छोड़ो!
"देव" जीवन में नहीं, टूटे दिल जुड़ा करते,
अपने हाथों से कभी, तुम न कोई दिल तोड़ो!

सारी दुनिया को यहाँ, प्यार तुम सिखाते रहो!
अपने दिल से चलो, नफरत को तुम मिटाते रहो!

सोच नफरत की भला, दिल के पास क्या रखनी!
कागजी फूलों से खुश्बू की, आस क्या रखनी!"

..............चेतन रामकिशन "देव"..............
दिनांक-२३.०९.२०१३

Friday, 20 September 2013

♥ग़मों की नदी..♥

♥♥♥♥♥♥♥♥ग़मों की नदी..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
डूब गया पुल संबंधों का, नदी ग़मों की उफन गयी है!
फूलों की हसरत थी लेकिन, काँटों जैसी चुभन हुयी है!
आँखों से अश्कों की बूंदें, गिरती हैं बारिश के जैसी,
हुयी सांस भी भारी भारी, दिल में इतनी दुखन हुयी है!

झूठमूठ की हंसी को हंसकर, मैं पीड़ा को कम करता हूँ!
अपने आंसू पी पीकर ही, मैं अधरों को नम करता हूँ!

चंदन भूल गया शीतलता, अब उसमें भी अगन हुयी है!
डूब गया पुल संबंधों का, नदी ग़मों की उफन गयी है....

दिल के सब जज्बात मिट गए, सपने सारे बिखर गए हैं!
मिट गयी खुशियों की हर रेखा, दुख के बिंदु उभर गए हैं!
"देव" गिला अब किससे करना, तकदीरों की रंजिश है ये,
अश्कों से मुंह मांज मांज कर, हम भी देखो निखर गए हैं!

करो निवेदन चाहें कितना, दुनिया लेकिन मूक बधिर है!
नहीं पसीजे "देव" यहाँ वो, मेरा कितना बहा रुधिर है!

आज न जाने क्यूँ मानवता, इस तरह से दफ़न हुयी है!
डूब गया पुल संबंधों का, नदी ग़मों की उफन गयी है!"

......................चेतन रामकिशन "देव"..................
दिनांक-२०.०९.२०१३

Saturday, 14 September 2013

♥मूल पथों से छिटकी कविता ♥

♥मूल पथों से छिटकी कविता ♥
************************
मूल पथों से छिटकी कविता!
दर्पण जैसी चटकी कविता!
कभी भास्कर सी उजली थी,
आज तिमिर में भटकी कविता!

ये कविता की कमी नहीं है,
आज भाव ही सुप्त हो रहे!

आज काव्य से दिशा ज्ञान के,
भाव सभी वो लुप्त हो रहे!

जो कविता के मापदंड को,
कभी नहीं पूरित करते हों,

आज वो सारे तत्व देखिये,
कविता में प्रयुक्त हो रहे!

अभिव्यक्ति पे हुआ है हमला,
द्वेष राग में, अटकी कविता!
कभी भास्कर सी उजली थी,
आज तिमिर में भटकी कविता!

काव्य आत्मा की ज्योति है,
इसे लक्ष्य से दूर न करना!

ममता पूरित काव्य नदी को,
अभिमान से चूर न करना!

"देव" कभी तुम कलम पे अपने,
मिथ्या का श्रंगार न करना!

मानवता को प्रेम सिखाना,
हिंसा का प्रचार न करना!

आज मानवीय संदर्भों के,
अनुकरण से भटकी कविता!
कभी भास्कर सी उजली थी,
आज तिमिर में भटकी कविता!"

......चेतन रामकिशन "देव"......
दिनांक-१५.०९.२०१३

♥♥तुम यदि हो...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥तुम यदि हो...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तुम सुगन्धित फूल जैसी, तुम समर्पित एक नदी हो!
अब मैं तुमसे क्या छुपाऊं, तुम हमारी जिंदगी हो!
मैंने जाना है तेरे संग, प्रेम का क्या अर्थ होता,
मुझको धरती पे दिखे रब, सामने जो तुम यदि हो!

प्रेम की प्रतीक हो तुम, प्रेम की तुम भावना हो!
प्रेम का सिंगर तुमसे, प्रेम की तुम साधना हो!

तुम हमारी आस्था हो, वंदना हो, बंदिगी हो!
तुम सुगन्धित फूल जैसी, तुम समर्पित एक नदी हो…

प्रेम उस नक्षत्र जैसा, जो बनाये जल को मोती!
प्रेम से पत्थर की पूजा, प्रेम से है हर मनौती!
"देव" तुमसे प्रेम का संवाद, मन को भा गया है!
प्रेम का सुन्दर उजाला, मेरे मन पर छा गया है!

प्रेम की सुन्दर छटा से, जिंदगी भी है मनोरम!
बारह मासों से मधुर है, प्रेम का रंगीन मौसम!

तुम न हिंसा, न ही रंजिश, और न कोई बदी हो!
तुम सुगन्धित फूल जैसी, तुम समर्पित एक नदी हो!"

....................चेतन रामकिशन "देव".....................
दिनांक-१४.०९.२०१३

Thursday, 12 September 2013

♥♥♥गुजरे पल....♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥गुजरे पल....♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
जोड़ के छोटी छोटी कड़ियाँ, प्यार का एक घर बना रहा था!
घर के आँगन के पौधों को, मैं अपनायत सिखा रहा था!
मगर वक़्त के तूफानों ने, सब कुछ तहस नहस कर डाला,
अभी तलक तो मैं सपनों को, सीढ़ी एक एक गिना रहा था!

नहीं पता था इस जीवन में, मंजर ऐसे भी आयेंगे!
नाम हथेली पे लिखे जो, वो लम्हों में मिट जायेंगे!
जो हमको अपना कहकर के, देते थे अपनायत हर पल,
वही लोग खंजर लेकर के, मुझको दुश्मन बतलायेंगे!

मैं अपनी रोती आँखों को, चुप चुप होना सिखा रहा था!
जोड़ के छोटी छोटी कड़ियाँ, प्यार का एक घर बना रहा था!

हाँ पर ऐसे द्रश्य देखकर, मुझे तजुर्बा बहुत मिला है!
टूटे फूटे गुलदस्ते में, सपनों का फिर फूल खिला है!
"देव" मेरे इस दर्द ने मुझको, मंत्र दिया फिर से जीने का,
इसीलिए आगे बढ़ने को, मैंने खुद का घाव सिला है!

फिर जीवन में आस जगी जब, मैं गुजरे पल भुला रहा था!
जोड़ के छोटी छोटी कड़ियाँ, प्यार का एक घर बना रहा था!"

................चेतन रामकिशन "देव".................
दिनांक-१३.०९.२०१३

Wednesday, 11 September 2013

♥♥जीवन का नियम.♥♥

♥♥♥जीवन का नियम.♥♥♥
कभी जहर तो कभी दवा है!
कभी घुटन तो कभी हवा है!

कभी दर्द तो कभी खुशी है,
कभी हैं आंसू, कभी हंसी है!

कभी हार तो कभी जीत है,
कभी है रंजिश, कभी प्रीत है!

कभी रिक्त है, कभी भरा है!
कभी है धुंधला, कभी खरा है!

कभी सुमन है, कभी खार है,
कभी दिलासा, कभी मार है!

कभी दंड है, कभी है मुक्ति!
कभी है उलझन, कभी है युक्ति!

कभी है कोमल, कभी चुभन है!
कभी है ज्वाला, कभी अमन है!

कभी सरल है, कभी विषम है!
इस जीवन का यही नियम है!

हंसकर चाहें,
रोकर चाहें,
इसी नियम पर चलते जाओ!

याद करेगी,
"देव" ये दुनिया,
दीपक बनकर जलते जाओ!"

…चेतन रामकिशन "देव"….
दिनांक-१२.०९.२०१३

Tuesday, 10 September 2013

♥♥एहसासों का रिश्ता....♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥एहसासों का रिश्ता....♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मन के दर्पण पर अंकित है, छवि तुम्हारी प्यारी प्यारी!
एहसासों का रिश्ता तुमसे, तुमसे दिल की नातेदारी!
अपनी छाया देकर के तुम, मन को शीतल कर देती हो,
सखी तेरे बिन सूनी लगती, मुझको तो ये दुनियादारी!

जब तुम हंसती मुस्काती हो, तो सरसों के फूल बरसते!
सखी तेरे दर्शन पाने को, हर पल मेरे नैन तरसते!
और जब दर्शन हो जाते हैं, तो मन पुलकित हो जाता है!
तेरी सोच में, तेरे ख्वाब में, मेरा ये दिल खो जाता है!

तुमको पाकर झूम रहा मैं, महक रही है ये फुलवारी!
मन के दर्पण पर अंकित है, छवि तुम्हारी प्यारी प्यारी…।

हर पीड़ा की दवा तुम्हीं हो, एहसासों की खान तुम्ही हो!
इस दुनिया में मेरे प्रेम की, एक सुन्दर पहचान तुम्ही हो!
"देव" तुम्हारी प्यारी सूरत, मेरी रूह में समा रही है!
प्यार बिना सब कुछ सूना है, मुझको वो ये बता रही है!

तुमको पाकर सूख गयी है, वो आंसू की नदिया खारी!
मन के दर्पण पर अंकित है, छवि तुम्हारी प्यारी प्यारी!"

.....................चेतन रामकिशन "देव"....................
दिनांक-१०.०९.२०१३

Monday, 9 September 2013

♥पीड़ा का विध्वंस.

♥♥♥♥♥♥♥♥पीड़ा का विध्वंस...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
भाव पक्ष अश्रु से भीगा, करुण पक्ष में मन रोया है!
जिसको बहुत निकट समझा था, वही भीड़ में क्यूँ खोया है!
अनुभूति की फसल पकेगी, कैसे अपने मन से कह दूँ,
मिटटी ने भी उगला उसको, मैंने जो अंकुर बोया है!

बहुत निवेदन किया था मैंने, और आस्था बतलाई थी!
और दशा इस पीड़ित मन की, मैंने उसको दिखलाई थी!
एक क्षण को भी उसने देखो, नीर नहीं सोखा आँखों से,
मैंने जिसकी अभिवादन में, सुख की दौलत ठुकराई थी!

तन की दशा हुयी जड़वत है, न जागा ये, न सोया है!
भाव पक्ष अश्रु से भीगा, करुण पक्ष में मन रोया है….

कभी भूल से भी न उसको, तनिक क्षति भी पहुंचाई थी!
जिसको मैंने सही गलत की, व्यापक नीति समझाई थी!
"देव" मगर उस अपने ने ही, मार दिया है अनुभूति को,
जिसको मैंने अपनी पीड़ा और व्याकुलता बतलाई थी!

नहीं मिला कोई भी अपना, स्वयं ही अपना शव ढ़ोया है!
भाव पक्ष अश्रु से भीगा, करुण पक्ष में मन रोया है!"

..................चेतन रामकिशन "देव"...................
दिनांक-०९.०९.२०१३

Sunday, 8 September 2013

♥♥♥तेरी मूरत....♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥तेरी मूरत....♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
दूर न जाना पल भर को भी, मेरे साथ सदा रहना है!
सखी पूजकर तेरी मूरत, तुझको अपना रब कहना है!
अपने मन के एहसासों में, वसा लिया है तुझको मैंने,
नहीं हमें विरह भावों का, दर्द यहाँ एक पल सहना है!

प्यार भरे ढाई अक्षर से, मन पे तेरा नाम लिखा है!
सखी तेरे पावन चिंतन को, मैंने अपना धाम लिखा है!

नहीं थमेगा प्यार ये अपना, हमको जल बनकर बहना है!
दूर न जाना पल भर को भी, मेरे साथ सदा रहना है…।

सखी प्यार की सुन्दर किरणें, पावन ज्योति के जैसी हैं!
बनें आत्मा का आभूषण, सुन्दर मोती के जैसी हैं!
जब से सखी हमारे मन पर, प्यार भरे बादल छाये हैं!
तब से देखो द्वेष, न इर्ष्या, कभी हमारे घर आये हैं!

सखी प्यार का हम दोनों को, जग में परचम लहराना है!
साथ बहायेंगे हम आंसू, साथ साथ में मुस्काना है!
"देव" कभी जब अपनी आयु, पूरी हो जाये जीवन की,
एक दूजे की खातिर हमको, नया जन्म फिर से पाना है!

सखी तुम्हारे आदर्शों से, मुझको सच को सच कहना है!
दूर न जाना पल भर को भी, मेरे साथ सदा रहना है!"

..................चेतन रामकिशन "देव".....................
दिनांक-०९.०९.२०१३

"
प्रेम-एक ऐसा शब्द, जिसमे अपनत्व का सागर छुपा है, प्रेम जिस सम्बन्ध के साथ भी हो, चाहें सखी के संग, चाहें समाज, चाहें परिवार, चाहें मानवता के संग, यदि वो समर्पण भावना से निहित है तो निश्चित रूप से गहरे आत्मिक सुख की अनुभूति देता है, तो आइये समर्पित भावों के साथ प्रेम का विस्तार करें!"

"सर्वाधिकार सुरक्षित"
"मेरी ये रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित"

Saturday, 7 September 2013

♥♥प्रेम का दीपक....♥♥

♥♥♥♥♥♥♥प्रेम का दीपक....♥♥♥♥♥♥♥♥♥
चित्त में तेरी छवि है, आत्मा में तू वसी है!
प्रेम का तू दिव्य दीपक, तू बड़ी सुन्दर सखी है!
हर घड़ी तेरा ये जीवन, हर्ष के पथ पे रहे बस,
तू ही आशा, तू ही उर्जा, और तुझसे हर खुशी है!

तुमसे शब्दों की तरंगे, तुमसे भावों की मधुरता!
जो न मिलता साथ तेरा, तो नहीं जीवन सुधरता!

मेरे हाथों में तुम्हारे, प्रेम की मेहंदी रची है!
चित्त में तेरी छवि है, आत्मा में तू वसी है…

तुम जहाँ हो खुश रहो बस, आंख को आंसू मिले न!
दर्द की तपती अगन से, ये तुम्हारा दिल जले न!
"देव" तुझको जिंदगी में, कोई उलझन न सताए,
कोई तुझको ठेस न दे, और तेरा दिल छले न!

तुम लगन हो, आस्था हो, रूह का नाता तुम्हीं से!
और व्याकुल मन को मेरे, चैन भी आता तुम्हीं से!

तुमसे पथ में हैं सुमन और तुमसे ही दुनिया सजी है!
चित्त में तेरी छवि है, आत्मा में तू वसी है!"

............चेतन रामकिशन "देव"............
दिनांक-०७.०९.२०१३

Friday, 6 September 2013

♥♥♥♥♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
दिल में हो दुख भले, चेहरे पे हंसी रख लेना,
कोई सुनता ही नहीं, दुख यहाँ ज़माने में,

बड़ी मुश्किल से यहाँ मिलती, जिंदगी देखो,
एक पल लगता है पर, जिंदगी गंवाने में!

नहीं मालूम है उसने, मुझे छोड़ा कैसे,
उम्र बीती मेरी जिस शख्स को, भुलाने में!

कैसे मुफ़लिस को बीमारी से, मिले छुटकारा,
दवा मिलती नहीं अश्कों से, दवाखाने में!

मेरे एहसास को आखिर वो समझता कैसे,
मेरे रिश्ते को लगा रस्म, जो बनाने में!

देखो उन लोगों के दिल भी, बड़े छोटे निकले,
नोट छपते हैं यहाँ, जिनके कारखाने में!

"देव" बेरंग जिंदगी है, मगर जीता हूँ,
अपनी तन्हाई के संग गुम हूँ, मुस्कुराने में!"

.............चेतन रामकिशन "देव"..............
दिनांक-०७.०९.२०१३

Thursday, 5 September 2013

♥♥जुगनू..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥जुगनू..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
वक़्त के साथ कोई दांव, नया चलते हैं!
हम वो जुगनू हैं जो, दीपक की तरह जलते हैं!

ये यकीं है मेरा, तुम इसको न गुरुर कहो,
हम तो गम सहके भी, फूलों की तरह खिलते हैं!

गैर तो गैर हैं, मैं उनसे क्या शिकवा रखूं,
लोग अपने भी, रकीबों की तरह मिलते हैं!

लोग आते हैं बहुत, देखने हुनर मेरा,
हम जो हाथों से अपने, ज़ख्म कभी सिलते हैं!

आदमी तो बहुत हैं "देव", मगर इन्सां कम,
बड़ी मुश्किल से यहाँ, नेक बशर मिलते हैं!"

...........चेतन रामकिशन "देव".............
दिनांक-०६.०९.२०१३

Tuesday, 3 September 2013

♥♥एहसास की खुश्बू ..♥♥

♥♥♥♥एहसास की खुश्बू ..♥♥♥♥♥♥♥
मेरे एहसास की खुश्बू में, समाई है तू!
मेरी पाकीजा इबादत की, कमाई है तू!

तुझसे मिलकर मेरी आँखों में खुशी दिखती है,
मेरी बेचैन कराहों की, दवाई है तू!

थामकर हाथ तेरा मुझको, मिली है राहत,
घिरे तूफान से, बाहर मुझे लाई है तू!

तुझसा कोई भी सखी, है नहीं ज़माने में,
देख कुदरत ने तसल्ली से, बनाई है तू!

"देव" एहसास तेरे, दिल से न जुदा होंगे,
मेरे लफ्जों में ग़ज़ल बनके, समाई है तू!"

..........चेतन रामकिशन "देव"..........
दिनांक-०३.०९.२०१३

Monday, 2 September 2013

♥♥♥हंसने का हुनर..♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥हंसने का हुनर..♥♥♥♥♥♥♥♥♥
गम में हंसने का हुनर, मेरे दिल ने पाया है!
दर्द ने मुझको भले, रोज ही सताया है!

आदमी आदमी का दर्द, समझता ही नहीं,
आदमी है या खुदा, तूने बुत बनाया है!

अपनी आँखों में जिसके ख्वाब, वसाये मैंने,
उसने शीशे की तरह, ख्वाब हर गिराया है!

ज़ख्म भी बख्शे मगर, उसको दुआ देता हूँ,
मेरे माँ बाप ने मुझको, यही सिखाया है!

"देव" है खुद पे यकीं, मंजिलों का पाने का,
आज बेशक ही महल, रेत का बनाया है!"

...........चेतन रामकिशन "देव"..........
दिनांक-०२.०९.२०१३

Sunday, 1 September 2013

♥♥एक गीत..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥एक गीत..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
रूठ जाऊं मैं अगर, मुझको मनाने आना!
चांदनी रात में एक, गीत सुनाने आने!

बिन तेरे चुभते हैं, काँटों मेरे पैरों में सखी,
मेरी राहों में जरा, फूल बिछाने आना!

मेरी सूरत को न दुनिया की नजर लग जाये,
मेरी मूरत को जरा दिल में, छुपाने आना!

तुमसे दूरी न सही जाये, एक पल को भी,
आखिरी सांस तलक प्यार, निभाने आना!

"देव" ये जिस्म तो नश्वर है, ये मिट जायेगा,
रूह में मेरी सखी, खुद को समाने आना!"

...........चेतन रामकिशन "देव"...........
दिनांक-०१.०९.२०१३

Saturday, 31 August 2013

♥♥मिट्टी का दीपक..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मिट्टी का दीपक..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
बेबस लोगों की पीड़ा को, इन लफ्जों में भरने निकला!
मिट्टी का दीपक होकर भी, नया उजाला करने निकला!
नहीं जरुरी संत का चोला, हर इन्सां को संत बनाये,
मैं अपने एहसास पूजकर, सुन्दर माला करने निकला!

जो मानवता की नीति से, दुनिया को अपना कहते हैं!
ऐसे लोग सदा लोगों की, रूहों में जिन्दा रहते हैं!

मैं अपने छोटे कदमों से, बड़ा सफर तय करने निकला!
बेबस लोगों की पीड़ा को, इन लफ्जों में भरने निकला।

भले ही घर आँगन छोटा हो, दिल को अपने बड़ा करो तुम!
सच कहने से न घबराना, गलत काम से डरा करो तुम!
"देव" नहीं छोटा होता है, कोई इंसां जात धर्म से,
हर इन्सां को मानव समझो, सोच को अपनी बड़ा करो तुम!

सही काम जो मेहनत का हो, नहीं कभी छोटा होता है!
जो रहता तकदीर भरोसे, वो इन्सां तो बस रोता है!

मैं मेहनत की आंच में तपकर, खुद को सुंदर करने निकला!
बेबस लोगों की पीड़ा को, इन लफ्जों में भरने निकला।"

.....................चेतन रामकिशन "देव"......................
दिनांक-०१-०९.२०१३

Friday, 30 August 2013

♥♥मेरे पास...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥मेरे पास...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
दूरियां खत्म करो, मेरे पास हो जाओ!
मेरी गजलों का सखी, तुम लिबास हो जाओ!
अपने चेहरे की हंसी, नाम तेरे कर दूंगा,
दर्द से तुम जो कभी, गर उदास हो जाओ!

तेरी जुल्फों के लिए, फूल मैं बन जाऊंगा!
थाम के हाथ तुझे, रास्ता दिखाऊंगा!
देखके मुझको तेरे, होठों पे हंसी आये,
देखके तुझको सखी, मैं भी मुस्कुराऊंगा! 

प्यार ये अपना सखी, हमको अमर करना है!
हर जनम में तुझे पाने का, जतन करना है!

मेरे एहसास में रब बनके, वास हो जाओ!
दूरियां खत्म करो, मेरे पास हो जाओ!"

..........चेतन रामकिशन "देव"............
दिनांक-३०.०८.२०१३

Thursday, 29 August 2013

♥♥थोड़ी सी जगह..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥थोड़ी सी जगह..♥♥♥♥♥♥♥♥
मेरी मासूम मोहब्बत को तुम पनाह दे दो!
अपने दिल में मुझे थोड़ी सी, तुम जगह दे दो!

मैंने तुमसे ही उम्मीदें, यहाँ लगाईं हैं,
जरा बुझते हुए चराग को, हवा दे दो!

भरी दुनिया में नहीं कोई भी हमदर्द मेरा,
बड़ी मुश्किल में हूँ मैं, थोड़ी सी दुआ दे दो!

मेरे हर दर्द को, उस रोज शिफा मिल जाये,
अपने एहसास की, गर थोड़ी सी दवा दे दो!

"देव" मेरा भी इबादत में, यकीं हो जाये,
जो अगर मुझको, मोहब्बत का तुम खुदा दे दो!"

.............चेतन रामकिशन "देव".............
दिनांक-३०.०८.२०१३

Wednesday, 28 August 2013

♥♥देखना चाहता है दिल...♥♥

♥♥♥♥♥♥देखना चाहता है दिल...♥♥♥♥♥♥♥
देखना चाहता है दिल, तुमको बार बार सखी!
तू ही एहसास मेरे दिल का है, करार सखी!
जिंदगी में नहीं खुशियों की, कमी है मेरी,
जब से बख्शा है मुझे तूने, अपना प्यार सखी!

सोचके तुझको मेरे दिल को, खुशी मिलती है!
मेरी अधरों को भी तुमसे ही, हंसी मिलती है!

मंद न करना कभी प्यार की रफ़्तार सखी!
देखना चाहता है दिल, तुमको बार बार सखी…

बांसुरी की भी धुनों में, तू समाई है सखी!
तूने ही सच की मुझे, राह दिखाई है सखी!
"देव" तकदीर मेरी, जो तुम्हारा प्यार मिला,
तेरी तस्वीर ही अब, दिल में लगाई है सखी!

मैं तेरे साथ में, अपने कदम बढ़ाऊंगा!
प्यार का दीप तेरे साथ, मैं जलाऊंगा!

हर घड़ी देना मुझे, अपना तू दीदार सखी!
देखना चाहता है दिल, तुमको बार बार सखी!"

..........चेतन रामकिशन "देव"..........
दिनांक-२८.०८.२०१३

Tuesday, 27 August 2013

♥राधिका बनके जरा..♥


♥♥♥♥♥राधिका बनके जरा..♥♥♥♥♥♥♥
राधिका बनके जरा जमुना किनारे आना,
प्यार के गीत सखी साथ साथ गायेंगे!

देखकर चाँद हमे रोशनी बिखेरेगा,   
और तारे भी हमें देखके, मुस्कायेंगे!

प्यार से दिल नहीं भरता है, इस जनम में सखी, 
हर जनम में के, तुझे अपना हम बनायेंगे!

तू मेरी राधिका बनकर के, साथ में रहना,
हम किशन बनके, तेरी रूह में समायेंगे!

राधिका तू जो कभी "देव" के घर आएगी,
खिलते फूलों से तेरी राह, हम सजायेंगे!"

..........चेतन रामकिशन "देव"............
दिनांक-२७.०८.२०१३

Sunday, 25 August 2013

♥काला बाजार..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥काला बाजार..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
देश के चारों स्तंभों को, अब मैं तो बाजार लिखूंगा!
मैं मुफलिस की आंख से गिरते, अश्कों की बौछार लिखूंगा!
न हिन्दू दुश्मन, न मुस्लिम, न ही सिख, इसाई कोई,
देश के गद्दारों की खातिर, झाँसी की तलवार लिखूंगा!

देश के भीतर छुपे हुए, दुश्मन को सब मिलकर के छांटो!
देश का दुश्मन तो दुश्मन है, हिन्दू मुस्लिम में क्यूँ बाँटो!

मातृभूमि के हित में अपने, लहू की मैं तो धार लिखूंगा!
देश के चारों स्तंभों को, अब मैं तो बाजार लिखूंगा………

लोग करोड़ों इस भारत के, दो रोटी की खातिर मरते!
और देश के खद्दरधारी, अरबों का घोटाला करते!
"देव" देश में निर्दोषों को, यहाँ सजा मिलती है लेकिन,
सड़कों पे औरत की इज्ज़त, गुंडे देखो छलनी करते!

देश के भीतर ही देखो तुम, नहीं सुरक्षित देश की नारी!
और देश के युवा वर्ग को, मार रही है ये बेकारी!

जिसको फिक्र नहीं लोगों की, क्या उसको सरकार लिखूंगा!
देश के चारों स्तंभों को, अब मैं तो बाजार लिखूंगा!"

.....................चेतन रामकिशन "देव"...................
दिनांक-२६.०८.२०१३

Saturday, 24 August 2013

♥ माँ( दुआओं का खजाना)...♥



♥♥♥♥♥ माँ( दुआओं का खजाना)...♥♥♥♥♥♥
दुआ माँ के खजाने से, कभी भी कम नहीं होती!
कभी माँ अपने बच्चों को, सुलाए बिन नहीं सोती!
ये दुनिया जो भी है यारों, बदौलत माँ की ही तो है,
नहीं मिलता जनम हमको, अगर जो माँ नहीं होती!

माँ श्रद्धा है, माँ वंदन है, है माँ ही आस्था देखो!
दिखाए माँ ही बच्चों को, ये सच का रास्ता देखो!

भले ही क्रोध में हो माँ, मगर ममता नहीं खोती!
दुआ माँ के खजाने से, कभी भी कम नहीं होती…

मैं अपनी जिंदगानी में परेशां, जब भी होता हूँ!
मैं माँ की गोद रखकर के अपने सर को रोता हूँ!
मेरी माँ हाथ जब अपने, मेरे सर पर फिराती है,
हर एक उलझन मेरी मिटती, खुशी की नींद आती है!

समर्पण माँ से ज्यादा कोई देखो, कर नहीं सकता!
दुआ देती है माँ जितनी, कोई वो कर नहीं सकता!

माँ अपने दिल में देखो, द्वेष के अंकुर नहीं बोती !
दुआ माँ के खजाने से, कभी भी कम नहीं होती…

वो जिनके दिल में माँ के वास्ते, सम्मान होता है!
दुआ से माँ की उनका, हर सफर आसान होता है!
सुनो तुम "देव" भूले से भी, माँ को अश्क न देना,
के माँ के देखकर आंसू, वहां भगवान रोता है!

माँ रचना है, माँ पालन है, माँ बच्चों की विधाता है!
के माँ को देखकर बच्चों की, सूरत चैन आता है!

नहीं मिलता से दौलत से, यहाँ माँ नाम का मोती!
दुआ माँ के खजाने से, कभी भी कम नहीं होती!"

"
माँ, दुनिया का सबसे उच्च मानवीय सम्बन्ध, जिसका कोई विकल्प नहीं!
ममता से भरा ह्रदय, जो बच्चों के लाख दिल दुखाने के बाद भी, अपने मुख से बच्चों के प्रति कभी कोई बद्दुआ नहीं निकलती, तो आइये धरती पर विधाता का प्रतिरूप लिए, माँ के इस चरित्र को नमन करें!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-२५.०८.२०१३

" मेरी माँ कमला देवी जी एवं प्रेमलता जी को समर्पित"

"
सर्वाधिकार सुरक्षित,
मेरी ये रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!"

चित्र साभार-सम्मानित कवयित्री दीपिका जी!

Friday, 23 August 2013

♥♥ खुशी की आस ...♥♥


♥♥♥♥♥♥♥ खुशी की आस ...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
गमों की रात है लेकिन, खुशी की आस रखी है!
मुझे पाना है मंजिल को, सदा ये प्यास रखी है!
भले ही उम्र भर मैंने, यहाँ सब कुछ गंवाया है,
मगर माँ बाप की हर सीख, अपने पास रखी है!

ये दौलत रूह के रिश्तों के, जैसी हो नहीं सकती!
ये दौलत प्यार के पौधे, दिलों में बो नहीं सकती!

भले ही दर्द पाया पर, हकीक़त खास राखी है!
गमों की रात है लेकिन, खुशी की आस रखी है…

नहीं इंसान जो औरों के दुख में, काम न आये!
दुआ करना किसी के घर, गमों की शाम न आये!
सुनो तुम "देव" मुझको कद्र है, तेरी मोहब्बत की,
तुम्हे देखे बिना दिल को, मेरे आराम न आये!

अभावों में भी जो मंजिल को, अपनी ठान लेते हैं!
जो अपनी आत्मा तक देखो, खुद को जान लेते हैं!

उन्ही लोगों ने कायम आज तक, इतिहास रखी है!
गमों की रात है लेकिन, खुशी की आस रखी है!"

.................चेतन रामकिशन "देव".................
दिनांक-२३.०८.२०१३

♥ खुशी की आस ...♥

♥♥♥♥♥♥♥ खुशी की आस ...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
गमों की रात है लेकिन, खुशी की आस रखी है!
मुझे पाना है मंजिल को, सदा ये प्यास रखी है!
भले ही उम्र भर मैंने, यहाँ सब कुछ गंवाया है,
मगर माँ बाप की हर सीख, अपने पास रखी है!

ये दौलत रूह के रिश्तों के, जैसी हो नहीं सकती!
ये दौलत प्यार के पौधे, दिलों में बो नहीं सकती!

भले ही दर्द पाया पर, हकीक़त खास राखी है!
गमों की रात है लेकिन, खुशी की आस रखी है…

नहीं इंसान जो औरों के दुख में, काम न आये!
दुआ करना किसी के घर, गमों की शाम न आये!
सुनो तुम "देव" मुझको कद्र है, तेरी मोहब्बत की,
तुम्हे देखे बिना दिल को, मेरे आराम न आये!

अभावों में भी जो मंजिल को, अपनी ठान लेते हैं!
जो अपनी आत्मा तक देखो, खुद को जान लेते हैं!

उन्ही लोगों ने कायम आज तक, इतिहास रखी है!
गमों की रात है लेकिन, खुशी की आस रखी है!"

................चेतन रामकिशन "देव"...............
दिनांक-२३.०८.२०१३

♥ खुशी की आस ...♥

♥♥♥♥♥♥♥ खुशी की आस ...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
गमों की रात है लेकिन, खुशी की आस रखी है!
मुझे पाना है मंजिल को, सदा ये प्यास रखी है!
भले ही उम्र भर मैंने, यहाँ सब कुछ गंवाया है,
मगर माँ बाप की हर सीख, अपने पास रखी है!

ये दौलत रूह के रिश्तों के, जैसी हो नहीं सकती!
ये दौलत प्यार के पौधे, दिलों में बो नहीं सकती!

भले ही दर्द पाया पर, हकीक़त खास राखी है!
गमों की रात है लेकिन, खुशी की आस रखी है…

नहीं इंसान जो औरों के दुख में, काम न आये!
दुआ करना किसी के घर, गमों की शाम न आये!
सुनो तुम "देव" मुझको कद्र है, तेरी मोहब्बत की,
तुम्हे देखे बिना दिल को, मेरे आराम न आये!

अभावों में भी जो मंजिल को, अपनी ठान लेते हैं!
जो अपनी आत्मा तक देखो, खुद को जान लेते हैं!

उन्ही लोगों ने कायम आज तक, इतिहास रखी है!
गमों की रात है लेकिन, खुशी की आस रखी है!"

................चेतन रामकिशन "देव"...............
दिनांक-२३.०८.२०१३

♥ खुशी की आस ...♥

♥♥♥♥♥♥♥ खुशी की आस ...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
गमों की रात है लेकिन, खुशी की आस रखी है!
मुझे पाना है मंजिल को, सदा ये प्यास रखी है!
भले ही उम्र भर मैंने, यहाँ सब कुछ गंवाया है,
मगर माँ बाप की हर सीख, अपने पास रखी है!

ये दौलत रूह के रिश्तों के, जैसी हो नहीं सकती!
ये दौलत प्यार के पौधे, दिलों में बो नहीं सकती!

भले ही दर्द पाया पर, हकीक़त खास राखी है!
गमों की रात है लेकिन, खुशी की आस रखी है…

नहीं इंसान जो औरों के दुख में, काम न आये!
दुआ करना किसी के घर, गमों की शाम न आये!
सुनो तुम "देव" मुझको कद्र है, तेरी मोहब्बत की,
तुम्हे देखे बिना दिल को, मेरे आराम न आये!

अभावों में भी जो मंजिल को, अपनी ठान लेते हैं!
जो अपनी आत्मा तक देखो, खुद को जान लेते हैं!

उन्ही लोगों ने कायम आज तक, इतिहास रखी है!
गमों की रात है लेकिन, खुशी की आस रखी है!"

................चेतन रामकिशन "देव"...............
दिनांक-२३.०८.२०१३

Thursday, 22 August 2013

♥♥तारों की गिनती...♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥तारों की गिनती...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
ख्वाब तुम्हारे बुन लेता हूँ, दिल की धड़कन सुन लेता हूँ!
जब न आये नींद तेरे बिन, तो मैं तारे गिन लेता हूँ!

अब तेरी तस्वीरों से भी, बात-चीत की आदत डाली!
सखी ईद का चाँद तुम्ही हो, तुम ही हो होली दिवाली!
तुम्हे देखकर मेरा चेहरा, खिल जाये फूलों के जैसा,
सात रंगों की रंगोली तुम, तुम फूलों की नाजुक डाली!

रूह सोंप दी तुमको मैंने, तुमको अपना मन देता हूँ!
जब न आये नींद तेरे बिन, तो मैं तारे गिन लेता हूँ.

तेरी पायल की रुनझुन से, मैंने ये संगीत बनाया!
तुम्हे देखके गजलें लिखीं, तुम्हे देखकर गीत बनाया!
"देव" तुम्हारे अपनेपन से, प्रेरक क्षमता में वृद्धी है,
खुशियाँ आईं हैं आँगन में, जब से तुमको मीत बनाया!

सखी तुम्हारी सीख से मैं अब, सही गलत को चुन लेता हूँ!
जब न आये नींद तेरे बिन, तो मैं तारे गिन लेता हूँ!"

...................चेतन रामकिशन "देव"....................
दिनांक-२२.०८.२०१३

Wednesday, 21 August 2013

♥इतना इंतजार...♥


♥♥♥♥♥♥♥इतना इंतजार...♥♥♥♥♥♥♥♥
मुझको तुम इतना इंतजार, न कराया करो!
जब बुलाऊं तो मेरे पास, चली आया करो!
मैं तेरी आँख से, दुनिया को देखना चाहूँ,
अपनी आँखों से मुझे, सारा जग दिखाया करो!

तुम मेरे साथ हो तो, कोई कमी होती नहीं!
मेरे आँखों में भी देखो के, नमी होती नहीं!

मेरे गीतों को, मेरे साथ में तुम गाया करो!
मुझको तुम इतना इंतजार, न कराया करो…

मेरे सपने भी हैं तुमसे, के मेरे साथ रहो!
मैं तेरा दर्द सहूँ तुम, हमारा दर्द सहो!
"देव" तुम रूठ के, मुझसे न दूर जाना कभी,
मेरे एहसास की धारा में, मेरे साथ बहो!

रास्ते तंग हैं लेकिन, न हार जाना तुम!
आखिरी सांस तलक प्यार को, निभाना तुम!

तुम जुदाई के डर से, अश्क से न बहाया करो!
मुझको तुम इतना इंतजार, न कराया करो!"

................चेतन रामकिशन "देव".............
दिनांक-२१.०८.२०१३

Tuesday, 20 August 2013

♥♥अपनी आँखों में...♥♥


♥♥♥♥♥♥अपनी आँखों में...♥♥♥♥♥♥
अपनी आँखों में मुझको, छुपा लीजिये!
प्यार के ढाई अक्षर, सिखा दीजिये!

साथ जनमों तलक, जो मिटे न कभी,
रूह पे नाम अपना, लिखा दीजिये!

बिन तेरे नींद आती, नहीं हमनवा,
अपने आँचल में, मुझको सुला दीजिये! 

मैं भटकता हूँ देखो, यहाँ से वहां,
मुझको मंजिल का, रस्ता दिखा दीजिये!

"देव" तुम बिन मेरी आँख, नम है बहुत,
पास आकर ये आंसू, सुखा दीजिये!"

..........चेतन रामकिशन "देव".......
दिनांक-२०.०८.२०१३

Monday, 19 August 2013

♥तन्हाई के बादल..♥

♥♥♥♥तन्हाई के बादल..♥♥♥♥♥
मेरी तन्हाई मुझको सताने लगी!
आज फिर जो तेरी याद आने लगी!

दिन में जलता रहा, दर्द की धूप में,
रात मुझको गमों में, डुबाने लगी!

मेरे दिल में मेरी, रूह में तू ही तू,
तू भले ही नजर, अब चुराने लगी!

लाख चेहरे बदल, लाख खुद को छुपा,
झूठ से कब, हकीक़त ठिकाने लगी!

"देव" तुमसे नहीं कोई, शिकवा गिला,
मेरी किस्मत ही दिन ये, दिखाने लगी!"

.........चेतन रामकिशन "देव"..........
दिनांक-१९.०८.२०१३

Sunday, 18 August 2013

♥♥उम्मीदों की स्याही...♥♥


♥♥♥♥♥♥♥उम्मीदों की स्याही...♥♥♥♥♥♥♥♥
उम्मीदों की स्याही से, लिखावट कर रहा हूँ मैं!
के अपने दर्द से देखो, बगावत कर रहा हूँ मैं!

है दिल में दर्द पर, लेकिन हंसी ये छूट न जाये!
यही कोशिश है मेरी दिल, किसी का टूट न जाये!
कमी करते हैं अपने पर, मैं अपने सर झुकाता हूँ,
यही कोशिश है मेरी, कोई अपना रूठ न जाये!

गमों के फूल से, दिल की सजावट कर रहा हूँ मैं!
उम्मीदों की स्याही से, लिखावट कर रहा हूँ मैं….

मुखोटा जड़ के चेहरों पे, यहाँ पर लोग मिलते हैं!
लुटेरों के यहाँ देखो, गुलाबी फूल खिलते हैं!
यहाँ पर "देव" ऐसे लोग, अब नजरों से ओझल हैं,
भुलाकर दर्द जो अपना, किसी के घाव सिलते हैं!

कभी हालात बदलेंगे, ये चाहत कर रहा हूँ मैं!
उम्मीदों की स्याही से, लिखावट कर रहा हूँ मैं!"

...............चेतन रामकिशन "देव".............
दिनांक-१९.०८.२०१३

Saturday, 17 August 2013

♥♥माँ का दुलार...♥♥


♥♥♥♥♥♥माँ का दुलार...♥♥♥♥♥♥♥♥
मन की वीणा के भी, तार झंकृत हुए!
शब्द ममता से तेरी, अलंकृत हुए!
मुश्किलों से मैं अब, हंसके लड़ता हूँ माँ,
बल तेरी ही दुआओं से, अर्जित हुए!

माँ के जैसा जहाँ में, नहीं कोई है!
बिन सुलाए मुझे, माँ नहीं सोई है!

फूल उपवन के माँ को, समर्पित हुए!
मन की वीणा के भी, तार झंकृत हुए…

माँ सदा उन्नति का ही, वरदान दे!
अपनी संतान के मुख पे, मुस्कान दे!
"देव" माँ अपने बच्चों की, प्रथम गुरु,
अपनी संतान को, सत्य का ज्ञान दे!

माँ के दिल को कभी, तुम दुखाना नहीं!
माँ की आँखों से आंसू, बहाना नहीं!

शब्द मेरे सभी माँ को, अर्पित हुए!
मन की वीणा के भी, तार झंकृत हुए!"

........चेतन रामकिशन "देव".........
दिनांक-१७.०८.२०१३

Friday, 16 August 2013

♥ढाई अल्फाज मोहब्बत के...♥


♥♥♥♥ढाई अल्फाज मोहब्बत के...♥♥♥♥♥
प्यार करती हो अगर, तो मुझे तुम बतला दो!
ढाई अल्फाज मोहब्बत के, मुझे सिखला दो!

मेरी बेचैनी का आलम, तू जानती है पर,
ये अलग बात है तुम, जानकर के झुठला दो!

बिना तेरे मेरी तन्हाई, सताती है मुझे,
अपनी चाहत से बरफ, दर्द की ये पिघला दो!

हर घड़ी लोग उसे, दिल से गुनगुनायेंगे,
अपने हाथों से ग़ज़ल का, जो जरा मतला दो!

"देव" इंकार का तुम, डूबा चाँद मत देना,
मुझे तुम प्यार की पूनम का, चाँद उजला दो!"

.............चेतन रामकिशन "देव".................
दिनांक-१६.०८.२०१३


Tuesday, 13 August 2013

♥♥तुम्हारी निकटता...♥♥


♥♥♥♥♥♥♥तुम्हारी निकटता...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
निकट रहना सदा मेरे, कभी तुम दूर न जाना!
सदा ही फूल चाहत के, मेरे जीवन में बरसाना!
भटक जाऊ अगर मैं, कोई रास्ता जिंदगानी में,
पकड़ कर हाथ को मेरे, सही तुम राह दिखलाना!

तुम्हारी प्रीत का ये रंग, मेरे दिल को भाता है!
ये सूरत देखकर तेरी, मेरा दिल मुस्कुराता है!

तुम्हारी राह जब देखूं, तभी मिलने चली आना!
निकट रहना सदा मेरे, कभी तुम दूर न जाना

तुम्हारी प्रीत को पाकर, सखी सब कुछ यहाँ पाया!
तुम्हारी प्रीत की खुश्बू ने, मेरे घर को महकाया!
तुम्हारी प्रीत पावन है, तुम्हारी प्रीत कोमल है,
तुम्हारी प्रीत में दिखती है, मुझको ईश की छाया!

बड़ी मीठी, बड़ी सुन्दर, सखी तेरी ये बोली है!
तू दीपक है दिवाली का, तू ही रंगों की होली है!

सखी मेहँदी के रंगों से, मेरे हाथों को रंग जाना! 
निकट रहना सदा मेरे, कभी तुम दूर न जाना!

न कोई रंक, न कोई, यहाँ धनवान होता है!
सखी इस प्रीत में तो बस, यहाँ इंसान होता है!
सुनो तुम "देव" दुनिया में, जरा ये बात पहचानो,
के देखो प्रीत से ही, हर सफर आसान होता है!

सखी जिस दिल में देखो, प्रीत के ये भाव होते हैं!
वहां गहरे तिमिर में भी, उजाले साथ होते हैं!

सखी तुम ही मुझे अच्छे बुरे का, अर्थ समझाना!
निकट रहना सदा मेरे, कभी तुम दूर न जाना!"
.............चेतन रामकिशन "देव"....................
दिनांक-१४.०८.२०१३
"
प्रेम-एक ऐसा सम्बन्ध, जिसके अंगीकार करने से, जीवन की हर कठिनता सरल हो जाती है, समर्पण के साथ, प्रेम का अंगीकार करने से, व्यक्ति अभावों में भी, हंसकर जीवन व्यतीत कर लेते हैं! तो आइये प्रेम का अंगीकार करें!"
"
सर्वाधिकार सुरक्षित"


♥दिल का एहसास...♥


 ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥दिल का एहसास...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
इक पल को भी जो तुम मेरे, इस दिल का एहसास समझते!
तो तुम मुझको इस दुनिया में, सबसे ज्यादा खास समझते!
मीलों की दूरी भी देखो, कदम बराबर लगती तुमको,
जो तुम दिल में मुझे वसाकर, अपने बेहद पास समझते!

मेरे ख्वाबों को तुम अपने, हाथों से न तोड़ा करता!
तुम मेरी तस्वीर से हमदम, अपना मुंह न मोड़ा जरते!
"देव" जो तुमको इस दुनिया में, दर्द मेरा खुद जैसा लगता,
तो हमदम तुम मरते तक, साथ मेरा न छोड़ा करते!

मेरे दिल की पीड़ा को तुम, रूह से अपनी काश समझते!
इक पल को भी जो तुम मेरे, इस दिल का एहसास समझते!"

...........................चेतन रामकिशन "देव".......................
दिनांक-१३.०८.२०१३

Monday, 12 August 2013

♥♥ एहसासों की नरमी..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥ एहसासों की नरमी..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सखी रिक्त है मेरा जीवन, प्रेम से मेरी झोली भर दो!
इन्द्रधनुष के रंग भेजकर, जीवन को रंगोली कर दो!
बिना प्रेम के मेरा जीवन, रहता है बस मुरझाया सा,
सखी मेरे गुमसुम जीवन को, दीवाली और होली कर दो!

सावन की मेहँदी से अपने, दिल पे तेरा नाम लिखा है!
हरियाली और खुशहाली में, सखी तुम्हारा रूप दिखा है!
"देव" तुम्हारे प्यार से, मैंने एहसासों की नरमी पाई,
सखी तुम्हारे प्यार से गजलें, और मनभावन गीत लिखा है!

तुम बिन हूँ मैं मिट्टी का कण, छूकर मुझको रौली कर दो!
सखी रिक्त है मेरा जीवन, प्रेम से मेरी झोली भर दो!"

......................चेतन रामकिशन "देव"....................
दिनांक-१२.०८.२०१३

Saturday, 10 August 2013

♥♥नयी रात...♥♥


♥♥♥♥♥♥♥नयी रात...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
रात बेशक ही नयी, जिंदगी में आई है!
मेरे दामन में मगर, आज भी तन्हाई है!

फिर से पाया है यहाँ, गम का अँधेरा मैंने,
रोशनी पल को भी चौखट पे, नहीं आई है!

वक़्त की चाल है, या जुल्म कोई किस्मत का,
क्यूँ शरीफों के लिए, दर्द है, रुसवाई है!

तुमसे बिछड़े हुए, बेशक ही जमाना बीता,
तेरी तस्वीर नहीं, आज तक जलाई है!

"देव" माँ कहती है के, सब्र का फल मीठा हो,
सोचके बात ये, उम्मीद फिर लगाई  है!"

.........चेतन रामकिशन "देव"..........
दिनांक-१०.०८.२०१३

Friday, 9 August 2013


♥♥♥♥♥♥♥♥♥समझोते की सौगात ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
देश के आका चुप बैठे हैं, और सैनिक बेमौत मर रहे!
हम बस अपने हाथ जोड़कर, समझोते की बात कर रहे!
किन्तु समझोते की बातें, जिस दुश्मन को समझ न आये,
हम आखिर क्यूँ उस दुश्मन से, प्यार वफ़ा की बात कर रहे!

समझोते भी किये हैं हमने, लेकिन फिर भी मौत मिली है!
हम लोगों के घर में मातम, दुश्मन के घर धूप खिली है!

देख के झंडे में लिपटे शव, अश्कों के सैलाब गिर रहे!
देश के आका चुप बैठे हैं, और सैनिक बेमौत मर रहे…

प्यार वफ़ा की बातों को, जब दुश्मन अनदेखा करता है!
क्षमादान ऐसे अवसर पर, और भी उसको दृढ करता है!
समझोते को तय करके भी, हमने अब तक कुछ नहीं पाया,
और दुश्मन हम लोगों का, दामन यूँ ही छलनी करता है!

प्यार की भाषा उसे सुनाओ, जिसको प्यार समझ आता हो!
उसको प्यार नहीं देना जो, प्यार के तोहफे ठुकराता हो!

रो रोकर अपने हाथों से, चिता की हम तो राख भर रहे!
देश के आका चुप बैठे हैं, और सैनिक बेमौत मर रहे…

जिस भी देश के आकाओं का, अगर होंसला कम होता है!
उसी देश में निर्दोषों के, घर में ये मातम होता है!
"देव" प्यार उसको बांटों तुम, प्यार जो बदले में देता को,
दुश्मन को ये समझा दो के, निर्दोषों में दम होता है!

देश के आकाओं अब देखो, समझोते की बात भुला दो!
अपना घर फूँका है जिसने, उसके घर में आग लगा दो!

सच्चाई के साथ जहाँ है, क्यों लड़ने से खौफ कर रहे!
देश के आका चुप बैठे हैं, और सैनिक बेमौत मर रहे!"


"
समझोता, प्रेम, वफ़ा, अपनत्व, स्नेह-ये सब शब्द उस आत्मीय नीति के प्रतीक हैं, जो समर्पण की विषय वस्तु का हिस्सा हैं! हम प्रेम बांटते रहें और दुश्मन हमें हिंसा के खून में रंग जाये, तो कतिपय ऐसे प्रेम की नीति, सुखद नहीं हो सकती! देश के आकाओं को, निर्णय करना ही चाहिए, आखिर समझोते और प्रेम बाँटने से, सिर्फ मौत के बदले मिला क्या है?"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-१०.०८.२०१३




Thursday, 8 August 2013

♥♥मेहँदी का रंग ♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मेहँदी का रंग ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सावन के झूलों पे रौनक, और मेहँदी पे रंग आया है!
जब से मैंने इस दुनिया में , सखी तुम्हारा संग पाया है!
बिना तुम्हारे मेरा जीवन, थका थका और दिशाहीन था,
सखी तुम्हारे से प्यार से मुझको, इस जीवन का ढंग आया है!

सखी चाँद सा चेहरा तेरा, तुझे देखकर ईद मनाऊं!
कुछ तू अपनी बात सुनाना, कुछ मैं अपनी तुझे सुनाऊं!

शब्द भी तेरे प्यार में डूबे, गीत भी तेरे संग गाया है!
सावन के झूलों में रौनक, और मेहँदी पे रंग आया है!"

......................चेतन रामकिशन "देव"....................
दिनांक-०८.०८.२०१३

Sunday, 28 July 2013

♥♥मेरी हर सांस...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥मेरी हर सांस...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मेरी हर सांस को, तुमसे ही हवा मिलती है!
तुमसे ही प्यार मुझे, तुमसे दुआ मिलती है!

तेरी चाहत ने मेरे, गीतों का सिंगार किया,
मेरी गज़लों को भी, तुमसे ही अदा मिलती है!

तेरे जाने से मेरे दिल में, दर्द हो जाये,
तेरे आने से मेरे गम को, दवा मिलती है!

मेरा दिन देख के तस्वीर तेरी, खिल जाये,
और ख्वाबों से तेरे, प्यारी सुबह मिलती है!

"देव" तू देख के मुझको, न नजर फेरा कर,
ऐसे मंजर में मेरे, दिल को सजा मिलती है!"

..............चेतन रामकिशन "देव".............
दिनांक-२८.०७.२०१३

Saturday, 27 July 2013

♥सावन की घटा..♥

♥♥♥♥♥♥♥♥सावन की घटा..♥♥♥♥♥♥♥♥♥
बनके सावन की घटा मुझपे, वो जब छाती है!
जिंदगी भूलके हर गम को, मुस्कुराती है!
देखता हूँ मैं उसे, जब नजर उठाकर के,
चांदनी लाज की हर ओर, बिखर जाती है!

बड़ी सुन्दर है वो, तितली की तरह प्यारी है!
जिंदगी उसने मेरी प्यार से, निखारी है!

रूह खुश होती है वो जब भी, गीत गाती है!
बनके सावन की घटा मुझपे, वो जब छाती है....

प्यार के रंग में जब, आदमी रंग जाता है!
हर एक इन्सां उसे, अपना सा नजर आता है!
"देव" मजहब की, ये जाति की खाई भर जाये,
प्यार के नूर से हर शख्श, संवर जाता है!

प्यार का दीप चलो, दिल में जलाकर देखें!
चलो रूठे हुए इन्सां को, मनाकर देखें!

मैं जो रूठूँ तो मुझे, प्यार से मनाती है!
बनके सावन की घटा मुझपे, वो जब छाती है!"


........,,,...चेतन रामकिशन "देव"............,,,,
दिनांक-२७.०७.२०१३


Friday, 26 July 2013

♥♥सावन की बूंद..♥♥

♥♥♥♥♥♥सावन की बूंद..♥♥♥♥♥♥♥
तेरी चाहत के नए, फूल खिलाने आई!
बूंद सावन की मेरे मन को, भिगाने आई!

नहीं दुनिया में कोई तुमसा खुबसूरत है,
तेरी तस्वीर मेरे दिल को, दिखाने आई!

प्यार पे देखो कड़े पहरे हैं, जमाने के,
चोरी छुपके से यहाँ, हमको मिलाने आई!

अब तो कांटो का कोई, डर मुझे नहीं होता,
मेरे राहों में नए फूल, बिछाने आई!

प्यार के बिन यहाँ इंसान नहीं बन सकते,
सारी दुनिया को हकीक़त ये, सुनाने आई!"

............चेतन रामकिशन "देव"...............
दिनांक-२६.०७.२०१३

Tuesday, 23 July 2013

♥♥नया वसेरा .♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥नया वसेरा .♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
आज उजड़ा हूँ मैं पर, कल तो वसेरा होगा!
रात के बाद यहाँ देखो, सवेरा होगा!

गिरके उठने का सबक, मेरे दिल ने पाया है,
दर्द ने जब भी यहाँ, मुझको जो घेरा होगा!

नहीं मिलती है खुशी, देखो उसे दुनिया में,
अपने माँ बाप से, मुंह जिसने भी फेरा होगा!

आईना देखा तो चेहरे पे, एक रंगत थी,
मेरी यादों ने तुझे, फिर से जो घेरा होगा!

"देव" मरने के बाद, खाली हाथ जाना है,
न यहाँ मेरा, नहीं कुछ यहाँ तेरा होगा!"

...........चेतन रामकिशन "देव".........
दिनांक-२४.०७.२०१३


♥♥रूठे रूठे से...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥रूठे रूठे से...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
रूठना बंद करो, अब तो मान जाओ तुम!
प्यार का गीत मेरे साथ, गुनगुनाओ तुम!

तेरी चुप्पी से चाँद रोये, सितारे नाखुश,
इसीलिए अब तो सखी, देखो मुस्कुराओ तुम!

तेरी खामोशी के लम्हे, मुझे नहीं भाते,
हौले हौले ही सही, लब से कुछ सुनाओ तुम!

तेरे आँचल में अपने सर को रख के सोना है,
भूलकर शिकवे गिले, पास मेरे आओ तुम!

"देव" मेरी भी निगाहों में, आयेंगे आंसू,
प्यार को अपने नहीं, इतना भी सताओ तुम!"

.............चेतन रामकिशन "देव"...............
दिनांक-२३.०७.२०१३

  

Sunday, 21 July 2013

♥♥सिफारिश..♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥सिफारिश..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तेरी बस एक झलक पाने की, ख्वाहिश की है!
चाँद से तुझको बुलाने की, सिफारिश की है!

देखते देखते राहें मैं, थक गया तेरी,
मेरी आँखों ने तेरी याद में, बारिश की है!

तेरे ऊपर मैं भला, क्यूँ कोई इल्जाम रखूं,
वक़्त ने फिर से मेरे साथ, ये साजिश की है!

जल गया मेरा जिगर, कोई तो पानी डालो,
दर्द ने फिर से मेरे दिल में, ये आतिश की है!

"देव" कुदरत से बड़ा, कोई नहीं दुनिया में,
मैंने कुदरत से ही खुशियों की, गुजारिश की है!"

..............चेतन रामकिशन "देव".................
दिनांक-२१ .०७.२०१३

Saturday, 20 July 2013

♥♥चूल्हे की आग..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥चूल्हे की आग..♥♥♥♥♥♥♥♥
है अँधेरा के चलो तुम, चिराग बन जाओ!
किसी बुझते हुए चूल्हे की, आग बन जाओ!

जो यहाँ लूटते हैं देखो, मुफलिसों का हक,
उनको डस लो के चलो, ऐसे नाग बन जाओ!

भले दो रोटी मिलें, पर कमाओ इज्ज़त से,
ऐसा न हो के, यहाँ काला दाग बन जाओ!

अपने लफ्जों से नहीं, खुद ही फरमाईश हो,
तंग लोगों का जरा तुम, ईजाब* बन जाओ!

"देव" एक दिन उन्हें, हक की लड़ाई आएगी,
तुम जो सोते हुए लोगों की, जाग बन जाओ!"

..............चेतन रामकिशन "देव"................
दिनांक-२०.०७.२०१३

(*-प्रार्थना/प्रस्ताव)

Friday, 19 July 2013

♥♥ख्वाबों की उड़ान..♥♥

♥♥♥♥♥♥ख्वाबों की उड़ान..♥♥♥♥♥♥♥
खोलकर अपने परों को, उड़ान भरता हूँ!
अपने टूटे हुए सपनों में, जान भरता हूँ!

न ही हिन्दू, नहीं मुस्लिम, न सिख, इसाई को,
मैं तो इंसान को, दिल से सलाम करता हूँ!

रास्ते तंग हैं और देखो सफ़र मुश्किल है,
फिर भी मैं जीतने का, इतमिनान करता हूँ! 

मेरा ये जिस्म है मिट्टी का, कब बिखर जाए,
भूल से भी न कभी, मैं गुमान करता हूँ!

उम्र की धूप ने, मुझको बना दिया बूढ़ा,
हाँ मगर होंसला, फिर से जवान करता हूँ!

मैं हूँ जैसा मैं वही, दिखता हूँ हमेशा ही,
न ही मैं ढोंग, नहीं झूठी शान करता हूँ!

"देव" ये दोस्त ही, पूंजी हैं मेरे जीवन की,
ये दुआ देते हैं, मैं जब उड़ान भरता हूँ!"

............चेतन रामकिशन "देव"...........
दिनांक-२०.०७.२०१३




♥♥कांच के ख्वाब..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥कांच के ख्वाब..♥♥♥♥♥♥♥
कांच के ख्वाब हैं, डर डर के मैं संजोता हूँ!
अपनी सूरत को अपने आंसुओं से धोता हूँ!

मुझसे कहते हैं लोग, क्या ये हो गया तुमको,
साथ दिखता हूँ मगर, साथ नहीं होता हूँ!

माँ से बढ़कर नहीं, हमदर्द कोई दुनिया में, 
माँ की लोरी को सुने बिन, मैं नहीं सोता हूँ!

जो गुनाह करते हैं वो, सोते हैं तसल्ली से,
बेगुनाह होके भी मैं, अपना सुकूं खोता हूँ!

"देव" मुश्किल है मगर, देखो नहीं नामुमकिन,
सोचकर ये ही मैं, गिरकर भी खड़ा होता हूँ!"

............चेतन रामकिशन "देव"...........
दिनांक-१९.०७.२०१३ 






Thursday, 18 July 2013

♥♥घोंसले...♥♥


♥♥♥♥♥♥♥घोंसले...♥♥♥♥♥♥♥♥
चलो पेड़ों पे नए, घोंसले बनाते हैं!
चलो आकाश से कुछ, तारे तोड़ लाते है!

सब्र से काम लो तुम, हार से नहीं डरना,
दीये उम्मीद के एक रोज, जगमगाते हैं!

रूह का नूर तो हर वक़्त ही कायम रहता,
हाँ मगर जिस्म यहाँ, खाक में मिल जाते हैं!

उनका ही नाम सारे, जग को रौशनी देता,
जिनके अश्कों को भी, हंसने के हुनर आते हैं!

चंद सिक्कों के लिए, खुद का ईमां मत बेचो,
लोग एक पल में ही, नजरों से उतर जाते हैं!

नहीं मंदिर, नहीं मस्जिद की जरुरत उनको,
अपने माँ बाप के आगे, जो सर झुकाते हैं!

"देव" अश्कों से मेरी, दोस्ती बड़ी गहरी,
मैं जो रोता हूँ तो ये, मुझको चुप कराते हैं!"

.........चेतन रामकिशन "देव".........
दिनांक-१९.०७.२०१३

Tuesday, 16 July 2013

♥♥रात की खामोशी..♥♥

♥♥♥♥♥♥रात की खामोशी..♥♥♥♥♥♥♥♥
रात खामोश है पर, ख्वाबों की किलकारी है!
जिंदगी जैसी भी है, मुझको बड़ी प्यारी है!

चाँद सुन्दर है, वो प्यारा है, ये हकीक़त है,
माँ की ममता तो मगर चाँद से उजियारी है!

बड़ी मासूम है, दिल प्यार से भरा उसका,
जैसे अम्बर से परी, धरती पे उतारी है!

आज दौलत के लिए, कितना गिर गया इन्सां,
भाई ने भाई को ही, आज छुरी मारी है!

नहीं जिद करना कभी, मेरे अश्क पीने की,
मेरी आँखों की झील, सच में बड़ी खारी है!

एक पल को भी कभी, हम न मिल सके लेकिन,
फिर भी मिलने की दुआ, हर घड़ी ही जारी है!

"देव" जिन लोगों को, कुदरत ने कर दिया तन्हा,
ऐसे इन्सां को हर एक सांस, बड़ी भारी है!"

..............चेतन रामकिशन "देव".............
दिनांक-१६.०७.२०१३





Monday, 15 July 2013

♥♥सुबह की रोशनी..♥♥

♥♥♥♥♥सुबह की रोशनी..♥♥♥♥♥♥♥
धीरे धीरे ही सही, रात गुजर जाएगी!
रोशनी लेके सुबह, फिर से नयी आएगी!

अपने एहसास को मिटटी में जो मिला दोगे,
देखो मिटटी से भी, सौंधी सी महक आएगी!

ख्वाब टूटें तो कभी हौंसला न कम करना,
जिंदगी फिर से नए ख्वाब, देके जाएगी!

अपनी हिम्मत को कभी, तुम जो बुलंदी दोगे,
देखो उलझन के हर एक, अपना सर झुकाएगी!

"देव" जल्दी से चलो, अपने घर को चलते हैं,
बिन मुझे देखे मेरी माँ, नहीं सो पाएगी!"

..............चेतन रामकिशन "देव".............
दिनांक-१५.०७.२०१३

Sunday, 14 July 2013

♥♥नया रास्ता...♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥नया रास्ता...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
जिंदगी फिर से मुझे, रास्ता दिखाने लगी!
नयी दुनिया से मेरा, वास्ता कराने लगी!

जब भी हंसकर के, मैंने दुनिया की तरफ देखा,
सारी दुनिया मुझे अपनी सी, नजर आने लगी!

जिंदगी में नहीं मिलती हैं, हमेशा खुशियाँ,
आज ये बात मुझे देखो, समझ आने लगी!

मैंने बंजर में जो मेहनत से, बुबाई की थी,
आज उस खेत में हरियाली, लहलहाने लगी!

छोड़ दो नफरतें के, प्यार का सावन आया,
देखो कोयल भी, मोहब्बत के गीत गाने लगी!

मैं भी इन्सां हूँ मुझे, गर्भ में नहीं मारो,
छोटी सी बच्ची मुझे, पाठ ये पढ़ाने लगी!

"देव" ये माँ की दुआओं, असर ही तो है,
देखो मुश्किल मुझे, आसान नजर आने लगी!"

...............चेतन रामकिशन "देव"..............
दिनांक-१५.०७.२०१३

Saturday, 13 July 2013

♥♥देह की छिलन..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥देह की छिलन..♥♥♥♥♥♥♥
शब्द से भाव का जब भी, ख्याल मिलता है!
मेरे एहसास में तब गीत नया खिलता है!

वैसे मिलते हैं सफ़र में तो हजारों साथी,
कोई कोई ही मगर, साथ सदा चलता है!

मैं यही सोच के पत्थर के पूजने निकला,
लोग कहते हैं पत्थर में, खुदा मिलता है!

नाम के तो हैं यहाँ, लाखों, हजारों सूरज,
कोई जांबाज ही दीपक की तरह जलता है!

"देव" कांटो ने मुझे कोई चुभन न बख्शी,
फूल की शाख रगड़ने से, बदन छिलता है!"


...........चेतन रामकिशन "देव".............
दिनांक-१४.०७.२०१३

♥♥ख्वाबों का गीत...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥ख्वाबों का गीत...♥♥♥♥♥♥♥
चांदनी रात में एक ख्वाब सजाया जाये!
तेरी तारीफ में एक गीत बनाया जाये!

इस जनम में नहीं भरता है मोहब्बत से दिल,
सात जन्मों के लिए प्यार निभाया जाये!

ये अँधेरा भी घना पल में सिमट जायेगा,
दीप उम्मीद का जो एक जलाया जाये! 

नहीं मजहब, नहीं दौलत, न सियासत कोई,
प्यार तो दुनिया में बस, प्यार से पाया जाये!

"देव" मरके भी हमे लोग, न भुला पायें,
बनके आकाश चलो, दुनिया पे छाया जाये!"

..........चेतन रामकिशन "देव"..................
दिनांक-१३.०७.२०१३ 

Friday, 12 July 2013

हुनर

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
हुनर हाथों में रखना है, नजर मंजिल पे लानी है!
भले तूफां में हो किश्ती, हमें साहिल पे लानी है!

भरोसे बैठकर किस्मत के, कुछ भी पा नहीं सकते!
बिना बादल बने आकाश पे, हम छा नहीं सकते!
गगन को देखना तो "देव" है, आसान पर लेकिन,
बिना साहस के तारे तोड़कर, हम ला नहीं सकते!

है जब तक जान हमको, जिंदगी हंसकर बितानी है!
हुनर हाथों में रखना है, नजर मंजिल पे लानी है!"

..................चेतन रामकिशन "देव"..................
दिनांक-१३.०७.२०१३








Thursday, 11 July 2013

♥♥♥♥♥♥निर्धन की आह..♥♥♥♥♥♥

♥♥♥♥♥♥निर्धन की आह..♥♥♥♥♥♥
मजदूर पिस रहा है, कृषक भी दुखी है!
कैसे मैं कह दूँ अपना, ये देश सुखी है!

चिथड़ों में लिपटे लिपटे, इंसान हैं यहाँ!
रोटी के बिना लाखों, बेजान हैं यहाँ!
कोई भी दर्द इनका, सुनता ही नहीं है,
सब जानकर भी देखो, अंजान हैं यहाँ!

जर्जर हुए बदन हैं, अस्थि भी दिखी है!
मजदूर पिस रहा है, कृषक भी दुखी है...

इस देश के नेता तो, पथ से भटक गए!
बस लूट मार तक ही, ये तो अटक गए!
दिखने में तो लगते हैं, ये साफ आदमी,
पर ये ही गरीबों का, हर हक़ गटक गए!

निर्धन ने बिना जुर्म के ही, मौत चखी है!
मजदूर पिस रहा है, कृषक भी दुखी है...

मजदूर हो, या कृषक, या आम आदमी!
दिन रात इनकी आँखों में, रहती है नमी!
पर "देव" यूँ ही बैठके, मंजिल के नहीं मिले,
अब रंग दो लुटेरों के, तुम खून से जमीं!

अपने ही होंसले में, ये जीत लिखी है!
मजदूर पिस रहा है, कृषक भी दुखी है!"


"
भारत देश, आजादी के बहुत कम वर्षों के बाद भी, आज ऐसे मुकाम पर पहुंच चूका है, जहाँ से विश्व समुदाय उसे भ्रष्टाचार का उपमा देने में जरा भी संकोच नहीं करता, एक ओर निर्धन के घर चूल्हा फूंकने के लिए ४ लकड़ियाँ तक नहीं मिलती ओर एक तरफ लोग, इन्ही के धन, मेहनत ओर अधिकारों पर डाका डालकर, धन कुबेर बने बैठे हैं! तो आइये चिंतन करें..

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-१३.०७.२०१३

Wednesday, 10 July 2013

♥♥♥बंजर में नमी.♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥बंजर में नमी.♥♥♥♥♥♥♥♥
देखो बंजर में नमी, मेरी दुआओं से हुयी!
बूँद बनकर के जो, बरसात निगाहों से हुयी!

कैसी हो सकती थी, मुफलिस की शिफा दुनिया में,
बढ़ी महंगाई से, अब दूरी दवाओं से हुयी!

झूठ का दीप, बड़ा ही गुरुर करता था,
बुझ गया जंग वो जब, सच की हवाओं से हुयी!

आज मैं फिर से बन गया हूँ, एक भला इन्सां,
मुझे तौबा जो आज, मेरे गुनाहों से हुयी!

"देव" मैं चलता हूँ, मैं गिरता हूँ, मैं उठता हूँ,
जिंदगी पूरी मेरी इन ही, अदाओं से हुयी!"

..............चेतन रामकिशन "देव"............
दिनांक-११.०७.२०१३

♥♥♥इल्जाम...♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥इल्जाम...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
बिना ही बात के, इल्जाम की बौछार करते हो!
मैं कैसे मान लूँ के तुम, मुझी से प्यार करते हो!

नहीं बदला हूँ मैं लेकिन, तुम्हें लगता है क्यूंकि तुम,
बदल कर अपनी नजरों को, मेरा दीदार करते हो!

तुम्हारा नाम तक अपनी जुबां पे, मैं नहीं लाया,
मगर बदनाम तुम मुझको, सरे बाजार करते हो!

मोहब्बत में यकीं खुद से भी, ज्यादा होता है लेकिन,
मुझे तुम डाल के पिंजरे में, बस लाचार करते हो!

नहीं मैं जानता था "देव" के, हालात ये होंगे,
यहाँ दुश्मन बनेगा वो, जिसे तुम प्यार करते हो!"

.........चेतन रामकिशन "देव"........
दिनांक-१०.०७.२०१३

Monday, 8 July 2013

♥♥नया गीत..♥♥

♥♥♥♥♥♥नया गीत..♥♥♥♥♥♥♥
आशाओं के मैं नए शब्द लेकर,
के फिर से नया गीत लिखने लगा हूँ!

पिया है जहर मैंने, जब से ये सच का,
के पहले से सुन्दर, मैं दिखने लगा हूँ!

गिरा हूँ मगर फिर से उठने की हिम्मत,
के इन बाजुओं में बचाकर रखी है!

मैं मिलता हूँ हंसकर रक़ीबों से अपने,
के मैंने तो नफरत भुलाकर रखी है!

नहीं है जरुरी के इस जिंदगी में,
खुशी ही खुशी हमको मिलती रहेगी,

इसी वास्ते मैंने अपनी हंसी में,
के पीड़ा गमों की छुपाकर रखी है!

खुशी और गमों के, मैं इन आंसुओं को,
देखो तसल्ली से, चखने लगा हूँ!

आशाओं के मैं नए शब्द लेकर,
के फिर से नया गीत लिखने लगा हूँ..

कभी तो मिलेगी मुझे मेरे मंजिल,
हताशा में रहने से, क्या फायदा है!

पता है के जब झूठ, आये पकड़ में,
तो फिर झूठ कहने से, क्या फायदा है!

सुनो "देव" अपनी निगाहों से देखो,
निगाहें मिलाकर यहाँ पे रहो तुम,

के तुम दर्द में भी, तलाशो खुशी को,
यूँ मायूस रहने से, क्या फायदा है!

मैं शब्दों से अपने, मोहब्बत की बातें,
के सबकी हथेली पे, रचने लगा हूँ!

आशाओं के मैं नए शब्द लेकर,
के फिर से नया गीत लिखने लगा हूँ!"

.........चेतन रामकिशन "देव"..........
दिनांक-०९.०७.२०१३

Sunday, 7 July 2013

♥कठिन रास्ते..♥


♥कठिन रास्ते..♥

कठिन रास्ते हैं, 
सफर भी है मुश्किल,
मगर फिर भी चलने को जी कर रहा है!

अँधेरा घना है,
चिरागों की तरह,
मगर फिर भी जलने को जी कर रहा है!

मैं जब भी तलाशी जो लेता हूँ दिल की,
सिवा गम के कुछ भी तो मिलता नहीं है!

बहारें खुशी की नहीं आयीं अब तक,
के जीवन में गुल कोई खिलता नहीं है!

मगर फिर भी गम की,
दहकती अगन में,
के मेरा पिघलने को जी कर रहा है!

कठिन रास्ते हैं, 
सफर भी है मुश्किल,
मगर फिर भी चलने को जी कर रहा है...


गमों की ये रातें सताती हैं मुझको,
गमों के भी ये दिन भी रुलाते रहे हैं!

के अब तक तो टूटे हैं सारे ही सपने,
मगर ख्वाब हम फिर सजाते रहे हैं!

मुझे "देव" खुद से है इतनी मोहब्बत,
के मैं दर्द में भी, जिये जा रहा हूँ!

मुझे जितने आंसू दिए जिंदगी ने,
के मैं हंसके उनको, पिये जा रहा हूँ!

गमों की घुटन है,
मगर फिर भी मेरा,
के देखो मचलने को जी कर रहा है!

कठिन रास्ते हैं, 
सफर भी है मुश्किल,
मगर फिर भी चलने को जी कर रहा है!"

...चेतन रामकिशन "देव"...
दिनांक-०७.०७.२०१३


♥♥प्रेम के नियम..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्रेम के नियम..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥ 
न परिभाषा पता प्रेम की, न ही कोई नियम जानता!
इसीलिए मैं खुद को अब तक, प्रेम के काबिल नहीं मानता!
लोग यहाँ पर प्रेम में देखो, अपने अपने पक्ष बतायें,
किसी के दिल पे क्या बीती है, कोई देखो नहीं जानता!

प्रेम समर्पण की नीति है, लोग मगर इसको न मानें!
अपनी धुन में रहें वो डूबे, भाव किसी के न पहचानें!
अपने प्रेम को उच्च समझकर, औरों को कमतर आंकेंगे!
आंख से परदे नहीं हटाकर, किसी के दिल में वो झाकेंगे!

बिना समर्पित प्रेम की मंजिल, अपने मन में नहीं ठानता!
न परिभाषा पता प्रेम की, न ही कोई नियम जानता....

यदि प्रेम के भाव समझकर, साथ साथ तुम चलकर देखो!
कभी जरुरत पड़े तो देखो, एक दूजे पे मिटकर देखो!
"देव" प्रेम का नाम बताकर, भाव बोझ प्रेषित न करना,
प्रेम हमारा अमर रहेगा, यदि रूह से मिलकर देखो!

बिना समर्पण के भावों को, प्रेम मैं हरगिज नहीं मानता!
न परिभाषा पता प्रेम की, न ही कोई नियम जानता!"

....................चेतन रामकिशन "देव"......................
दिनांक-०७.०७.२०१३

Saturday, 6 July 2013

♥♥आशिकी♥♥

♥♥आशिकी♥♥
ये आशिकी है,
या है मोहब्बत,
नहीं पता है ये बेकरारी!

बिना तुम्हारे,
रहूँ मैं कैसे,
मुझे है आदत हुई तुम्हारी!

तुम्हे ही सोचूं,
तुम्हे ही देखूं,
तुम्हारी बातें ही कर रहा हूँ!

तुम्हारे बिन है,
तड़प बहुत ही,
के जिंदा होकर भी मर रहा हूँ!

तेरी जुदाई के,
आंसुओं ने,
है मेरी सूरत बहुत निखारी!

ये आशिकी है,
या है मोहब्बत,
नहीं पता है ये बेकरारी...

तुम्हारी चाहत नहीं मरेगी,
अटूट है तुमसे, 
मेरी चाहत!

हाँ ये भी सच है बिना तुम्हारे,
हमारे दिल को,
नहीं है राहत!

मैं "देव" लेकिन तुम्हारी धुन में,
ये अपना जीवन,
गुजारता हूँ,

उम्मीद है मेरे टूटे दिल को,
कभी तो होगी,
तेरी इनायत!

इन्हीं उम्मीदों के दम पे मैंने,
के देखो अपनी,
उमर गुजारी!"

...चेतन रामकिशन "देव"...
दिनांक-०६.०७.२०१३

♥♥हसरतों की होली..♥♥

♥♥♥हसरतों की होली..♥♥♥
क्यूँ हसरतों की जली है होली,
क्यूँ गम दीवाली मना रहे हैं!
हमारे आंसू सिसक सिसक कर,
क्यूँ दर्द की धुन सुना रहे हैं!

जो आज दिल से ये पूछा मैंने,
जरा चुभन की वजह बताओ!
क्यूँ रो रही हैं तेरी निगाहें,
है कौन सा गम मुझे दिखाओ!
मगर ये दिल सुनता ही नहीं है,
हजारों मिन्नत करो भी इससे,
जहाँ भी देखे, उदासी इसकी,
भले ही सीने में दिल छुपाओ!

क्यूँ मेरे जीवन के गुजरे लम्हे,
मुझे यूँ बेबस बना रहे हैं!
क्यूँ हसरतों की जली है होली,
क्यूँ गम दीवाली मना रहे हैं...

कई दफा ये कहा है दिल से,
न गुजरे लम्हों को याद करना!
हमेशा जीना तू जोश भरके,
ग़मों से देखो, कभी न डरना!
तू "देव" के संग, खुशी से रहकर,
भुला दे पीड़ा, भुला दे आंसू,
है जान जब तक, तू खुल के जी ले,
न जीते जी तू, यहाँ पे मरना!

तेरी हताशा को देखकर के,
इरादे मातम मना रहे हैं!
क्यूँ हसरतों की जली है होली,
क्यूँ गम दीवाली मना रहे हैं!"

...चेतन रामकिशन "देव".....
दिनांक-०६.०७.२०१३


Thursday, 4 July 2013

♥♥तेरी तस्वीर..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥तेरी तस्वीर..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
आज तेरी तस्वीर से मैंने, घंटों तक फिर बातें की हैं!
तुझसे मिलने को दिल तरसा, नयनों ने बरसातें की हैं!

तुझको अपने पास बिठाकर, दिल का हाल बताना चाहूँ!
बिन तेरे कितना तड़पा हूँ, मैं तुमको दिखलाना चाहूँ!
लेकिन देखो "देव" विरह की, ये बेला पूरी नहीं होती,
भले विरह के भावों को मैं, कितना भी झुठलाना चाहूँ!

तुम बिन मैंने जाग जाग कर, देखो पूरी रातें की हैं!
आज तेरी तस्वीर से मैंने, घंटों तक फिर बातें की हैं!"

....................चेतन रामकिशन "देव".................
दिनांक-०४.०७.२०१३

♥♥तेरी तस्वीर..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥तेरी तस्वीर..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
आज तेरी तस्वीर से मैंने, घंटों तक फिर बातें की हैं!
तुझसे मिलने को दिल तरसा, नयनों ने बरसातें की हैं!

तुझको अपने पास बिठाकर, दिल का हाल बताना चाहूँ!
बिन तेरे कितना तड़पा हूँ, मैं तुमको दिखलाना चाहूँ!
लेकिन देखो "देव" विरह की, ये बेला पूरी नहीं होती,
भले विरह के भावों को मैं, कितना भी झुठलाना चाहूँ!

तुम बिन मैंने जाग जाग कर, देखो पूरी रातें की हैं!
आज तेरी तस्वीर से मैंने, घंटों तक फिर बातें की हैं!"

....................चेतन रामकिशन "देव".................
दिनांक-०४.०७.२०१३

Wednesday, 3 July 2013

♥♥निर्धन का गलियारा..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥निर्धन का गलियारा..♥♥♥♥♥♥♥♥♥
न छप्पर है, न आंगन है, और न घर में द्वार कोई है!
निर्धन के सपनों में देखो, न सुन्दर संसार कोई है!
यहाँ हुकूमत का हर नेता, करता अपने हित की बातें,
निर्धन का जो हित करती हो, न ऐसी सरकार कोई है!

सड़क किनारे फुटपाथों पर, निर्धन अक्सर मर जाते हैं!
और देश के नेता केवल, झूठे आंसू बिखराते हैं!

कुदरत भी मासूम को मारे, न दोषी को मार कोई है!
न छप्पर है, न आंगन है, और न घर में द्वार कोई है...

एक ही दल की बात नहीं है, सब दल ऐसा ही करते हैं!
जनता का धन लूटपाट कर, बस अपनी झोली भरते हैं!
"देव" हमें अब इन लोगों से, युद्ध की रचना करनी होगी,
इसीलिए तो हावी हैं ये, हम जो लड़ने से डरते हैं!

दमन यदि सहते जायेंगे, तो उद्धार नहीं हो सकता!
निर्धन अपने जीवन का फिर, रचनाधार नहीं हो सकता!

श्वेत वस्त्र पहनें नेता पर, न उम्दा किरदार कोई है!
न छप्पर है, न आंगन है, और न घर में द्वार कोई है!"

.....................चेतन रामकिशन "देव"......................
दिनांक-०४.०७.२०१३

♥♥मिलेंगे हम तुम..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मिलेंगे हम तुम..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
यकीं है मुझको दुआ पे अपनी, जहाँ में फिर से मिलेंगे हम तुम!
विरह के मौसम का अंत होगा, के फूल बनकर खिलेंगे हम तुम!

जुदाई हो चाहें कितनी लम्बी, मगर मिलन की न आस टूटे!
ये तन मिले ने भले ही तन से, मगर न रूहों का साथ छूटे!
मैं "देव" दिल से सदा तुम्हारा, यकीन तेरा रहेगा कायम,
कभी जो रूठें तो मान जायें, कभी न दिल की ये प्रीत रूठे!

जहाँ भी हमको दुआयें देगा, के साथ फिर से चलेंगे हम तुम!
यकीं है मुझको दुआ पे अपनी, जहाँ में फिर से मिलेंगे हम तुम!"

.........................चेतन रामकिशन "देव"................................
दिनांक-०३.०७.२०१३